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ग्रीन मोबिलिटी पहल : भारत की स्वच्छ ऊर्जा क्रांति

प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के हंसलपुर में ग्रीन मोबिलिटी पहल का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने सुजुकी के पहले मेड-इन-इंडिया बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (ई-विटारा) को हरी झंडी दिखाई और 100 देशों को इनके निर्यात की घोषणा की। साथ ही, हाइब्रिड बैटरी इलेक्ट्रोड विनिर्माण की शुरुआत भी की गई।

ग्रीन मोबिलिटी पहल 

  • ग्रीन मोबिलिटी पहल भारत को स्वच्छ ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में उठाया गया एक महत्त्वपूर्ण कदम है। 
  • इसका उद्देश्य जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम करना और सतत परिवहन को बढ़ावा देना है।

प्रमुख लक्ष्य

  • स्वच्छ और हरित ऊर्जा पर आधारित परिवहन व्यवस्था स्थापित करना
  • भारत को वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण केंद्र बनाना
  • आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया विज़न को सशक्त करना
  • बैटरी उत्पादन का स्थानीयकरण कर आयात पर निर्भरता घटाना

मुख्य विशेषताएँ

  • सुजुकी का पहला मेड-इन-इंडिया ई-वाहन का शुभारंभ
  • 100 से अधिक देशों में भारतीय ईवी का निर्यात
  • हाइब्रिड बैटरी इलेक्ट्रोड उत्पादन की शुरुआत
  • जापान-भारत साझेदारी से तकनीकी सहयोग एवं निवेश
  • पुराने वाहनों को हाइब्रिड मॉडल में बदलने की योजना

महत्व

  • प्रदूषण एवं कार्बन उत्सर्जन में कमी
  • रोजगार एवं औद्योगिक अवसरों का सृजन
  • वैश्विक स्तर पर भारत की विनिर्माण क्षमताओं का विस्तार
  • ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास को मजबूती

इसका प्रभाव

  • वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका बढ़ेगी।
  • ऑटोमोबाइल उद्योग को नई गति मिलेगी।
  • शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में स्वच्छ परिवहन को बढ़ावा मिलेगा।
  • भारत-जापान आर्थिक साझेदारी अधिक मजबूत होगी।

अन्य सरकारी पहलें

  • मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान
  • उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना
  • पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत ई-एम्बुलेंस का बजट आवंटन
  • महत्वपूर्ण खनिज मिशन के तहत 1200 से अधिक अन्वेषण अभियान
  • सेमीकंडक्टर क्षेत्र में छह नए संयंत्रों की स्थापना

चुनौतियाँ

  • बैटरी निर्माण के लिए आवश्यक रेयर-अर्थ खनिजों की कमी
  • ईवी चार्जिंग ढांचे का अपर्याप्त विकास
  • उच्च लागत और उपभोक्ताओं में जागरूकता की कमी
  • पारंपरिक ऑटो उद्योग से संक्रमण की कठिनाइयाँ

आगे की राह

  • ग्रीन मोबिलिटी पहल भारत को स्वच्छ ऊर्जा और ईवी क्षेत्र में वैश्विक अग्रणी बना सकती है। इसके लिए निम्न की आवश्यकता होगी-
    • चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के तीव्र विस्तार की 
    • अनुसंधान एवं नवाचार में निवेश की 
    • खनिज संसाधनों की सतत उपलब्धता की 
    • उपभोक्ताओं को प्रोत्साहन योजनाओं की
  • भारत अब उस मुकाम पर है जहाँ मेड-इन-इंडिया ईवी न केवल घरेलू परिवहन का स्वरूप बदलेंगे बल्कि वैश्विक बाजार में भी एक नई पहचान स्थापित करेंगे।
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