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एच.आई.वी. स्ट्रेनों को व्यापक रूप से निष्क्रिय करने वाले एंटीबॉडी

(प्रारंभिक परीक्षा: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी)

संदर्भ 

एक हालिया अध्ययन के अनुसार भारत में प्रसारित कई एचआईवी-1 स्ट्रेन दुनिया के कुछ सबसे प्रभावी व्यापक रूप से निष्क्रिय करने वाले एंटीबॉडी (Broadly Neutralising Antibodies: bnAbs) के प्रति प्रतिरोध प्रदर्शित करते हैं।

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष 

व्यापक रूप से निष्क्रिय करने वाले एंटीबॉडी (bnAbs) 

  • ये वायरस के संरक्षित क्षेत्रों को लक्षित करके विभिन्न एच.आई.वी. प्रकारों को निष्क्रिय करने में सक्षम विशेष एंटीबॉडी हैं।
  • ये एच.आई.वी. उपचार, रोकथाम एवं टीका डिज़ाइन के लिए आशाजनक माने जाते हैं।
  • शोधकर्ताओं ने पाया है कि एच.आई.वी. के भारतीय प्रकारों को वायरस के V3 ग्लाइकेन को लक्षित करने वाले bNAbs द्वारा सबसे प्रभावी ढंग से निष्प्रभावी किया गया। 
    • वायरल स्पाइक प्रोटीन के V1/V2 शीर्ष पर लक्षित एंटीबॉडी बहुत कम प्रभावी थे।

भारत में bnAbs की स्थिति 

  • कई भारतीय एचआईवी-1 स्ट्रेन वैश्विक स्तर पर उपयोग किए जाने वाले bnAbs के प्रति कम संवेदनशीलता प्रदर्शित करते हैं।
  • यह दर्शाता है कि क्षेत्र-विशिष्ट एच.आई.वी. प्रकार bnAbs उपचारों की सार्वभौमिक प्रयोज्यता को सीमित कर सकते हैं।
  • वैज्ञानिकों ने BG18, N6 एवं PGDM1400 नामक तीन bNAbs का एक नया कॉकटेल प्रस्तावित किया, जिसके बारे में उनका अनुमान है कि यह परिसंचारी भारतीय HIV-1 स्ट्रेन के एक बड़े हिस्से को उच्च दक्षता के साथ निष्क्रिय कर सकता है। 
  • ऐसे तर्कसंगत संयोजन वायरस की व्यक्तिगत एंटीबॉडी से बचने की क्षमता पर काबू पाने में मदद कर सकते हैं।

भारत के लिए अध्ययन का महत्त्व  

  • भारत में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी एच.आई.वी. महामारी है (दक्षिण अफ्रीका एवं नाइजीरिया के बाद)।
  • यू.एन. एड्स के 95-95-95 लक्ष्यों (95% निदान, 95% उपचार पर, 95% विषाणु-दमन) को प्राप्त करने के लिए उपचार एवं रोकथाम रणनीतियों की प्रभावशीलता सुनिश्चित करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

नीति एवं अनुसंधान के निहितार्थ

  • भारतीय एच.आई.वी. अनुसंधान एवं निगरानी को सुदृढ़ बनाना
  • क्षेत्र-विशिष्ट bnAb विकास के लिए वैश्विक पहलों के साथ सहयोग करना
  • उन्नत प्रतिरक्षा चिकित्सा पद्धतियों की खोज करते हुए एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART) पर ध्यान केंद्रित करना

चुनौतियाँ

  • विषाणु विविधता टीके के विकास को जटिल बनाती है।
  • बेहतर प्रभावकारिता के लिए bnAbs को क्षेत्रीय उपभेदों के अनुरूप बनाया जाना चाहिए।

आगे की राह

  • स्वदेशी जैव चिकित्सा अनुसंधान में निवेश करना
  • भारतीय आबादी के लिए अनुकूलित किफायती bnAb-आधारित चिकित्साएँ विकसित करना
  • एच.आई.वी. रोकथाम, जागरूकता एवं ART कार्यक्रमों को मज़बूत बनाए रखना
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