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संयुक्त राष्ट्र चार्टर का अनुच्छेद 51 और आत्मरक्षा का अधिकार

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3: भारत से संबंधित अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार; भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों व राजनीति का प्रभाव; सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ एवं उनका प्रबंधन- संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच संबंध)

संदर्भ 

7 मई, 2025 को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में सीमापार आतंकी ठिकानों पर हमला किया। यह ऑपरेशन पहलगाम हमले के बाद किया गया। पाकिस्तान का आरोप है कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 51 का उल्लंघन किया है। 

क्या है संयुक्त राष्ट्र चार्टर का अनुच्छेद 51

  • प्रावधान : यदि संयुक्त राष्ट्र के किसी सदस्य राष्ट्र पर सशस्त्र हमला होता है, तो उसे व्यक्तिगत या सामूहिक आत्मरक्षा (स्वरक्षण) का स्वाभाविक अधिकार प्राप्त है। यह अधिकार तब तक लागू रहता है जब तक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् आवश्यक कदम नहीं उठाता है।   (Right to Self-Defence)
  • आवश्यक शर्तें : इसके तहत आत्मरक्षा की किसी भी कार्यवाही को तत्काल सुरक्षा परिषद को सूचित करना आवश्यक है। यह अधिकार सुरक्षा परिषद की शांति बहाल करने की प्राथमिक भूमिका को कमजोर नहीं करता है। यह कार्रवाई आत्मरक्षा में होनी चाहिए, न कि आक्रामकता में।
    • साथ ही, आत्मरक्षा की कार्रवाई प्रतिक्रियात्मक, तत्काल एवं अनुपातिक होनी चाहिए। यह तभी मान्य है जब वास्तविक सशस्त्र हमला हुआ हो। 
  • विवाद : अनुच्छेद 51 अंतर्राष्ट्रीय कानून में स्वरक्षण के अधिकार का आधार है। हालाँकि, इसका उपयोग कई बार विवादास्पद रहा है, जैसे- अमेरिका द्वारा 2001 में अफगानिस्तान में हमला।
    • भारत का दावा है कि यह कार्रवाई अनुच्छेद 51 के तहत आत्मरक्षा में की गई है।
  • जटिलताएँ : इसको लेकर जटिलता है कि क्या गैर-राज्य (Non-state) तत्वों (जैसे- आतंकवादी संगठन) द्वारा हमला अनुच्छेद 51 के तहत आत्मरक्षा के आधार हो सकते हैं। 
    • कुछ विद्वान व देश (जैसे- अमेरिका, इज़रायल) इसे मानते हैं जबकि कुछ देश व विद्वान इसे संप्रभुता का उल्लंघन मानते हैं जब तक कि आतंकी हमलों में राज्य की प्रत्यक्ष भागीदारी न हो।

भारत की हालिया सैन्य कार्रवाई (ऑपरेशन सिंदूर)

  • उद्देश्य : आतंकवादी ढांचे को समाप्त करना और संभावित घुसपैठ को रोकना
  • भारत का पक्ष : यह कार्रवाई सधी हुई व सीमित, गैर-उत्तेजक (Non-Escalatory), आनुपातिक (Proportionate) एवं जिम्मेदाराना थी।
  • पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: पाकिस्तान के अनुसार भारत ने संप्रभुता का उल्लंघन करने के साथ-साथ अनुच्छेद 51 का उल्लंघन किया है। अत: पाकिस्तान के पास जवाबी कार्रवाई का अधिकार सुरक्षित है।
  • चुनौतियाँ और कानूनी विवाद
    • क्या गैर-राज्य तत्वों द्वारा हमला भी सशस्त्र हमला माना जा सकता है?
    • क्या राज्य की निष्क्रियता (Inaction) को समर्थन माना जाए?
    • साक्ष्य (Evidence) की आवश्यकता कि हमला राज्य प्रायोजित था।
    • सुरक्षा परिषद् को सूचना देना और वैधानिक प्रक्रिया का पालन करना।

आत्मरक्षा के अधिकार का सिद्धांत (Doctrine of Right to Self-Defence)

  • आत्मरक्षा के अधिकार का सिद्धांत (Doctrine of Right to Self-Defence) अंतर्राष्ट्रीय कानून, युद्ध-विज्ञान (jus ad bellum) और संयुक्त राष्ट्र चार्टर की बुनियादी अवधारणाओं में से एक है। यह सिद्धांत किसी राष्ट्र को सशस्त्र हमले की स्थिति में अपने अस्तित्व, संप्रभुता एवं नागरिकों की रक्षा के लिए सशस्त्र प्रतिक्रिया देने का वैधानिक अधिकार देता है।
  • कैरोलिन सिद्धांत (Caroline Doctrine), 1837 के अनुसार किसी भी आत्मरक्षा को मान्य तभी माना जाएगा जब वह:
    • आसन्न खतरे (Imminent Threat) के विरुद्ध हो,
    • आवश्यक (Necessary) हो, और
    • अनुपातिक (Proportionate) हो।
  • आत्मरक्षा के प्रकार
    • व्यक्तिगत आत्मरक्षा : एक राष्ट्र द्वारा स्वयं की रक्षा हेतु की गई कार्रवाई
    • सामूहिक आत्मरक्षा : किसी सहयोगी राष्ट्र के समर्थन में की गई आत्मरक्षा
    • प्री-एम्पटिव स्ट्राइक (Pre-emptive Strike) : आसन्न (Imminent) खतरे के खिलाफ तत्काल प्रतिक्रिया।
    • प्रिवेंटिव स्ट्राइक (Preventive Strike): भविष्य में संभावित खतरे को रोकने के लिए अग्रिम प्रतिक्रिया।
      • प्राय: इसे विवादास्पद माना जाता है। 

प्री-एम्पटिव स्ट्राइक व प्रिवेंटिव स्ट्राइक में अंतर

पहलू

प्री-एम्पटिव स्ट्राइक

प्रिवेंटिव स्ट्राइक

आधार

ठोस संकेत कि हमला शीघ्र होने वाला है

अनुमान या रणनीतिक आशंक

वैधता 

सीमित वैधता— कुछ स्थितियों में अंतर्राष्ट्रीय कानून मानता है

सामान्यतः अवैध माना जाता है

उदाहरण

1967 में इज़राइल व अरब सहयोगियों के मध्य युद्ध (Six Day War)

2003 में अमेरिका का इराक पर हमला (Iraq WMD Theory)

समर्थन

कुछ स्थितियों में ‘आत्मरक्षा’ माना जा सकता है

प्राय: आक्रामक युद्ध माना जाता है

राज्य-प्रायोजित आतंकवाद 

  • जब कोई राष्ट्र आतंकवादी संगठनों को वित्तीय, सैन्य, लॉजिस्टिक या राजनीतिक समर्थन देता है। इसका उद्देश्य अस्थिरता फैलाना, प्रॉक्सी युद्ध, रणनीतिक दबाव बनाना होता है।
  • अनुच्छेद 51 व राज्य-प्रायोजित आतंकवाद के विरुद्ध आत्मरक्षा का अधिकार: अंतर

तत्व

अनुच्छेद 51

राज्य-प्रायोजित आतंकवाद के विरुद्ध आत्मरक्षा

आधार

किसी राज्य द्वारा सशस्त्र हमला

आतंकवादी समूहों द्वारा हमला जिनका समर्थन किसी राज्य द्वारा हो

लक्ष्य

परंपरागत रूप से राज्य या उसकी सैन्य शक्ति

आतंकवादी संगठन व उनके प्रशिक्षण/लॉजिस्टिक केंद्र

कानूनी स्थिति

स्पष्ट रूप से UN चार्टर में मान्यता प्राप्त

विवादास्पद, क्योंकि हमला गैर-राज्य तत्वों द्वारा होता है

राज्य की  भूमिका

हमलावर राज्य की स्पष्ट भागीदारी

हमला किसी राज्य के समर्थन या संरक्षण में होता है (indirect attribution)

उदाहरण

किसी देश द्वारा किसी अन्य देश पर सीधी सैन्य कार्रवाई

पाकिस्तान द्वारा आतंकी गुटों को समर्थन और भारत की स्ट्राइक

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्टिंग

तत्काल आवश्यक है

प्राय: अनुपस्थित या विवादित होती है

निष्कर्ष

  • भारत की कार्रवाई को विवादित वैधता (Contested Legality) कहा जा सकता है। यह अंतर्राष्ट्रीय कानून के कुछ हिस्सों के अनुसार वैध मानी जा सकती है। हालाँकि, इसकी पूर्ण वैधानिकता इस बात पर निर्भर करती है कि क्या पाकिस्तान आतंकियों को आश्रय दे रहा था और क्या भारत ने संयुक्त राष्ट्र को विधिवत रिपोर्ट दी है।
  • प्री-एम्पटिव स्ट्राइक को सीमित स्थितियों में आत्मरक्षा का हिस्सा माना जा सकता है, परंतु प्रिवेंटिव स्ट्राइक को प्राय: अनुच्छेद 2(4) का उल्लंघन माना जाता है क्योंकि यह राज्य की संप्रभुता पर आक्रमण के समान होती है। अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा को संतुलित करने के लिए इन दोनों अवधारणाओं की कानूनी स्पष्टता और सावधानीपूर्वक प्रयोग अत्यंत आवश्यक है।
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