Art and Culture 20-Dec-2025
सिनेमा को प्राय: सातवीं कला कहा जाता है। भारत में सिनेमा एक प्रमुख सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था के रूप में कार्य करता है जो लोगों के विचारों को आकार देता है, सामाजिक मानदंडों को प्रभावित करता है और क्षेत्रों व वर्गों में विविधता को दर्शाता है।
Art and Culture 17-Dec-2025
हाल ही में, छत्तीसगढ़ के जगदलपुर स्थित जुडिया पारा में आयोजित एक ग्रामोत्सव के दौरान दंडामी मड़िया (Dandami Maria) जनजाति के लोगों ने अपने पारंपरिक बाइसन हॉर्न (गौर सिंग) मारिया नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति दी, जिसने स्थानीय संस्कृति की समृद्ध परंपराओं को उजागर किया।
Art and Culture 16-Dec-2025
पेरुम्बिडुगु मुथारैयार द्वितीय, जिन्हें सुवरन मारन और शत्रुभयंकर भी कहा जाता है, 8वीं शताब्दी (लगभग 705–745 ईस्वी) के एक प्रभावशाली दक्षिण भारतीय शासक थे।
Art and Culture 13-Dec-2025
यूनेस्को ने हाल ही में पाकिस्तान के पारंपरिक वाद्य यंत्र ‘बोरींडो’ (Boreendo) को अपनी ‘तत्काल संरक्षण आवश्यकता वाली अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची’ में स्थान दिया है।
Art and Culture 10-Dec-2025
भारत द्वारा 8 से 13 दिसंबर, 2025 तक नई दिल्ली में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए यूनेस्को अंतर-सरकारी समिति के 20वें सत्र की मेजबानी की जा रही है।
Art and Culture 08-Dec-2025
भारत 8 से 13 दिसंबर 2025 तक नई दिल्ली में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए यूनेस्को अंतर-सरकारी समिति के 20वें सत्र की मेज़बानी करेगा।
Art and Culture 03-Dec-2025
काशी तमिल संगमम 4.0 का आयोजन 2 दिसंबर 2025 से 15 दिसंबर 2025 तक वाराणसी में आयोजित किया गया।
Art and Culture 02-Dec-2025
हाल ही में असम के चराइदेव मोइदम्स को आधिकारिक तौर पर यूनेस्को विश्व धरोहर सूची (Cultural Category) में शामिल किया गया है। यह निर्णय विश्व धरोहर समिति (WHC) के 46वें सत्र में लिया गया, जिसका आयोजन नई दिल्ली में हुआ।
Art and Culture 02-Dec-2025
भारतीय कला परंपरा में नृत्य केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं, बल्कि आध्यात्मिक अनुभूति, सांस्कृतिक निरंतरता और सौंदर्यशास्त्र का जीवंत रूप है। भारत में शास्त्रीय नृत्य की अवधारणा “नाट्यशास्त्र” पर आधारित है, जिसे महर्षि भरतमुनि ने लगभग 2वीं शताब्दी ई.पू. में लिखा था।
Art and Culture 01-Dec-2025
भारतीय कठपुतली कला देश की प्राचीन परंपरा का अभिन्न अंग है। यह केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि सामाजिक संदेश, लोककथाएँ, धार्मिक प्रसंग और सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने का माध्यम है। भारत में कठपुतली की विविध शैलियाँ चार मुख्य श्रेणियों में विभाजित की जाती हैं—धागा (String), छाया (Shadow), दस्ताना (Glove), और छड़ (Rod) पुतली।
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