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विवादित क्षेत्र पारासेल और स्प्रैटली द्वीप पर हवाई पट्टी बना रहा चीन

प्रारम्भिक परीक्षा –विश्व का भूगोल
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन पेपर-1 और 3

चर्चा में क्यों है ?

  • चीन विवादित दक्षिण चीन सागर के उस द्वीप पर एक हवाई पट्टी का संभवतः निर्माण कर रहा है, जिस पर वियतनाम और ताइवान भी दावा करते हैं।

Spratly-Islands

प्रमुख बिंदु

  • उपग्रह से प्राप्त तस्वीरों से यह जानकारी सामने आई है। पारासेल द्वीप समूह के ट्राइटन द्वीप पर जारी कार्य स्प्रैटली द्वीप समूह पर सात मानवनिर्मित द्वीपों के निर्माण की तरह ही प्रतीत होता है।
  • ये मानव निर्मित द्वीप हवाईपट्टियों, गोदी(Dock) और सैन्य प्रणालियों से युक्त हैं। ट्राइटन द्वीप पर निर्माण कार्य का पैमाना अभी उतना व्यापक प्रतीत नहीं होगा।
  • चीन लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है, वह इस पर अन्य देशों के दावों को खारिज करता है और उसके दावे को अमान्य करार देने वाले अंतर्राष्ट्रीय फैसले की अवहेलना करता है।
  • प्लैनेट लैब्स पीबीसी'से मिली उपग्रह तस्वीरों का विशेषण किया गया इन तस्वीरों में हवाई पट्टी का निर्माण कार्य अगस्त की शुरुआत में होता दिख रहा है। समाचार वेबसाइट द ड्राइव' ने उपग्रह तस्वीरों को लेकर सबसे पहले जानकारी दी।

क्या है दक्षिण चीन सागर विवाद

south-china-sea-dispute

  • दक्षिण चीन सागर के क्षेत्रों को लेकर कई प्रतिद्वंद्वी देशों के बीच दशकों से विवाद है। यह विवाद समुद्री क्षेत्र पर अधिकार और संप्रभुता को लेकर है।
  • चीन एवं दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों(वियतनाम , इंडोनेशिया , मलेशिया, ब्रूनेई, फिलीपींस आदि ) के बीच दक्षिण चीन सागर के विभिन्न क्षेत्रों एवं यहाँ स्थितपारासेल और स्प्रैटली द्वीपों को लेकर विवाद है।
  • चीन ने दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के अनन्य आर्थिक क्षेत्र में अतिक्रमण कर वहां अपनी संप्रभुता के दावों के लिए नौ स्थानों पर डैश या चिन्ह लगाकर विवाद को बढ़ा दिया है, इसलिए इस विवाद को ‘नाइन डैश लाइन’ विवाद भी कहते हैं ।
  • चीन का नाइन डैश लाइन ‘यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑफ द लॉ ऑफ द सी , 1982’ के ‘एक्सक्लूसिव इकनॉमिक जोन’ की मान्यता का खंडन करता है ।
  • इसके अतिरिक्त, चीन की निगाह दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के ईईजेड और साउथ चाइना सी के द्वीपों में पाए जाने वाले प्राकृतिक संसाधनों , प्राकृतिक तेल , गैस तथामत्स्य संसाधनों पर भी है ।
  • दक्षिण चीन सागर में चीन ने कई छोटे द्वीपों पर सैनिक अड्डे बना लिए हैं। वर्तमान में दक्षिणी चीन सागर पर कई देश दावेदारी कर रहे हैं।

विवाद का मुख्य कारण

  • ऐसा माना जाता है कि दक्षिण चीन सागर के समुद्र में तेल और प्राकृतिकगैसतथामत्स्य संसाधनों के कई विशाल भंडार स्थित हैं।
  • यही भंडार इस इलाके के कई देशों के बीच विवाद का कारण बन गए हैं।
  • इसके अतिरिक्त यहां प्रवाल द्वीप आदि हैं, जो विवाद का कारण हैं।
  • यहां का समुद्री रास्ता भी व्यापार कीदृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।

भारत को दक्षिण चीन सागर से क्या लाभ है ?

  • भारत का समुद्र के रास्ते होने वाले कुल व्यापार का लगभग55 प्रतिशत इसी इलाके से होता है, इसलिए दक्षिण चीन सागर भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
  • यहां पर उत्पन्न तनाव से भारत के समुद्री व्यापार पर असर पड़ सकता है।
  • यदि चीन पूरे क्षेत्र पर अपना कब्जा जमाने में कामयाब हो गया तो भारत के व्यापारिक जहाजों के खुले आवागमन पर असर पड़ेगा।
  • वियतनाम सरकार ने भारत सरकार की तेल और गैस कंपनी ओएनजीसी के साथ एक समझौता किया। इसके अनुसार ओएनजीसी वियतनाम के छोटे द्वीपों में तेल और गैस की खोज करेगी।
  • चीन ने इस पर कड़ा विरोध जताया था, जबकि भारत ने कहा था कि दक्षिण चीन सागर पूरी दुनिया की संपत्ति है।
  • अमेरिका भी इस मामले में चीन की खुली आलोचना करता है।
  • अमेरिका का कहना है कि कई देशों के पास ऐसे मानचित्र हैं, जिनसे पता चलता है कि पिछले कई सौ सालों से भारत, अरब और मलय के व्यापारी दक्षिण चीन सागर में अपने समुद्री जहाजों को ले जाते थे और इसी समुद्र के माध्यम से व्यापार करते थे।
  • 1970 में वियतनाम और कई देशों ने यह पता लगाया कि यहां पर तेल और गैस के अपार भंडार हैं। इसके बाद इन देशों ने इस क्षेत्र में तेल और गैस की खोज शुरू कर दी।
  • इसके बाद से चीन ने इसे अपना क्षेत्र बताना शुरू कर दिया और यहां मौजूद संसाधनों के दोहन पर रोक लगाने के प्रयास तेज कर दिए।
  • यहां पर 213 अरब बैरल से अधिक तेल भंडार तथा 900 ट्रिलियन क्यूबिक फीट प्राकृतिक गैस के भंडार मौजूद है । यह आंकड़ा यूएस एनर्जी इंफॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन ने चीनी अनुमान के मुताबिक दिया है।
  • अमेरिकी वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यहां पर 28 अरब बैरेल तेल मौजूद है।

किसका-किसका दक्षिण चीन सागर पर है दावा?

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चीन

  • चीन का कहना है कि पिछले दो हजार साल के इतिहास से पता चलता है कि दक्षिण चीन सागर के पारासेल और स्प्रैटली द्वीप सहित सभी द्वीप उसका भाग हैं।
  • चीन के अनुसार द्वितीय विश्वयुद्ध के समय जापान ने साउथ चाइना सी पर कब्ज़ा किया था। बाद में जापान का अधिकार समाप्त हुआ और उसने साउथ चाइना सी का भाग खाली किया। इससे साउथ चाइना सी, चीन के आधिपत्य में आ गया।
  • चीन ने कई बार अलग-अलग मानचित्र जारी कर इस बात की पुष्टि करना चाहाकि दक्षिण चीन सागर पर उसका एकाधिकार है।

वियतनाम

  • वियतनाम का कहना है कि चीन ने 1940 के दशक तक कभी इस क्षेत्र पर संप्रभुता का दावा नहीं किया था। वियतनाम के अनुसार पारासेल और स्प्रैटली द्वीप समूह हमारे हैं।
  • वियतनाम का तर्क है कि उसने 17वीं शताब्दी से इन द्वीपों पर शासन किया है। उसके पास डॉक्यूमेंट हैं, जो यह साबित भी करते हैं।
  • 1974 में चीन ने पारासेल पर कब्जा कर लिया। इस झड़प में 70 से ज्यादा वियतनामी सैनिक मारे गए।
  • 1988 में फिर चीन और वियतनाम स्प्रैटली को लेकर आमने-सामने आए गए। इस बार फिर वियतनाम के 60 सैनिक मारे गए।

फिलीपींस

  • दक्षिण चीन सागर विवाद में फिलीपींस की भी अहम भूमिका है। फिलीपींस का कहना है कि भौगोलिक स्थितियों के हिसाब से स्प्रैटली आईलैंड्स फिलीपींस का हिस्सा है।
  • चीन और फिलीपींस स्कारबौरो रीफ पर भी अपना-अपना अधिकार बताते हैं। यह रीफ फिलीपींस से 100 मील, जबकि चीन से 500 मील की दूरी पर है।

मलेशिया

  • मलेशिया भी दक्षिण चीन सागर के कुछ क्षेत्रों पर अपना दावा करता है। उसका तर्क है कि इस सागर का कुछ क्षेत्र उनके इकोनॉमिक एक्सक्लूजन जोन्स में आता है।
  • इस इकोनॉमिक एक्सक्लूजन जोन्स का निर्धारण 1982 में यूनाइटेड नेशन्स कनवेंशन ऑन द लॉ ऑफ द सीमें किया गया है।

प्रारम्भिक परीक्षा प्रश्न : निम्नलिखित में से पारासेल और स्प्रैटली द्वीप कहाँ स्थित है?

(a) हिंद महासागर

(b) दक्षिण चीन सागर

(c) अटलांटिक महासागर

(d) अंटार्कटिक महासागर

उत्तर (b)

मुख्य परीक्षा प्रश्न : दक्षिण चीन सागर विवाद क्या है? एवं दक्षिण चीन सागरसे भारत को होने वाले लाभों की चर्चा कीजिए।

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