(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान व निकाय) |
संदर्भ
नई दिल्ली में आयोजित विमुक्त, घुमंतू एवं अर्ध-घुमंतू जनजातियों (Denotified, Nomadic, and Semi-Nomadic Tribes: DNTs) के राष्ट्रीय सम्मेलन में विमुक्त समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक स्थायी राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की माँग की गई।
कौन है विमुक्त जनजातियाँ
- ब्रिटिश शासन के दौरान आपराधिक जनजाति अधिनियम, 1871 ने इनमें से कई समुदायों को ‘जन्मजात अपराधी’ के रूप में वर्गीकृत किया था।
- इन जनजातियों पर निगरानी रखी जाती थी और उन्हें बार-बार पुलिस थानों में हाज़िरी लगानी पड़ती थी।
- यद्यपि स्वतंत्रता के पश्चात वर्ष 1952 में इसे निरस्त कर दिया गया, फिर भी इनका सामाजिक बहिष्कार जारी है।
हालिया मांग
- डी.एन.टी. प्रतिनिधियों व नागरिक समाज समूहों ने केंद्र सरकार से अनुसूचित जाति/जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग आयोगों की तरह विमुक्त जनजातियों के लिए एक वैधानिक राष्ट्रीय आयोग गठित करने का आग्रह किया।
- इसका उद्देश्य विमुक्त जनजातियों के कल्याण के लिए केंद्रित, दीर्घकालिक नीति कार्यान्वयन और उसकी निगरानी करना है।
विमुक्त जनजातियों की वर्तमान स्थिति
- विमुक्त जनजातियाँ भारत में सबसे हाशिए पर स्थित समुदायों में से हैं।
- अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणियों के समान इन्हें कोई संवैधानिक या कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है।
- विमुक्त जनजातियों के लिए विकास एवं कल्याण बोर्ड (सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन) जैसी मौजूदा व्यवस्थाओं में पर्याप्त अधिकार व धन का अभाव है।
नीतिगत सुझाव
- शिक्षा और रोज़गार में आरक्षण की आवश्यकता
- जनगणना और राष्ट्रीय आँकड़ा संग्रह में समावेशन
- शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और आवास के लिए संस्थागत समर्थन
सरकारी प्रयास
- वर्ष 2019 में विमुक्त, घुमंतू एवं अर्ध-घुमंतू जनजातियों के लिए कल्याण और विकास बोर्ड (DWBDNC) की स्थापना
- रेन्के (2008 में बालकृष्ण सिद्राम रेन्के की अध्यक्षता में) और इदाते (दिसंबर 2014 में भीकू रामजी इदाते की अध्यक्षता में) का गठन
इदाते आयोग की सिफारिशें
- भीकू रामजी इदाते की अध्यक्षता वाले आयोग ने वर्ष 2018 में विमुक्त समुदायों के संरक्षण और विकास के लिए की जाने वाली कार्रवाइयों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।
- इस रिपोर्ट में इन समुदायों का वर्गीकरण और अनुसूचित जातियों, जनजातियों एवं अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए राष्ट्रीय आयोगों की तर्ज पर इनके लिए एक स्थायी राष्ट्रीय आयोग का गठन करना शामिल था।
- इदाते आयोग द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद केंद्र सरकार ने शेष समुदायों के वर्गीकरण के लिए नीति आयोग को नियुक्त किया।
- हालाँकि, इस रिपोर्ट को औपचारिक रूप से सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय को प्रस्तुत किया जाना बाकी है।
निष्कर्ष
विमुक्त जनजातियों के लिए एक स्थायी राष्ट्रीय आयोग की माँग ऐतिहासिक रूप से उपेक्षित समुदायों के लिए संस्थागत मान्यता और लक्षित नीतिगत कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित करती है। भारत में समावेशी शासन और सामाजिक समता के लिए उनके मुद्दों का समाधान अत्यंत आवश्यक है।