(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान व निकाय) |
संदर्भ
हाल ही में संपन्न असम के बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद् (BTC) के चुनावों में 72% से अधिक मतदान हुआ।
बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद् निर्वाचन का महत्त्व
- हालिया चुनाव बोडो समुदाय को स्वायत्तता प्रदान करने के लिए बोडो समझौते के तहत बनाए गए बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र में स्थानीय शासन का निर्धारण करते हैं।
- उच्च मतदान दर वर्षों के जातीय संघर्ष के बाद क्षेत्र में राजनीतिक लामबंदी, जमीनी स्तर पर भागीदारी एवं स्थिरता को दर्शाता है।
- ये चुनाव वर्ष 2020 के बोडो शांति समझौते के बाद केंद्र तथा असम सरकार के इस क्षेत्र में शांति व विकास पर निरंतर ध्यान केंद्रित करने को भी उजागर करते हैं।
- यह असम के आदिवासी क्षेत्रों में लोकतांत्रिक संस्थाओं में बढ़ते विश्वास, शांति की मजबूती और विकसित होती राजनीतिक गतिशीलता का संकेत देता है।
बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद् के बारे में
- उत्तर-पूर्व में छठी अनुसूची के तहत 10 जनजातीय परिषदें हैं।
- इसमें असम, मेघालय एवं मिज़ोरम में तीन-तीन और त्रिपुरा में एक जनजातीय परिषद् का गठन किया गया है।
- बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद का गठन भारत के संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत वर्ष 2003 में भारत सरकार, असम सरकार और बोडो लिबरेशन टाइगर्स के बीच 10 फ़रवरी 2003 को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के बाद किया गया था।
- असम की दो परिषदें ‘कार्बी आंगलोंग स्वायत्त जिला परिषद’ और ‘दीमा हसाओ स्वायत्त जिला परिषद’ वर्ष 2003 में बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद के गठन से पाँच दशक पहले स्थापित की गई थीं।
- बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद उत्तरी एवं पश्चिमी असम के पाँच ज़िलों वाले बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र का प्रशासन करती हैं।
- छठी अनुसूची में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के लिए विशेष प्रावधान हैं, जो स्वायत्त परिषदों को अपने अधिकार क्षेत्र में भूमि, वन एवं स्थानीय शासन का प्रबंधन करने का अधिकार देते हैं।
- हालाँकि, इन परिषदों को प्राय: संसाधनों, बुनियादी ढाँचे की कमी व प्रशासनिक बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
उद्देश्य
- बोडो लोगों की आर्थिक, शैक्षिक एवं भाषाई आकांक्षाओं को पूरा करना
- भूमि अधिकारों, सामाजिक-सांस्कृतिक और जातीय पहचान का संरक्षण करना
- बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र में बुनियादी ढाँचे को गति प्रदान करना
- इसके तहत शिक्षा, भूमि अधिकारों के संरक्षण, भाषाई आकांक्षा, संस्कृति एवं बोडो लोगों की जातीयता तथा विकास पर विशेष ध्यान देना
इसे भी जानिए!
- असम में बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र संविधान की छठी अनुसूची के तहत अपने भूमि अभिलेखों का पूर्ण डिजिटलीकरण करने वाला पहला जनजातीय परिषद बन गया है।
- 8,970 किमी2 के इस क्षेत्र में में 15 लाख से ज़्यादा भूमि दस्तावेज़ों का डिजिटलीकरण हो चुका है।
- भूमि सीमाओं की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए भौगोलिक सूचना प्रणाली मानचित्रण को एकीकृत किया गया।
- नया डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म किसानों, भूस्वामियों एवं नागरिकों को कियोस्क, मोबाइल एप्लिकेशन व वेब पोर्टल के माध्यम से भूमि की स्थिति की जाँच करने की अनुमति देता है।
- अभिलेखों का डिजिटलीकरण पारदर्शिता सुनिश्चित करने के साथ ही भ्रष्टाचार, जालसाजी एवं संघर्ष की संभावनाओं को कम कर रहा है।
मिशन बिस्मवुथी 2.0
- मिशन बिस्मवुथी 2.0 के तहत 9,000 छोटे चाय उत्पादकों और रबर किसानों सहित 47,000 स्वदेशी भूमिहीन परिवारों को भूमि अधिकार प्रदान किए गए।
- मिशन बिस्मवुथी के पहले चरण में 2.11 लाख से अधिक आवेदनों का निपटारा किया गया।
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