(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह तथा भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार, भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय) |
संदर्भ
भारत ने स्थलीय बंदरगाहों के माध्यम से बांग्लादेश से होने वाले आयात, विशेष रूप से तैयार वस्त्रों (रेडीमेड गारमेंट्स) और अन्य निर्दिष्ट वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। यह कदम दोनों देशों के बीच व्यापारिक नीतियों व क्षेत्रीय भू-राजनीति में नए तनाव को दर्शाता है।
बांग्लादेश द्वारा निर्यात की वर्तमान स्थिति
- बांग्लादेश विश्व का दूसरा सबसे बड़ा तैयार वस्त्र निर्यातक देश है और भारत इसका एक प्रमुख बाजार है।
- बांग्लादेश से भारत को होने वाले 93% तैयार वस्त्र निर्यात स्थलीय बंदरगाहों (जैसे- हिली, बेनापोल, फुलबारी एवं चंगराबांधा) के माध्यम से होते हैं।
- कपड़ा उद्योग बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो कुल निर्यात में लगभग 80% और जी.डी.पी. में 16% योगदान देता है।
- हालाँकि, हाल के महीनों में बांग्लादेश ने भारतीय यार्न व चावल के आयात पर प्रतिबंध लगाकर व्यापारिक नीतियों में सख्ती दिखाई है।
भारत द्वारा बांग्लादेश के निर्यात पर रोक के बारे में
- 17 मई, 2025 को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्राला के तहत विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने एक अधिसूचना जारी कर बांग्लादेश से तैयार वस्त्रों और अन्य निर्दिष्ट वस्तुओं (जैसे- प्लास्टिक, लकड़ी का फर्नीचर, जूस, कार्बोनेटेड पेय, बेकरी उत्पाद, सूती धागा व रंग) के आयात पर त्रिपुरा, असम, मेघालय, मिजोरम एवं पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में स्थित स्थलीय सीमा शुल्क स्टेशनों (LCS) और एकीकृत चेक पोस्ट (ICP) के माध्यम से प्रतिबंध लगा दिया।
- अब बांग्लादेश से तैयार वस्त्र केवल कोलकाता एवं न्हावा शेवा (मुंबई) के समुद्री बंदरगाहों के माध्यम से आयात किए जा सकते हैं जहाँ इनकी अनिवार्य जाँच होगी।
- यह निर्णय बांग्लादेश द्वारा अप्रैल 2025 में भारतीय यार्न और चावल के आयात पर स्थलीय बंदरगाहों के माध्यम से लगाए गए प्रतिबंधों के प्रत्युत्तर में लिया गया है।
- भारत का यह कदम न केवल व्यापारिक जवाबी कार्रवाई है बल्कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार (जिसका नेतृत्व मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं) को एक राजनैतिक संदेश भी देता है।
- यूनुस की हालिया टिप्पणियों, जिसमें उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को ‘स्थलरुद्ध’ बताकर बांग्लादेश को क्षेत्रीय समुद्री पहुंच का संरक्षक बताया, ने भारत में विवाद को जन्म दिया है।
भारत पर प्रभाव
- स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा : पूर्वोत्तर राज्यों में निर्दिष्ट वस्तुओं पर प्रतिबंध से स्थानीय विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलेगा।
- असम, मेघालय, त्रिपुरा व मिजोरम में छोटे एवं मध्यम उद्यमों को कपड़ा, फर्नीचर, और खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों में अवसर मिल सकते हैं।
- आर्थिक प्रभाव : बांग्लादेश से आयात पर निर्भरता कम होने से भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी किंतु अल्पकालिक रूप से आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और कुछ वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हो सकती है।
- भू-राजनीतिक संदेश : यह कदम बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को भारत के साथ व्यापार एवं कूटनीति में संतुलित दृष्टिकोण अपनाने का संदेश देता है।
बांग्लादेश पर प्रभाव
- निर्यात में कमी : बांग्लादेश का लगभग 93% तैयार वस्त्र निर्यात भारत को स्थलीय बंदरगाहों के माध्यम से होता है। इस प्रतिबंध से बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था के एक प्रमुख आधार ‘कपड़ा उद्योग’ को गंभीर नुकसान हो सकता है।
- लागत में वृद्धि : समुद्री बंदरगाहों के उपयोग व अनिवार्य निरीक्षण से परिवहन लागत एवं समय में वृद्धि होगी, जिससे बांग्लादेशी निर्यातक कम प्रतिस्पर्धी हो सकते हैं।
- राजनैतिक तनाव : यह कदम दोनों देशों के बीच राजनैतिक तनाव को बढ़ा सकता है, विशेष रूप से तब जब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार भारत के साथ व्यापारिक एवं कूटनीतिक संबंधों को सामान्य करने का प्रयास कर रही है।
आगे की राह
- द्विपक्षीय वार्ता : भारत एवं बांग्लादेश को व्यापारिक प्रतिबंधों को हल करने के लिए तत्काल द्विपक्षीय वार्ता शुरू करनी चाहिए।
- स्थानीय विनिर्माण को प्रोत्साहन : भारत को पूर्वोत्तर राज्यों में कपड़ा, फर्नीचर एवं खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाना चाहिए।
- वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखला : बांग्लादेश पर निर्भरता कम करने के लिए भारत को अन्य देशों (जैसे- वियतनाम, श्रीलंका) से आयात व घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिए।
- क्षेत्रीय सहयोग : दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) और बिम्सटेक जैसे मंचों का उपयोग कर भारत एवं बांग्लादेश क्षेत्रीय व्यापार व कनेक्टिविटी को मजबूत कर सकते हैं।
- राजनैतिक स्थिरता : भारत को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के साथ कूटनीतिक संवाद बढ़ाना चाहिए ताकि दोनों देशों के बीच विश्वास बहाल हो और व्यापारिक तनाव कम हो।
स्थलीय बंदरगाह (लैंड पोर्ट)
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अवस्थिति
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हिली लैंड पोर्ट
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दक्षिण दिनाजपुर (पश्चिम बंगाल)
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बेनोपोल लैंड पोर्ट
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बांग्लादेश
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फुलबारी लैंड पोर्ट
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जलपाईगुड़ी (पश्चिम बंगाल)
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चंगराबांधा लैंड पोर्ट
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कूचबिहार (पश्चिम बंगाल)
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नोट- भारत के उत्तरी चौबीस परगना में स्थित ‘पेट्रोपोल’ दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा लैंड पोर्ट है जिसे ‘मैत्री द्वार’ भी कहते हैं।
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