(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2: संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढाँचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियाँ) |
चर्चा में क्यों
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने 7 जून, 2025 को कहा कि असम सरकार लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरने के बजाय ‘अवैध प्रवासियों’ का पता लगाने और निर्वासन में तेजी लाने के लिए 1950 के आदेश का पालन कर सकती है।
अवैध अप्रवासी के बारे में
- परिभाषा : अवैध अप्रवासी वह व्यक्ति होता है जो किसी भी वैध दस्तावेज़ के बिना किसी अंतरराष्ट्रीय सीमा को पार कर दूसरे देश में जाता है, उस देश में अवैध गतिविधियों को अंजाम देने के लिए या राजनीतिक या आर्थिक उद्देश्यों के लिए।
- भारतीय कानून : नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 2 (बी) के अनुसार, अवैध अप्रवासी वह विदेशी होता है जो वैध पासपोर्ट या किसी भी कानूनी यात्रा दस्तावेज़ के बिना भारत में प्रवेश करता है या कोई ऐसा व्यक्ति जो वैध पासपोर्ट और वैध दस्तावेज़ों के साथ देश में कानूनी रूप से प्रवेश करता है लेकिन अनुमत अवधि से अधिक समय तक रहता है।
यह भी जानें!
प्रवासी और अप्रवासी में मुख्य अंतर उनके उद्देश्य में निहित है। प्रवासी अस्थायी रूप से अपने मूल देश से बाहर (6 माह से अधिक) रहते हैं, जबकि अप्रवासी स्थायी रूप से बसने के इरादे से किसी नए देश में आते हैं।
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असम में अवैध आव्रजन में योगदान देने वाले कारक
- बांग्लदेश में भूमि पर जनसंख्या के बढ़ते दबाव के कारण पलायन में वृद्धि।
- भौगोलिक रूप से दुर्गम और असुरक्षित भारत-बांग्लादेश सीमा।
- सीमा पार बेहतर आर्थिक अवसरों की उपलब्धता।
- बांग्लादेश में बाढ़ और चक्रवातों की अधिकता।
- अल्पसंख्यकों का जातीय उत्पीड़न अवैध आव्रजन का सबसे बड़ा कारण।
क्या है अप्रवासी निष्कासन आदेश 1950
- यह आदेश संसद द्वारा पारित अधिनियम अप्रवासी (असम से निष्कासन) अधिनियम, 1950 के अंतर्गत लागू किया गया था।
- इस अधिनियम का विस्तार सम्पूर्ण भारत पर है।
- इस आदेश के तहत असम सरकार, एक बार अवैध प्रवासियों का पता चलने पर, उनके मामलों को अर्ध-न्यायिक विदेशी न्यायाधिकरण (FT) या किसी अन्य अदालत में भेजे बिना ही उन्हें वापस भेज सकती है।
- इसके अंतर्गत, जिला आयुक्त भी अवैध अप्रवासियों को तुरंत वापस भेजने का आदेश जारी कर सकता है।
- सर्वोच्च न्यायलय के अनुसार, अप्रवासी निष्कासन आदेश 1950 अभी भी वैध है।
- सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6(ए) से संबंधित मामले में कहा था कि असम को अवैध अप्रवासियों के मामलों को न्यायाधिकरणों के माध्यम से चलाने की आवश्यकता नहीं है।
विदेशी न्यायाधिकरण
असम में 100 विदेशी न्यायाधिकरण हैं, जिनमें से कुछ की स्थापना वर्ष 2005 में असम पुलिस की बॉर्डर शाखा द्वारा अवैध अप्रवासी होने के संदेह में भेजे गए लोगों की नागरिकता पर निर्णय करने के लिए की गई थी, जो कथित रूप से राज्य में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों के लिए एक प्रकार का पर्याय है।
आलोचना
- अल्पसंख्यक संगठनों और अधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा असम सरकार की निर्वासन प्रक्रिया की आलोचना की गई है।
- 28 मई 2025 को सरकार ने 14 लोगों को वापस बांग्लादेश भेज दिया था, जो सभी बंगाली भाषी मुसलमान थे, जिन्हें FT द्वारा विदेशी घोषित किया गया था या जिन पर "अवैध अप्रवासी" होने के आरोप थे।
- बांग्लादेश द्वारा स्वीकार न किए जाने के कारण इन 14 लोगों को दो दिन से अधिक समय तक नो मैन्स लैंड (किसी भी दो देशों के बीच सीमा पर तटस्थ क्षेत्र) पर रहना पड़ा, उसके बाद उन्हें असम में उनके घर भेज दिया गया।