(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।) |
संदर्भ
12-14 अक्टूबर 2025 को कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद की भारत यात्रा ने संबंधों को नई दिशा दी है।

पृष्ठभूमि
- भारत और कनाडा के बीच संबंध वर्ष 2023 से तनावपूर्ण थे, जब कनाडा ने एक खालिस्तानी कार्यकर्ता की हत्या में भारतीय एजेंटों का आरोप लगाया।
- लेकिन वर्ष 2025 में नई सरकार के साथ सुधार शुरू हुआ।
- जून 2025 में जी7 शिखर सम्मेलन में कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात से गति मिली।
कनाडा विदेश मंत्री की भारत यात्रा के बारे में
- यात्रा का उद्देश्य संबंधों को बहाल करना और नई साझेदारी का रोडमैप बनाना था।
- कनाडा के हिन्द-प्रशांत रणनीति का हिस्सा होने से यह यात्रा क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाएगी।
- यह यात्रा सुरक्षा मुद्दों को अलग रखते हुए आर्थिक और तकनीकी सहयोग पर केंद्रित रही।
मुख्य बिंदु
- संयुक्त वक्तव्य शीर्षक: "नई साझेदारी की दिशा में गति बहाल करना" (Renewing momentum towards a stronger partnership)।
- चर्चा: ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और खाद्य सुरक्षा पर चर्चा की गई। मुंबई में निवेशकों से मिलकर आर्थिक अवसर तलाशे गए।
- ए.आई. शिखर सम्मेलन का निमंत्रण: भारत ने फरवरी 2026 (19-20) में नई दिल्ली के ए.आई. इम्पैक्ट समिट के लिए मार्क कार्नी को आमंत्रित किया।
- व्यापार आंकड़े: वर्ष 2024 में द्विपक्षीय व्यापार 33.9 अरब डॉलर (कनाडा के निर्यात 5.3 अरब डॉलर) पहुंचा। भारत कनाडा का सातवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार।
संबंधो का महत्त्व
- भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में चौथा स्थान लेने वाला है, जबकि कनाडा प्राकृतिक संसाधनों (क्रिटिकल मिनरल्स, ऊर्जा) में मजबूत है।
- वर्ष 2024 का व्यापार 33.9 अरब डॉलर; नौकरियां और विकास में वृद्धि।
- वैश्विक चुनौतियों जैसे जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा सुरक्षा और ए.आई. में साझेदारी भारत को नेट जीरो लक्ष्य (2070) और 500 GW नवीकरणीय ऊर्जा (2030) प्राप्ति में मदद।
- कनाडा के लिए यह उसकी इंडो-पैसिफिक रणनीति को मजबूत बनाएगा।
- दोनों लोकतंत्रों के बीच मजबूत संबंध क्षेत्रीय स्थिरता, आपूर्ति श्रृंखलाओं की विश्वसनीयता और वैश्विक बहुपक्षीय संस्थाओं (जैसे जी20) में सहयोग बढ़ाएंगे।
- 1.7 मिलियन भारतीय मूल के कनाडाई लोगों के लिए यह सांस्कृतिक पुल का काम करेगा।
चुनौतियां
- सुरक्षा और विश्वास की कमी: वर्ष 2023 की हत्या आरोपों से उपजे तनाव अभी बाकी हैं। कानून प्रवर्तन संवाद जारी है, लेकिन संप्रभुता उल्लंघन की आशंका बनी हुई।
- व्यापार बाधाएं: पुराने CEPA प्रयास विफल रहे; नई शुरुआत में टैरिफ, बाजार पहुंच और संवेदनशील क्षेत्रों (कृषि, डेयरी) पर असहमति।
- क्षमता समस्या: दूतावासों में कर्मचारियों की कमी से वीजा, व्यापार सेवाएं प्रभावित।
- वैश्विक दबाव: अमेरिकी टैरिफ से व्यापार विविधीकरण जरूरी, लेकिन भू-राजनीतिक तनाव (चीन, रूस) चुनौती।
- क्षेत्रीय असमानता: कुछ कनाडाई प्रांतों में राजनीतिक विरोध, भारत में खालिस्तानी मुद्दे पर घरेलू दबाव।
आगे की राह
- सुरक्षा संवाद मजबूत: नियमित उच्च-स्तरीय बैठकें जारी रखें, पारदर्शिता बढ़ाएं ताकि विश्वास बहाल हो।
- व्यापार टाइमलाइन: मंत्रिस्तरीय चर्चा में स्पष्ट समयसीमा तय करें, CEPA को नई संरचना दें, प्राथमिकता क्षेत्रों (क्लीन एनर्जी, एआई) पर फोकस।
- क्षमता निर्माण: दूतावासों में विशेषज्ञ तैनात करें (आर्थिक, रक्षा, तकनीक), वीजा प्रक्रिया तेज करें।
- जागरूकता अभियान: लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए शिक्षा, पर्यटन और सांस्कृतिक कार्यक्रम चलाएं।
- बहुपक्षीय सहयोग: जी20, यूएन जैसे मंचों पर मिलकर काम करें, जलवायु और ऊर्जा लक्ष्यों में सहयोग की आवश्यकता है।