| (GS Paper 3 — Environment & Economy) |
- ग्रेट निकोबार द्वीप (Great Nicobar Island) भारत का सबसे दक्षिणी और सबसे बड़ा द्वीप है,
- जो अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह (Andaman & Nicobar Islands) का हिस्सा है।
- यह द्वीप भारत की समुद्री सीमाओं की सामरिक (Strategic) और पारिस्थितिक (Ecological) दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- वर्तमान में, यहाँ प्रस्तावित “ग्रेट निकोबार द्वीप विकास परियोजना (Great Nicobar Island Development Project)” ने पर्यावरण, सुरक्षा और जनजातीय अधिकारों को लेकर व्यापक बहस को जन्म दिया है।

भौगोलिक स्थिति

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विवरण
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जानकारी
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स्थान
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बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी छोर पर, सुमात्रा (इंडोनेशिया) से लगभग 180 किमी दूर
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क्षेत्रफल
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910 वर्ग किमी
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अक्षांश/देशांतर
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6° 45′ N – 7° 15′ N और 93° 38′ E – 93° 56′ E
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मुख्य बिंदु
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इंदिरा पॉइंट (India’s Southernmost Tip) – 2004 की सुनामी के बाद भी यह भारत का अंतिम भू-भाग है
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प्रशासनिक राजधानी
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कैंपबेल बे (Campbell Bay)
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भौगोलिक और पारिस्थितिक विशेषताएँ
- यह द्वीप यूनेस्को के बायोस्फीयर रिज़र्व (UNESCO Biosphere Reserve, 2013) के अंतर्गत आता है।
- यहाँ घने उष्णकटिबंधीय वर्षावन (Tropical Rainforest) पाए जाते हैं, जो जैव विविधता का खजाना हैं।
- द्वीप पर पाए जाने वाले प्रमुख प्रजातियाँ:
- निकोलबारी कबूतर (Nicobar Megapode)
- सॉल्टवॉटर मगरमच्छ, डुगोंग (Sea Cow)
- लॉगरहेड और ग्रीन कछुए
- ग्रेट निकोबार बायोस्फीयर रिज़र्व दो मुख्य ज़ोन में विभाजित है:
- कोर ज़ोन: 885 वर्ग किमी
- बफ़र ज़ोन: 705 वर्ग किमी
जनसंख्या और जनजातीय स्थिति
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जनजाति
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विशेषता
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जनसंख्या (2021 अनुमान)
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शोम्पेन (Shompen)
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अर्ध-घुमंतू, शिकारी-संग्राहक, बाहरी संपर्क से दूर
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250
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निकोबारी (Nicobarese)
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स्थायी बस्तियाँ, कृषि और मत्स्य पालन पर आधारित
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1,500
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दोनों जनजातियाँ अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe) की श्रेणी में आती हैं और “Andaman & Nicobar (Protection of Aboriginal Tribes) Regulation, 1956” के अंतर्गत संरक्षित हैं।
सामरिक (Strategic) महत्व
- भौगोलिक स्थिति:
- ग्रेट निकोबार द्वीप मलक्का जलडमरूमध्य (Strait of Malacca) से लगभग 160 किमी दूर है —जो विश्व की सबसे व्यस्त समुद्री व्यापार मार्गों में से एक है।
- इस क्षेत्र से विश्व का लगभग 40% तेल व्यापार गुजरता है।
- नेवी बेस और निगरानी:
- द्वीप पर INS Baaz (2012 में स्थापित) — भारत का सबसे दक्षिणी नौसेना स्टेशन है।
- यह इंडो-पैसिफिक स्ट्रेटेजी में भारत की समुद्री निगरानी क्षमता को बढ़ाता है।
- चीन के “String of Pearls” रणनीति का प्रतिकार।
- Blue Economy और Maritime Security:
- भारत की Act East Policy और Sagarmala Vision के लिए यह सामरिक आधार बनेगा।
- ASEAN और Indo-Pacific साझेदारी के तहत यह द्वीप प्रमुख कड़ी बन सकता है।
ग्रेट निकोबार विकास परियोजना (GNI Project)
प्रस्ताव
- नीति आयोग (NITI Aayog) द्वारा प्रस्तावित और एनआईटीआई के विज़न 2036 के अनुरूप।
- कुल अनुमानित लागत: ₹72,000 करोड़।
- मुख्य घटक:
- अंतरराष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल (Port) — 14.2 मिलियन TEU क्षमता
- ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट (डुअल यूज़ – सैन्य व नागरिक)
- पावर प्लांट और स्मार्ट सिटी (130 वर्ग किमी क्षेत्र)
- ईको-टूरिज्म एवं डीप सी पोर्ट हब
लक्ष्य:
- भारत को वैश्विक समुद्री व्यापार हब बनाना,
- सिंगापुर और कोलंबो जैसे ट्रांसशिपमेंट हब्स पर निर्भरता घटाना।
पर्यावरणीय और सामाजिक चिंताएँ
पर्यावरणीय प्रभाव
- लगभग 130 वर्ग किमी जंगल क्षेत्र का विनाश संभव।
- मौसमी जल संतुलन और तटीय पारिस्थितिकी पर प्रभाव।
- कछुओं और समुद्री जीवों के प्रजनन स्थल नष्ट होने की आशंका।
- भूकंपीय जोन-V में स्थित होने से भूकंप और सुनामी जोखिम।
जनजातीय प्रभाव
- शोम्पेन और निकोबारी समुदायों के अस्तित्व पर खतरा।
- बाहरी जनसंख्या वृद्धि से संस्कृति, रोग और भूमि विस्थापन की समस्या।
कानूनी विवाद
- 2023 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने परियोजना को आंशिक मंजूरी दी, लेकिन Compensatory Afforestation और Biodiversity Impact Assessment को अनिवार्य बताया।
- पर्यावरणविदों का तर्क — “यह परियोजना आर्थिक से अधिक पारिस्थितिक संकट उत्पन्न कर सकती है।”
सरकार का पक्ष
- सरकार का कहना है कि परियोजना “सतत विकास (Sustainable Development)” के सिद्धांतों पर आधारित है।
- जनजातीय क्षेत्रों में नो-गो ज़ोन बनाए जाएंगे।
- परियोजना से स्थानीय रोजगार, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, और राष्ट्रीय सुरक्षा को बल मिलेगा।
- Green Technology & Renewable Power Sources का उपयोग किया जाएगा।
विश्लेषण
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आयाम
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विश्लेषण
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भौगोलिक
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ग्रेट निकोबार द्वीप हिंद महासागर में भारत की दक्षिणी सीमा का प्रतिनिधित्व करता है।
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पर्यावरणीय
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जैव विविधता, कोरल रीफ, समुद्री जीव और ट्रॉपिकल इकोसिस्टम पर प्रतिकूल प्रभाव की संभावना।
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सामरिक
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Indo-Pacific में भारत की रणनीतिक उपस्थिति और समुद्री सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण।
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आर्थिक
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यह द्वीप भारत को एक प्रमुख “ट्रांसशिपमेंट हब” बना सकता है।
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सामाजिक
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विकास बनाम संरक्षण की बहस – जनजातीय अधिकार बनाम राष्ट्रीय हित का संतुलन।
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निष्कर्ष
ग्रेट निकोबार द्वीप भारत के लिए सामरिक रूप से अमूल्य, पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील, और संस्कृति दृष्टि से अद्वितीय क्षेत्र है। भारत को यहाँ विकास के साथ-साथ पारिस्थितिकी और जनजातीय सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना होगा। “सतत विकास” तभी सार्थक है जब वह प्रकृति, संस्कृति और सुरक्षा — तीनों को एक साथ साधे।
“ग्रेट निकोबार केवल एक द्वीप नहीं, यह भारत की समुद्री आत्मनिर्भरता और पर्यावरणीय विवेक की परीक्षा है।”
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संभावित UPSC प्रश्न
- “ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना भारत की समुद्री रणनीति का आधारस्तंभ है, लेकिन पर्यावरणीय दृष्टि से चुनौतीपूर्ण भी।” विवेचना करें।
(GS Paper 3 — Environment & Economy)
- “विकास और संरक्षण के बीच संतुलन की नीति ग्रेट निकोबार द्वीप के भविष्य को तय करेगी।” चर्चा करें।
(Essay / GS Paper 2)
- “अंडमान-निकोबार द्वीप समूह भारत की इंडो-पैसिफिक नीति का प्राकृतिक एंकर पॉइंट हैं।”
(GS Paper 2 — International Relations)
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