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यूरोपीय संघ का इथेनॉल प्रतिबंध संबंधी प्रस्ताव

(प्रारंभिक परीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ

यूरोपीय संघ (EU) इथेनॉल आधारित उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है।

यूरोपीय संघ के प्रस्तावित इथेनॉल प्रतिबंध से संबंधित प्रमुख बिंदु 

  • यूरोपीय संघ का प्रस्ताव इथेनॉल युक्त उत्पादों को प्रतिबंधित करने या चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का है जिसमें ईंधन योजक, औद्योगिक विलायक और व्यक्तिगत देखभाल उत्पाद शामिल हैं। 
  • यूरोपीय रसायन एजेंसी (ECHA) का आकलन है कि लंबे समय तक इथेनॉल के संपर्क में आने से संभावित रूप से कैंसरजन्य जोखिमों का खतरा हो सकता है।

इथेनॉल के प्रतिबंध का कारण

  • स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ : ECHA की वैज्ञानिक समीक्षा में दीर्घकालिक इथेनॉल के संपर्क को संभावित कैंसरजन्यता से जोड़ा गया है, विशेष रूप से एसीटैल्डिहाइड और फॉर्मेल्डिहाइड जैसे उप-उत्पादों के माध्यम से, जो कैंसर से संबद्ध होते हैं।
  • पर्यावरणीय प्रभाव : इथेनॉल-मिश्रित ईंधन को जलाने से कुछ वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOCs) का उत्सर्जन बढ़ सकता है जबकि कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे अन्य यौगिकों का उत्सर्जन कम हो सकता है।
  • नियामक सावधानी : यूरोपीय संघ का लक्ष्य रासायनिक सुरक्षा नियमों को शून्य प्रदूषण और ग्रीन डील प्रतिबद्धताओं के साथ संरेखित करना है तथा औद्योगिक उपयोग की तुलना में सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना है।

इथेनॉल के प्रतिबंध का प्रभाव

  • वैश्विक व्यापार प्रभाव : इस प्रतिबंध से भारत के इथेनॉल निर्यात बाजार, विशेषकर जैव ईंधन और रासायनिक उद्योग प्रभावित हो सकते हैं।
  • ऊर्जा सुरक्षा संबंधी चिंताएँ : 2025 तक भारत के E20 (20% इथेनॉल-पेट्रोल मिश्रण) लक्ष्य की जांच की जा सकती है तथा इसके लिए सख्त उत्सर्जन अध्ययन की आवश्यकता हो सकती है।
  • औद्योगिक समायोजन : कंपनियों को गैर-अल्कोहल आधारित सैनिटाइज़र और वैकल्पिक जैव ईंधन की ओर रुख करना पड़ सकता है।
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