(प्रारंभिक परीक्षा: सम्मेलन एवं आयोजन) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश, भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय) |
- पूर्ण नाम : विकास वित्तपोषण अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (International Conference on Financing for Development)
- आयोजन स्थल : सेविले (Seville), स्पेन
- आयोजन तिथि : 30 जून से 3 जुलाई, 2025
- आयोजक : संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक कार्य विभाग (UNDESA) और संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (ECOSOC) द्वारा एक दशक में एक बार आयोजित

- उद्देश्य
- सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को लागू करने की तत्काल आवश्यकता को संबोधित करना
- अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संरचना में सुधार का समर्थन करना
- मॉन्टेरे सहमति (FfD1), दोहा घोषणा (FfD2) और अदीस अबाबा कार्य एजेंडा (FfD3) के कार्यान्वयन की प्रगति का आकलन करना
- मुख्य फोकस
- वैश्विक वित्तीय प्रणाली में सुधार
- जलवायु परिवर्तन, ऋण संकट एवं जैव विविधता वित्तपोषण जैसे उभरते मुद्दों का समाधान
- निजी क्षेत्र की भागीदारी एवं नवीन वित्तीय उपकरणों को बढ़ावा देना
- हितधारकों की भागीदारी
- सभी सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, वित्तीय एवं व्यापारिक संस्थानों, व्यवसायों, और नागरिक समाज के नेता
- परिणाम दस्तावेज : सेविले घोषणा पत्र (कॉम्प्रोमिसो डी सेविला)
- पूरे वर्ष सदस्य देशों के बीच चले संवाद का समापन 17 जून को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सर्वसम्मति से ‘कॉम्प्रोमिसो डी सेविला’ नामक अंतिम मसौदा परिणाम दस्तावेज़ को अपनाने के साथ हुआ।
- इस सम्मेलन में इस परिणाम को औपचारिक रूप से अनुमोदित किया गया।
- यह दस्तावेज सतत विकास एवं जलवायु कार्रवाई के लिए वित्तपोषण ढांचे को मजबूत करने पर केंद्रित है।
- प्रमुख चुनौतियाँ
- 3.3 अरब से अधिक लोग उन देशों में रहते हैं जहाँ ऋण भुगतान स्वास्थ्य एवं शिक्षा से अधिक है।
- जलवायु वित्तपोषण एवं जैव-विविधता के लिए धन की कमी है।
- विकासशील देशों में बढ़ते ऋण बोझ और रियायती वित्त तक सीमित पहुँच है।
- महत्व
- सभी देशों को आवाज देने के लिए पारदर्शी एवं समावेशी अंतर-सरकारी प्रक्रिया
- निजी वित्त को SDGs के साथ संरेखित करने के लिए जवाबदेही तंत्र की स्थापना
- मानवाधिकारों पर आधारित विकास दृष्टिकोण को बढ़ावा देना
भारत की भागीदारी
1 जुलाई को केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस सम्मेलन को संबोधित किया। संबोधन की प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं :-
- बहुपक्षीय विकास बैंक (MDB) को ऋण देने में निगरानी तंत्र को भी शामिल करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके धन का दुरुपयोग न किया जाए।
- यह टिप्पणी भारत द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं एशियाई विकास बैंक दोनों से पाकिस्तान को दिए जाने वाले अपने वित्तपोषण की समीक्षा के लिए पैरवी करने के तुरंत बाद आई है क्योंकि कथित तौर पर ऐसे ऋणों का उपयोग विकास उद्देश्यों के बजाय सैन्य व्यय बढ़ाने के लिए किया गया था।
- भारत समावेशिता एवं समानता को बढ़ाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय ढांचे में सुधारों का समर्थन करता है जिसमें एम.डी.बी. सुधार और निष्पक्ष क्रेडिट रेटिंग प्रणाली शामिल हैं।
- एम.डी.बी. ऋण को दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों के साथ जोड़ा जाना चाहिए और मजबूत निगरानी ढांचे द्वारा समर्थित होना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि धन का उपयोग इच्छित तरीके से किया जाए।
- कॉम्प्रोमिसो डी सेविला के सभी कार्य क्षेत्रों में भारत की प्रगति दर्शाती है कि विकासशील देश वैश्विक विकास वित्त के लाभार्थी एवं चालक दोनों हो सकते हैं।
- भारत इस एजेंडे को आगे बढ़ाने में उदाहरण प्रस्तुत करने, अपने अनुभव साझा करने तथा साझेदारों के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है।
इसे भी जानिए!
तीन विकास वित्तपोषण अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
पहला सम्मेलन (FfD1)
- तिथि: 18-22 मार्च, 2002
- आयोजन स्थल : मॉन्टेरे, मैक्सिको
- परिणाम : इस सम्मेलन में मॉन्टेरे कॉन्सेन्सस (Monterrey Consensus) को अपनाया गया, जिसमें सतत विकास के लिए वित्तपोषण के छह प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जैसे- घरेलू संसाधन जुटाना, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश और ऋण राहत।
दूसरा सम्मेलन (FfD2)
- तिथि : 29 नवंबर-2 दिसंबर, 2008
- आयोजन स्थल : दोहा, कतर
- परिणाम : दोहा घोषणा (Doha Declaration) को अपनाया गया, जो वैश्विक वित्तीय संकट के संदर्भ में विकास के लिए वित्तपोषण की चुनौतियों पर केंद्रित था। इसने व्यापार, सहायता एवं ऋण स्थिरता पर जोर दिया।
तीसरा सम्मेलन (FfD3)
- तिथि : 13-16 जुलाई 2015
- आयोजन स्थल : अदीस अबाबा, इथियोपिया
- परिणाम : अदीस अबाबा कार्य एजेंडा (Addis Ababa Action Agenda) को अपनाया गया, जो सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने के लिए वित्तपोषण के लिए एक व्यापक ढांचा प्रदान करता है। इसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी एवं नवीन वित्तपोषण पर जोर दिया गया।
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