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कैलोरी गणना: विकासक्रम एवं वैज्ञानिक पहलू

(प्रारंभिक परीक्षा: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)

संदर्भ

कैलोरी की गिनती आज खानपान और स्वास्थ्य की दुनिया में बहुत आम है। हर खाद्य पैकेट पर लिखा कैलोरी का नंबर हमें बताता है कि उसमें कितनी ऊर्जा है। 

कैलोरी से तात्पर्य

  • कैलोरी एक माप है जो बताती है कि खाना खाने से हमें कितनी ऊर्जा मिलती है। 
  • यह ऊर्जा हमारे शरीर को चलाने, सांस लेने, चलने-फिरने और सोचने जैसे कामों के लिए जरूरी है। 
  • एक कैलोरी वह ऊर्जा है जो 1 ग्राम पानी का तापमान 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ाने में लगती है। 
  • खाद्य पैकेट पर लिखी "कैलोरी (C)" वास्तव में किलो-कैलोरी होती है, यानी 1,000 छोटी कैलोरी (cal)। 
    • इस भ्रम से बचने के लिए, पोषण और स्वास्थ्य संबंधी चर्चाओं में "कैलोरी" शब्द का उपयोग किलो-कैलोरी के लिए ही किया जाता है। उदाहरण के लिए, एक सेब (100 gm) में लगभग 52 कैलोरी (या किलो कैलोरी) होती हैं।
  • वैज्ञानिक रूप से 1 किलो-कैलोरी (kcal) 1,000 कैलोरी (cal) के बराबर होती है। 

कैलोरी गणना : संक्षिप्त इतिहास

  • 1780 का दशक: फ्रांसीसी वैज्ञानिक एंटोआन लावोआजिए और पियरे-सिमोन लाप्लास ने आइस कैलोरीमीटर बनाया। उन्होंने गिनी पिग की ऊष्मा मापी और कैलोरी शब्द पेश किया, जो लैटिन के "कैलर" (ऊष्मा) से आया।
  • 1840 का दशक: जर्मन वैज्ञानिक जस्टस वॉन लीबिग ने कुपोषण से निपटने के लिए बीफ एक्सट्रैक्ट (आज का ऑक्सो क्यूब) बनाया। उनके छात्र मैक्स रुबनर ने खाद्य पदार्थों (प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट) की ऊर्जा मापी।
  • 1890 का दशक: अमेरिकी वैज्ञानिक विल्बर ओलिन एटवाटर ने जर्मनी से सीखकर सैकड़ों खाद्य पदार्थों की कैलोरी गिनी। उन्होंने "किलो-कैलोरी" को खाद्य लेबल का हिस्सा बनाया, जो आज भी अमेरिका में इस्तेमाल होता है।
  • 1920 का दशक: अमेरिकी डॉक्टर लुलु हंट पीटर्स ने अपनी किताब "डाइट एंड हेल्थ" में कैलोरी गिनने को फैशनेबल बनाया। उन्होंने इसे पतले, आधुनिक "फ्लैपर" लुक से जोड़ा, जिसने खानपान को गणित का हिस्सा बना दिया।
  • गणना का उद्देश्य: कैलोरी गिनना पहले सामाजिक नियंत्रण के लिए था। सरकारें कैदियों, मजदूरों और गरीबों को कम खर्च में पर्याप्त ऊर्जा देना चाहती थीं, जैसे स्कूलों, सेना और वर्कहाउस में।

इसके पीछे का विज्ञान

  • शरीर खाने को तोड़कर उसमें मौजूद प्रोटीन, वसा (फैट) और कार्बोहाइड्रेट से ऊर्जा निकालता है। यह प्रक्रिया चयापचय (मेटाबॉलिज्म) कहलाती है। 
  • वैज्ञानिक रूप से, कैलोरी ऊष्मा (हीट) का माप है। 
  • 1780 के दशक में फ्रांसीसी वैज्ञानिक एंटोआन लावोआजिए ने साबित किया कि सांस लेना एक तरह का दहन (कंबस्शन) है, जैसे आग जलना। 
  • उन्होंने एक गिनी पिग पर प्रयोग करके दिखाया कि जीवित प्राणी ऊष्मा पैदा करते हैं, जिसे कैलोरी में मापा जा सकता है। 
  • बाद में, वैज्ञानिकों ने पाया कि अलग-अलग खाद्य पदार्थ अलग-अलग मात्रा में ऊर्जा देते हैं, जैसे:
    • 1 ग्राम प्रोटीन = 4 कैलोरी
    • 1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट = 4 कैलोरी
    • 1 ग्राम वसा = 9 कैलोरी
  • हालांकि, हर व्यक्ति का शरीर इस ऊर्जा को अलग तरीके से उपयोग करता है, जो जीन, आंत के बैक्टीरिया और खाना पकाने के तरीके पर निर्भर करता है।

मानव शरीर की कैलोरी जरूरतें

शरीर को रोजाना ऊर्जा की जरूरत उम्र, लिंग, वजन, गतिविधि और स्वास्थ्य पर निर्भर करती है। औसतन:

  • पुरुषों को: 2,000-2,500 कैलोरी/दिन
  • महिलाओं को: 1,600-2,000 कैलोरी/दिन
  • बच्चे और किशोर: 1,400-3,200 कैलोरी (उम्र के हिसाब से)
  • गर्भवती महिलाएं: अतिरिक्त 300-500 कैलोरी

यह ऊर्जा तीन मुख्य कार्य करती है:

  1. बेसल मेटाबॉलिक रेट (BMR): सांस लेने, दिल धड़कने जैसे बुनियादी कामों के लिए 60-70% कैलोरी।
  2. शारीरिक गतिविधि: चलना, व्यायाम आदि के लिए 20-30%।
  3. खाना पचाना: 10% कैलोरी पाचन में खर्च होती हैं।

मानव शरीर में पोषक तत्व

  • खाद्य पदार्थों में तीन मुख्य पोषक तत्व ऊर्जा देते हैं:
    • प्रोटीन (4 कैलोरी/ग्राम): मांसपेशियां, त्वचा और हार्मोन बनाने में मदद करता है। स्रोत: दाल, अंडा, चिकन।
    • कार्बोहाइड्रेट (4 कैलोरी/ग्राम): तुरंत ऊर्जा देता है। स्रोत: चावल, रोटी, फल।
    • वसा (9 कैलोरी/ग्राम): लंबे समय तक ऊर्जा और विटामिन अवशोषण में मदद। स्रोत: तेल, मक्खन, बादाम।
  • इसके अलावा, विटामिन, खनिज (जैसे कैल्शियम, आयरन) और पानी भी जरूरी हैं, लेकिन ये कैलोरी नहीं देते। 
  • हर 200 कैलोरी अलग-अलग खाद्य पदार्थों में अलग प्रभाव डालती है। 
    • जैसे, 200 कैलोरी बादाम धीरे-धीरे ऊर्जा देता है, जबकि 200 कैलोरी कोल्ड ड्रिंक तेजी से अवशोषित होती है, लेकिन कम पोषण देती है।
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