New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 30 July, 11:30 AM July Exclusive Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 14th July 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 14th July, 8:30 AM July Exclusive Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 14th July 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi: 30 July, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 14th July, 8:30 AM

चिपको आंदोलन (Chipko Movement)

  • चिपको आंदोलन 1970 के दशक में शुरू हुआ भारत का एक ऐतिहासिक पर्यावरणीय जनआंदोलन था।
  • इसका मुख्य उद्देश्य था वनों की अंधाधुंध कटाई को रोकना और स्थानीय लोगों के वन अधिकारों की रक्षा करना।
  • यह आंदोलन उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय क्षेत्र (तत्कालीन उत्तर प्रदेश) में 1973 में आरंभ हुआ।
  • “चिपको” शब्द हिंदी के “चिपकना” से बना है, जिसका अर्थ है पेड़ों से चिपककर उन्हें कटने से बचाना।

पृष्ठभूमि: आंदोलन की आवश्यकता क्यों पड़ी?

  • 1960-70 के दशक में सरकारी नीतियाँ वनों को ठेकेदारों को सौंपने लगीं।
  • स्थानीय समुदायों को वनों पर परंपरागत अधिकारों से वंचित कर दिया गया।
  • इससे:
    • वन कटान तेज हुआ,
    • भूमि कटाव और बाढ़ बढ़ी,
    • स्थानीय आजीविका संकट में आई।

पहला आंदोलन: मंडल गांव, चमोली (1973)

  • स्थान: मंडल गांव, चमोली ज़िला (उत्तराखंड)
  • नेता: चंडी प्रसाद भट्ट (Dasholi Gram Swarajya Mandal के संस्थापक)
  • घटना: एक ठेकेदार को जंगल में पेड़ काटने की अनुमति दी गई, जिसे गांव वालों ने पेड़ों से चिपककर रोक दिया
  • यह गांधीजी के सत्याग्रह और अहिंसक प्रतिरोध से प्रेरित था।

रेणी गांव और गौरा देवी का नेतृत्व (1974)

  • जब पुरुष मजदूरी में बाहर थे, रेणी गांव की महिलाओं ने गौरा देवी के नेतृत्व में ठेकेदारों का सामना किया।
  • महिलाओं ने पेड़ों से लिपटकर उन्हें बचाया।
  • यह घटना चिपको आंदोलन की प्रेरणा और पहचान बन गई।

प्रमुख व्यक्तित्व और उनके योगदान

नाम

योगदान

चंडी प्रसाद भट्ट

चिपको आंदोलन के संस्थापक; सामुदायिक वन स्वराज की वकालत की।

सुंदरलाल बहुगुणा

Ecology is the permanent economy” नारा दिया।
5,000 किमी लंबी हिमालय यात्रा की (1981–83)
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को हिमालयी क्षेत्र में वृक्ष कटाई रोकने के लिए पत्र लिखा।

आंदोलन का विस्तार (अन्य राज्यों में प्रभाव)

राज्य

विस्तार और उद्देश्य

हिमाचल प्रदेश

जंगलों के संरक्षण के लिए जन जागरूकता

कर्नाटक

अप्पिको आंदोलन (1983): चिपको से प्रेरित

बिहार

वनों की कटाई के विरोध में ग्रामीणों का एकजुट होना

पश्चिमी घाट और विंध्य

खनन और बड़े बाँध परियोजनाओं का विरोध

नीतिगत सुधार और सरकारी प्रतिक्रिया

नीति / कानून

प्रभाव

1980 - वन संरक्षण अधिनियम

केंद्र सरकार की अनुमति के बिना वन भूमि का अन्य कार्यों के लिए प्रयोग प्रतिबंधित हुआ।

1980 - वनों की कटाई पर रोक

इंदिरा गांधी सरकार ने हिमालयी क्षेत्रों में 15 वर्षों के लिए वृक्ष कटाई पर रोक लगा दी।

महिलाओं की भूमिका और ‘इको-फेमिनिज्म’ (Eco-Feminism)

  • महिलाएँ अपने जीवन-निर्वाह, जल-संग्रह, पशुपालन और ईंधन के लिए वनों पर निर्भर थीं।
  • वे जानती थीं कि वनों की कटाई से:
    • पानी के स्रोत सूखेंगे,
    • ईंधन और चारा मिलेगा नहीं,
    • प्राकृतिक आपदाएँ बढ़ेंगी
    • उनका संघर्ष इको-फेमिनिज्म का उदाहरण बना: “प्रकृति और महिला – दोनों के शोषण के विरुद्ध एकजुट प्रतिरोध”

अंतरराष्ट्रीय मान्यता और विरासत

  • 1987 में “राइट लाइवलीहुड अवार्ड” (वैकल्पिक नोबेल पुरस्कार) चिपको आंदोलन को मिला।
  • वैश्विक पर्यावरण आंदोलनों के लिए यह प्रेरणा बना – जैसे:
    • अमेज़न वर्षावन की रक्षा
    • केन्या का ग्रीन बेल्ट मूवमेंट

अन्य प्रमुख पर्यावरणीय आंदोलन (भारत)

आंदोलन

वर्ष

स्थान

उद्देश्य

साइलेंट वैली आंदोलन

1973

केरल

साइलेंट वैली में बाँध निर्माण का विरोध

अप्पिको आंदोलन

1983

कर्नाटक

चिपको से प्रेरित; वनों की रक्षा

नर्मदा बचाओ आंदोलन

1985

मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात

नर्मदा नदी पर बाँधों का विरोध

चिलिका बचाओ आंदोलन

1990s

ओडिशा

चिलिका झील की पारिस्थितिकी बचाने हेतु

काशीपुर आंदोलन

2000s

ओडिशा

बॉक्साइट खनन के विरुद्ध

गंधमार्दन आंदोलन

1980s

ओडिशा

गंधमार्दन पहाड़ियों में खनन के विरुद्ध

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR