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K2-18b में बायोसिग्नेचर की खोज

(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: नई प्रौद्योगिकी का विकास, सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स)

संदर्भ 

  • कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को दूर स्थित एक ग्रह ‘K2-18b’ के वायुमंडल में कुछ ऐसे रासायनिक संकेत प्राप्त हुए हैं जो अब तक के पृथ्वी से परे जीवन की मौजूदगी के मजबूत साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं। इससे संबंधित अध्ययन एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित किया गया है।  
  • यह अध्ययन नासा की जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) ने किया है जोकि अंतरिक्ष से ग्रहों की रासायनिक संरचना का पता लगाने में सक्षम है।

K2-18b ग्रह के बारे में 

K2-18b एक एक्सोप्लैनेट है जो पृथ्वी से ढाई गुना बड़ा और लगभग 124 प्रकाश-वर्ष दूर है। एक्सोप्लैनेट ऐसे ग्रह हैं जो हमारे सौरमंडल के बाहर किसी अन्य तारे की परिक्रमा करते हैं। यह एक छोटे लाल तारे की परिक्रमा करता है जो हमारे सूर्य से कम चमकीला है।

हालिया अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष 

  • वैज्ञानिकों ने K2-18b ग्रह के वातावरण में दो गैसों डायमेथिल सल्फाइड (DMS) एवं डायमेथिल डाईसल्फाइड (DMDS) की उपस्थिति का पता लगाया है।  
    • ये दोनों गैसें पृथ्वी पर केवल जीवों, खासकर समुद्री सूक्ष्मजीवों (Phytoplankton) द्वारा बनाई जाती हैं 
  • अध्ययन के अनुसार इस बात का भी अनुमान है कि इन दोनों गैसों की मात्रा पृथ्वी की तुलना में हजारों गुना अधिक है।
  • इससे पहले K2-18b में मीथेन एवं कार्बन डाइऑक्साइड के संकेत पाए गए थे, इसलिए K2-18b पर बायोसिग्नेचर (Biosignature) की उपस्थिति की पुष्टि करने के लिए आगे के अध्ययनों की आवश्यकता है। 

खोज का महत्व 

  • K2-18b पर दूसरी बार जीवन से जुड़े रसायनों के संकेत प्राप्त हुए हैं। पहली बार किसी सुदूर स्थित ग्रह के वातावरण में DMS एवं DMDS जैसी जैविक गैसों की इतनी अधिक मात्रा देखी गई है।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार यह जीवन की प्रत्यक्ष खोज नहीं की है बल्कि ये ऐसे बायोसिग्नेचर हैं जो जीवन की उपस्थिति का संकेत हो सकते हैं। 

इसे भी जानिए 

क्या है बायोसिग्नेचर 

  • यह एक ऐसा वैज्ञानिक संकेत, पदार्थ, तत्व, अणु या विशेषता है जो किसी ग्रह, चंद्रमा या अन्य खगोलीय पिंड पर जीवन (वर्तमान या अतीत) की उपस्थिति का संकेत देता है। 
  • यह जीवन के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष साक्ष्य हो सकता है, जैसे- रासायनिक यौगिक, भौतिक संरचनाएँ या पर्यावरणीय पैटर्न। 
  • बायोसिग्नेचर का अध्ययन विशेष रूप से एक्सोबायोलॉजी एवं एस्ट्रोबायोलॉजी में महत्वपूर्ण है जो पृथ्वी से परे जीवन की खोज से संबंधित है। बायोसिग्नेचर को ‘केमिकल फ़ॉसिल’ या ‘मॉलिक्यूलर फ़ॉसिल’ भी कहते हैं।

बायोसिग्नेचर के प्रकार

  • रासायनिक बायोसिग्नेचर : उदाहरण- मिथेन, ऑक्सीजन और जटिल कार्बनिक अणु (जैसे- अमीनो एसिड, लिपिड, या न्यूक्लिक एसिड)
  • भौतिक बायोसिग्नेचर : उदाहरण- जीवाश्म, माइक्रोबियल मैट या सूक्ष्मजीवों/प्राचीन जीवों द्वारा निर्मित अन्य संरचनाएँ (जैसे- सूक्ष्मजीवों द्वारा बनाई गई चट्टानी संरचनाएँ स्ट्रोमैटोलाइट्स)
  • वायुमंडलीय बायोसिग्नेचर : उदाहरण: ऑक्सीजन और मिथेन का एक साथ मौजूद होना (ये गैसें सामान्य रूप से रासायनिक रूप से प्रतिक्रिया करती हैं और बिना जैविक स्रोत के स्थिर नहीं रहतीं है।)
  • सतही एवं पर्यावरणीय बायोसिग्नेचर : उदाहरण- जैविक प्रक्रियाओं से निर्मित विशिष्ट खनिज, जैसे- मृदा में सल्फेट या कार्बोनेट और जीवन से संबंधित सतह पर रंग या पैटर्न (जैसे- शैवाल या पौधों का) 

हैबिटेबल ज़ोन

यह किसी तारे के आसपास का वह क्षेत्र है जहाँ किसी ग्रह की सतह पर संभावित रूप से तरल जल मौजूद हो सकता है। इसे ‘गोल्डीलॉक्स जोन’ (Goldilocks Zone) के नाम से भी जाना जाता है।  

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