New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 30 July, 11:30 AM Raksha Bandhan Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 30th July, 8:00 AM Raksha Bandhan Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi: 30 July, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 30th July, 8:00 AM

कोइमा मछली की खोज

संदर्भ 

हाल ही भारत के शोधकर्ताओं ने पूर्वी घाट से मीठे पानी की मछली की एक नई प्रजाति 'कोइमा' की खोज की है।

Koima-fish

  • पूर्व में नेमाचेइलस प्रजाति के अंतर्गत पहचानी गई मछलियों की दो प्रजातियों को नए जीनस के अंतर्गत पुनः वर्गीकृत किया गया है। नामकरण में एक नए वंश को जोड़ना तुलनात्मक रूप से एक दुर्लभ घटना है। 
    • मेसोनोमाचेइलस रेमाडेवी और नेमाचेइलस मोनिलिस नामक मछलियों का नाम कोइमा रेमाडेवी और कोइमा मोनिलिस रखा गया है। 
  • गहरी तलहटी में रहने वाली इन छोटी, मीठे पानी की मछलियों का उपयोग आहार और सजावट के लिए किया जाता है।
  • नेमाचेइलस मोनिलिस प्रजाति के बारीकी से निरीक्षण करने पर पाया गया कि इनकी रूपात्मक विशेषताएँ भी अपने समकक्षों से भिन्न थीं। इसलिए, वैज्ञानिकों ने नेमाचेलिड लोच की एक नई प्रजाति को कोइमा नाम दिया है। 
    • इसका अर्थ मलयालम भाषा में 'लोच मछली' है।
  • अध्ययन के अनुसार यह प्रजाति अपने अनूठे रंग पैटर्न के कारण नेमाचेइलिडे परिवार की अन्य सभी प्रजातियों से अलग है।
    • इस प्रजाति में पीले-भूरे रंग का आधार रंग, पार्श्व रेखा पर काले धब्बों की एक पंक्ति, सभी पंख पारदर्शी होते हैं, और पृष्ठीय भाग पर एक समान बैंडिंग पैटर्न का अभाव होता है।
  • नेमाचेइलस की प्रजातियाँ दक्षिण पूर्व एशिया में पाई जाती हैं और उनका भौगोलिक वितरण विस्तृत माना जाता है।
  • दोनों प्रजातियाँ कावेरी नदी की सहायक नदियों(भारतपुझा बेसिन), भवानी, मोयार, काबिनी और पम्बर नदियों से में पाई जाती हैं।
  • निवास स्थान : खोज में पाया गया कि कोइमा मुख्य रूप से तेज बहने वाली तटीय धाराओं में पाई जाती है, जिसमें रेत और गाद के बिखरे हुए पैच, चट्टानें, पत्थर और बजरी शामिल हैं।
    • ये सतही सामग्रियाँ सूक्ष्म आवासों के रूप में काम करती हैं और पत्थरों के नीचे अंतराल तथा  चट्टानों के बीच दरारें शक्तिशाली धाराओं से सुरक्षा प्रदान करती हैं।
    • इसके अलावा यह प्रजाति 350 मीटर से 800 मीटर की ऊँचाई पर भी पाई जाती है, जिसमें बड़ी सहायक नदियों से लेकर कई छोटी, तेज़ बहने वाली धाराओं तक के लघु आवास होते हैं।

महत्त्व 

  • शोध के अनुसार  पश्चिमी घाट की जैव विविधता अद्वितीय है और अभी भी काफी हद तक अज्ञात है। 
  • खोजकर्ताओं के अनुसार इस क्षेत्र से और अधिक प्रजातियों की खोज की संभावना है। ऐसे में पश्चिमी घाट की सुरक्षा एवं  संरक्षण महत्वपूर्ण है
  • केरल के संकीर्ण क्षेत्रों में इन प्रजातियों का अनूठा और सूक्ष्म आवास इस बात को रेखांकित करता है कि वे मानवजनित क्रियाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति कितने संवेदनशील हैं।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR