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वैकल्पिक विवाद समाधान (Alternative Dispute Resolution - ADR)

ADR क्या है?

  • वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) विवादों को अदालत के बाहर सुलझाने की एक प्रक्रिया है, जो समय, धन और जटिल कानूनी प्रक्रियाओं को कम करने में मदद करता है।

ADR के प्रकार:

  • मध्यस्थता (Arbitration)
    • एक तटस्थ मध्यस्थ (Arbitrator) विवाद सुनता है और एक अनिवार्य निर्णय (Binding Decision) देता है।
    • इसका उपयोग व्यावसायिक विवादों, अनुबंध विवादों आदि में किया जाता है।
  • सुलह (Conciliation)
    • इसमें एक सुलहकर्ता (Conciliator) दोनों पक्षों की मदद करता है, लेकिन उसका निर्णय अनिवार्य नहीं होता।
    • यह आमतौर पर औद्योगिक और व्यावसायिक विवादों में उपयोग होता है।
  • मध्यस्थता (Mediation)
    • इसमें एक मध्यस्थ (Mediator) दोनों पक्षों के बीच संवाद स्थापित कर समझौते में मदद करता है।
    • इसका उपयोग वैवाहिक विवादों, संपत्ति विवादों और सामुदायिक मामलों में किया जाता है।
  • लोक अदालत (Lok Adalat)
    • राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) द्वारा संचालित, यह तेजी से और कम खर्च में न्याय प्रदान करता है।
    • समझौते (Settlement) के आधार पर फैसला लिया जाता है, जो अदालती निर्णय की तरह मान्य होता है।
  • न्यायिक सुलह (Judicial Settlement)
    • अदालत द्वारा एक सुलह अधिकारी नियुक्त किया जाता है, जो पक्षों को समझौते के लिए प्रेरित करता है।
    • सिविल और वाणिज्यिक मामलों में उपयोगी।

ADR के लाभ:

  • तेजी से विवाद समाधान
  • कम खर्च और प्रक्रियात्मक सरलता
  • गोपनीयता बनी रहती है
  • पक्षों के बीच संबंध बेहतर होते हैं
  • अदालती बोझ कम होता है

भारत में ADR से जुड़े कानून:

  • आर्बिट्रेशन और कंसिलिएशन अधिनियम, 1996
  • विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987
  • संविधान का अनुच्छेद 39A – निःशुल्क कानूनी सहायता का अधिकार
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