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बोडोलैंड टेरिटोरियल परिषद: पृष्ठभूमि, संरचना एवं कार्य

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2: सांविधिक, विनियामक और विभिन्न अर्द्ध-न्यायिक निकाय।)

संदर्भ

असम के बोडोलैंड क्षेत्र में हाल ही में बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बी.टी.सी.) के चुनावों में बॉडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बी.पी.एफ.) ने 40 सीटों में से 28 सीटें जीतकर परिषद में स्पष्ट बहुमत हासिल किया है।

बोडोलैंड टेरिटोरियल परिषद के बारे में

  • बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बी.टी.सी.) असम के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (बी.टी.आर) का एक स्वायत्त प्रशासनिक निकाय है। 
    • इसका मुख्यालय कोकराझार में स्थित है।
  • बी.टी.आर. क्षेत्र ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी तट पर भूटान और अरुणाचल प्रदेश की तलहटी में फैला हुआ है, जो बाकोसा, चिरांग, कोकराझार, तमुलपुर और उदालगुड़ी के पांच जिलों को कवर करता है। 
  • बी.टी.आर. में लगभग 3,082 गांव हैं और यह बोडो समुदाय की सांस्कृतिक, भाषाई और आर्थिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए स्थापित किया गया है। 
  • बोडो, जो असम के अनुसूचित जनजातियों में सबसे बड़ा समूह है (लगभग 5-6% आबादी), यहां की प्रमुख जनजाति है। 
  • यह परिषद क्षेत्रीय विकास, भूमि अधिकारों की रक्षा और बोडो पहचान के संरक्षण पर केंद्रित है।

स्थापना : पृष्ठभूमि

  • बी.टी.सी. की स्थापना 10 फरवरी 2003 को भारत सरकार, असम सरकार और बोडो लिबरेशन टाइगर्स (बी.एल.टी.) के बीच हस्ताक्षरित शांति समझौते के तहत हुई।
  • यह बोडो आंदोलन का परिणाम था, जो वर्ष 1987 में ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (ए.बी.एस.यू.) द्वारा अलग राज्य की मांग से शुरू हुआ।
  • इससे पहले, वर्ष 1993 के बोडो समझौते से बोडोलैंड ऑटोनॉमस काउंसिल (बी.ए.सी.) बनी, लेकिन यह असंतोषजनक साबित हुई।
  • वर्ष 2003 के समझौते ने बी.टी.सी. को संवैधानिक दर्जा दिया, और 7 दिसंबर 2003 से कार्य करना शुरू किया। इसका पहला चुनाव वर्ष 2005 में हुआ। 
  • वर्ष 2020 के बोडो शांति समझौते ने इसे और मजबूत किया, जिसमें क्षेत्र विस्तार, अधिक शक्तियां और कार्यकारी समिति में 60 सदस्यों का विस्तार शामिल है।

संवैधानिक प्रावधान

  • बी.टी.सी. भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के प्रावधानों के तहत कार्य करता है, जो असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के आदिवासी क्षेत्रों के लिए स्वायत्त जिला परिषदों की स्थापना की अनुमति देता है। 
  • यह अनुसूची (अनुच्छेद 244(2) और 275(1)) विकेंद्रीकृत स्वशासन, स्थानीय रीति-रिवाजों के आधार पर विवाद समाधान और जनजातीय कल्याण सुनिश्चित करती है। 
  • वर्ष 2003 और 2020 के शांति समझौते ने इसे संशोधित छठी अनुसूची के तहत विशेष शक्तियां प्रदान कीं, जैसे विधायी, कार्यकारी और वित्तीय स्वायत्तता। 
  • गवर्नर अनिर्वाचित समुदायों से 6 सदस्य नामित करता है (जिनमें 2 महिलाएं)। 
  • यह बी.टी.सी. को राज्य के भीतर एक स्वायत्त इकाई बनाता है, जो भूमि, वन, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि पर नियंत्रण रखती है।

संरचना

बी.टी.सी. की संरचना विधायी और कार्यकारी दोनों स्तरों पर है:

  • विधायी परिषद: 40 निर्वाचित सदस्य (35 अनुसूचित जनजातियों/गैर-जनजातीय के लिए आरक्षित, 5 सामान्य) और 6 गवर्नर द्वारा नामित। स्पीकर और डिप्टी स्पीकर द्वारा संचालित।
  • कार्यकारी समिति: चीफ एक्जीक्यूटिव मेम्बर (सी.ई.एम.) के नेतृत्व में; डिप्टी सीईएम और अन्य सदस्य। वर्ष 2020 के समझौते से सदस्यता 60 तक बढ़ाई जा सकती है।

भूमिका और कार्य

  • विकास योजनाएं: शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई, बुनियादी ढांचा (सड़क, बिजली) का प्रबंधन।
  • भूमि और वन संरक्षण: जनजातीय भूमि अधिकारों की रक्षा, वन संसाधनों का नियमन।
  • सांस्कृतिक संरक्षण: बोडो भाषा, परंपराओं और जातीय पहचान को बढ़ावा।
  • वित्तीय प्रबंधन: दो बजट- हस्तांतरित विषयों के लिए एंट्रस्टेड बजट (ग्रांट नंबर 78) और स्वयं का नॉर्मल बजट। राज्य विधानसभा और परिषद द्वारा अनुमोदित।
  • अन्य: स्थानीय कानून बनाना, विवाद समाधान, जनजातीय कल्याण योजनाएं।

असम राज्य की स्थापना 

  • भौगोलिक और ऐतिहासिक संदर्भ:
    • असम पूर्वोत्तर भारत का प्रमुख राज्य, ब्रह्मपुत्र घाटी में स्थित।
    • ऐतिहासिक रूप से यह क्षेत्र अहोम शासन (1228-1826) के अधीन था।
  • ब्रिटिश कालीन प्रभाव:
    • वर्ष 1826 में यांडबू संधि के बाद अहोम साम्राज्य का अंत हुआ और असम अंग्रेज़ों के अधीन आया।
    • वर्ष 1874 में असम को अलग प्रांत का दर्जा मिला।
  • संवैधानिक और प्रशासनिक सुधार:
    • वर्ष 1947 में स्वतंत्रता के समय असम भारतीय संघ का हिस्सा बना।
    • प्रारंभ में इसमें सिक्किम, नॉर्थ-ईस्टर्न हिल्स और मिजोरम जैसे क्षेत्रों का प्रशासन शामिल था।
  • राज्य के गठन के लिए प्रमुख कारण:
    • राजनीतिक और प्रशासनिक पहचान की मांग।
    • भाषाई और सांस्कृतिक संरक्षण की आवश्यकता।
    • पूर्वोत्तर क्षेत्र के अलग प्रशासनिक ढांचे की आवश्यकता।
  • राज्य स्थापना की तिथि
    • 26 जनवरी 1950 को असम भारतीय गणराज्य का पूर्ण राज्य बना।
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