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अल्टरमैग्नेट्स

(प्रारंभिक परीक्षा : अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव)

संदर्भ

हाल के वर्षों में, शोधकर्ताओं ने चुंबकत्व के एक तीसरे और विशिष्ट रूप की पहचान की है जो दीर्घकालिक द्विआधारी वर्गीकरण से परे है। वैज्ञानिक इसे ‘अल्टरमैग्नेटिज्म’ कहते हैं। अल्टरमैग्नेटिज्म की खोज चुंबकीय दुनिया के बारे में भौतिकविदों की समझ में एक कदम आगे का प्रतिनिधित्व करती है।

क्या है लौहचुंबकत्व एवं प्रतिलौहचुंबकत्व 

  • चुंबकत्व को लंबे समय से दो प्राथमिक प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है: लौहचुंबकत्व (Ferromagnetism) व प्रतिलौहचुंबकत्व (Antiferromagnetism)
  • लौहचुम्बकत्व, लोहे व निकेल जैसे पदार्थों के व्यवहार के लिए जिम्मेदार है, जहाँ सभी चुंबकीय आघूर्ण एक ही दिशा में संरेखित होते हैं, जिससे मजबूत चुंबकत्व उत्पन्न होता है। उदाहरण के लिए फ्रिज के चुम्बकों को चिपका देने वाला बल (चुंबकत्व) आदि। 
    • चुंबकीय आघूर्ण या चुंबकीय द्विध्रुव आघूर्ण, किसी वस्तु की चुंबकीय शक्ति एवं चुंबकीय क्षेत्र के भीतर उसके अभिविन्यास का माप है।
  • प्रतिलौहचुम्बकत्व तब होता है जब चुंबकीय आघूर्ण एक नियमित पैटर्न में संरेखित होते हैं किंतु विपरीत दिशाओं में इंगित करते हैं, एक-दूसरे को रद्द कर देते हैं और परिणामस्वरूप कोई बाह्य चुंबकीय क्षेत्र नहीं बनता है।

अल्टरमैग्नेटिज्म (Altermagnetism) के बारे में

  • अल्टरमैग्नेटिज्म एक प्रकार का चुंबकत्व है जिसमें चुंबकीय आघूर्ण (इलेक्ट्रॉनों द्वारा निर्मित सूक्ष्म चुंबकीय क्षेत्र) विपरीत दिशाओं में संरेखित होते हैं किंतु एक विशिष्ट घूर्णन पैटर्न का अनुसरण करते हैं।
  • यह अनूठी व्यवस्था ऐसे गुण पैदा करती है जो फेरोमैग्नेट्स एवं एंटीफेरोमैग्नेट्स दोनों के प्रमुख तत्वों को जोड़ती है।
  • एंटीफेरोमैग्नेट्स की तरह अल्टरमैग्नेट्स में भी चुंबकीय आघूर्ण होते हैं जो विपरीत दिशाओं में संरेखित होते हैं तथा समग्र चुंबकीकरण को रद्द कर देते हैं। 
  • हालाँकि, फेरोमैग्नेट्स की तरह अल्टरमैग्नेट्स भी स्पिन-पोलराइज्ड करेंट्स को अनुमति देते हैं। फेरोमैग्नेट्स में स्पिन-पोलराइज्ड करेंट्स केवल इसलिए उत्पन्न हो सकती हैं क्योंकि सभी इलेक्ट्रॉन स्पिन या आघूर्ण एक दिशा में संरेखित होते हैं जिससे एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है।
  • अल्टरमैग्नेट्स में मुख्य अंतर यह है कि इन चुंबकीय आघूर्णों को धारण करने वाली बड़ी, क्रिस्टल जैसी संरचनाएँ एक-दूसरे के सापेक्ष घूमती हैं जिससे विशिष्ट इलेक्ट्रॉनिक व्यवहार उत्पन्न होता है। 
  • इन बड़ी संरचनाओं का घूर्णन ही है जो स्पिन-पोलराइज्ड करेंट्स को अल्टरमैग्नेट्स में अभी भी उत्पन्न होने की अनुमति देता है। इससे अल्टरमैग्नेट्स विभिन्न अनुप्रयोगों, विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक्स एवं डाटा भंडारण के लिए संभावित रूप से मूल्यवान हो जाते हैं।
  • वे विचलित चुंबकीय क्षेत्रों की संभावना को समाप्त कर देते हैं जबकि स्पिन- पोलराइज्ड करेंट्स को अनुमति देते हैं- जो आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए एक अत्यधिक उपयोगी संयोजन है।
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