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कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिज़र्व : यूनेस्को की सूची में शामिल

(प्रारंभिक परीक्षा: पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3: पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता, पर्यावरण प्रभाव आकलन)

संदर्भ

हाल ही में हिमाचल प्रदेश का कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिज़र्व (Cold Desert Biosphere Reserve) यूनेस्को (UNESCO) की वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिज़र्व्स (WNBR) सूची में शामिल किया गया है। इसके साथ ही भारत के अब 13 बायोस्फीयर रिज़र्व इस अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क में दर्ज हो चुके हैं। 

कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिज़र्व के बारे में

  • यह भारत का पहला उच्च-ऊंचाई वाला शीत मरुस्थलीय (Cold Desert) बायोस्फीयर रिज़र्व है।
  • यह रिज़र्व लगभग 7,770 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है।
  • इसे तीन भागों में विभाजित किया गया है –
    • कोर ज़ोन : 2,665 वर्ग किमी.
    • बफर ज़ोन : 3,977 वर्ग किमी.
    • ट्रांज़िशन ज़ोन : 1,128 वर्ग किमी.

शामिल क्षेत्र

  • यह ट्रांस-हिमालयन क्षेत्र में स्थित है और लाहौल-स्पीति जिला इसके अंतर्गत आता है।
  • इसमें स्पीति वाइल्डलाइफ़ डिवीजन, लाहौल फॉरेस्ट डिवीजन, बारालाचा दर्रा, भरतपुर और सर्चू शामिल हैं।
  • इसकी ऊँचाई 3,300 मीटर से लेकर 6,600 मीटर तक है।
  • इस क्षेत्र में पिन वैली नेशनल पार्क, किब्बर वाइल्डलाइफ़ सेंचुरी, चंद्रताल वेटलैंड और सर्चू प्लेन्स आते हैं।

जीव-जंतु और वनस्पति

  • यहां 17 स्तनधारी प्रजातियाँ और 119 पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
  • मुख्य आकर्षण हिम तेंदुआ है, जिसे यहाँ का फ्लैगशिप स्पीशीज़ माना जाता है।
  • इसके अलावा हिमालयी आइबेक्स और हिमालयी वुल्फ भी यहां पाए जाते हैं।
  • यहां 655 प्रकार की औषधीय जड़ी-बूटियाँ, 41 झाड़ी प्रजातियाँ और 17 वृक्ष प्रजातियाँ हैं, जिनमें से कई स्थानीय (एंडेमिक) और औषधीय महत्व की हैं।

महत्व

  • यह रिज़र्व भारत के दुर्लभ पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करता है।
  • यह सांस्कृतिक धरोहर से भी जुड़ा है, यहां के लगभग 12,000 निवासी पारंपरिक पशुपालन, जौ और मटर की खेती तथा तिब्बती चिकित्सा पद्धति (सोवा रिग्पा) का पालन करते हैं।
  • यह क्षेत्र बौद्ध मठों और सामुदायिक परिषदों की परंपराओं से संचालित होता है, जो प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में सहयोगी हैं।

यूनेस्को द्वारा मान्यता

  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह मान्यता इस क्षेत्र को वैश्विक संरक्षण मानचित्र पर स्थापित करती है।
  • इससे अनुसंधान सहयोग, सतत पर्यटन, और जलवायु लचीलापन (climate resilience) को बढ़ावा मिलेगा।
  • यह भारत की जैव विविधता संरक्षण और सामुदायिक विकास की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

निष्कर्ष

हिमाचल का कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिज़र्व यूनेस्को सूची में शामिल होकर वैश्विक पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह कदम न केवल हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के संवर्धन के लिए जरूरी है बल्कि स्थानीय समुदायों की परंपराओं और आजीविका को भी सुरक्षित करने वाला है। भारत के लिए यह एक और उदाहरण है कि विकास और संरक्षण साथ-साथ चल सकते हैं।

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