New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM Diwali Special Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 22nd Oct., 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM Diwali Special Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 22nd Oct. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM

H-1B वीज़ा प्रोग्राम एवं संबंधित मुद्दे

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय)

संदर्भ

अमेरिकी वाणिज्य सचिव ने लोकप्रिय H-1B वीज़ा प्रोग्राम को घोटाला बताते हुए कहा कि अमेरिकी कंपनियों को विदेशी श्रमिकों के बजाय अमेरिकी नागरिकों को नौकरी देनी चाहिए। यह बयान डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन की उस नीति को दर्शाता है जिसमें विदेशी कर्मचारियों पर निर्भरता घटाने और अमेरिकी श्रमिकों को प्राथमिकता देने की मांग उठ रही है। इस नीति का सर्वाधिक प्रभाव भारत जैसे देशों पर पड़ता है क्योंकि H-1B वीज़ा के सबसे अधिक लाभार्थी भारतीय ही हैं।

क्या है H-1B वीज़ा प्रोग्राम 

H-1B वीज़ा एक गैर-आप्रवासी वीज़ा है, जिसके तहत अमेरिकी नियोक्ता विदेशी कर्मचारियों को उच्च कौशल (विशेषकर STEM क्षेत्र- विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग एवं गणित) वाले पदों पर नियुक्त कर सकते हैं।

  • यह प्रोग्राम वर्ष 1990 में शुरू किया गया था। इसकी अधिकतम अवधि 6 वर्ष की होती है।
  • वीज़ा की वार्षिक सीमा (Cap) 65,000 है जबकि अमेरिकी विश्वविद्यालयों से मास्टर्स या उच्च डिग्री धारकों के लिए 20,000 अतिरिक्त स्लॉट उपलब्ध हैं।
  • शिक्षा एवं गैर-लाभकारी शोध संस्थानों से जुड़े आवेदकों को इस सीमा से छूट दी जाती है।

प्रमुख विशेषताएँ

  • विदेशी उच्च कौशल वाले कर्मचारियों को अमेरिकी उद्योगों में अवसर देना
  • अमेरिकी श्रमिक उपलब्ध न होने पर नियोक्ताओं को विकल्प देना 
  • आईटी एवं टेक्नोलॉजी कंपनियों में सबसे अधिक मांग
  • भारतीय पेशेवरों का वर्चस्व
    • वर्ष 2023 में 72% से अधिक H-1B स्वीकृतियाँ भारतीयों को प्रदान की गईं।

हालिया मुद्दा एवं आलोचनाएँ

  • ट्रम्प प्रशासन और रिपब्लिकन नेताओं का आरोप है कि इस वीज़ा का दुरुपयोग कंपनियाँ सस्ते विदेशी श्रमिकों को नियुक्त करने में करती हैं।
  • आलोचकों का कहना है कि अमेरिकी श्रमिकों की नौकरियाँ छीनी जा रही हैं और उनकी मजदूरी घट रही है।
  • वर्ष 2023 में अधिकांश भारतीय H-1B धारकों का वेतन $100,000 से कम था, जबकि अमेरिकी आईटी पेशेवरों का औसत वेतन $104,000 था।
  • इस प्रोग्राम को ‘अमेरिकी श्रमिकों के खिलाफ’ बताया जा रहा है।

प्रस्तावित बदलाव

  • ट्रम्प प्रशासन ने वर्ष 2021 में एक नियम प्रस्तावित किया था जिसमें वीज़ा चयन वेतन स्तर के आधार पर होना था- उच्च वेतन पाने वालों को प्राथमिकता।
  • कम वेतन पर काम करने वाले शुरुआती स्तर (Level 1, Level 2) के कर्मचारियों को इससे नुकसान होता।
  • ‘गोल्डन कार्ड’ जैसी नई योजनाएँ भी सामने आईं, जिसके तहत धनी निवेशकों को नागरिकता देने का प्रस्ताव है।

अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

  • सकारात्मक पक्ष: H-1B वीज़ा से अमेरिका को दुनिया भर से श्रेष्ठ प्रतिभाएँ मिलती हैं जो नवाचार एवं तकनीकी विकास में योगदान देती हैं।
  • नकारात्मक पक्ष: सस्ते श्रमिकों के कारण अमेरिकी कर्मचारियों की आय एवं अवसरों पर असर पड़ सकता है।

श्रमिकों पर प्रभाव

  • भारतीय पेशेवरों को अमेरिका में उच्च स्तरीय अवसर मिलते हैं किंतु वेतन में असमानता एवं स्थायी निवास (ग्रीन कार्ड) पाने में कठिनाई बनी रहती है।
  • शुरुआती स्तर पर कार्यरत विदेशी छात्रों एवं युवाओं के लिए प्रस्तावित बदलाव चुनौतियाँ बढ़ा देंगे।

चुनौतियाँ

  • अमेरिकी राजनीति में बढ़ता नैटिविज़्म (स्थानीयता का पक्षपात)
  • अमेरिकी श्रमिकों और विदेशी पेशेवरों के बीच संतुलन बनाना
  • भारतीय पेशेवरों के लिए ग्रीन कार्ड बैकलॉग; कई सालों की प्रतीक्षा
  • वैश्विक प्रतिस्पर्धा; चीन एवं अन्य देशों से भी प्रतिभाएँ आकर्षित करना

आगे की राह

  • अमेरिका को एक संतुलित नीति अपनानी होगी जिससे उच्च कौशल वाले विदेशी प्रतिभाओं का लाभ भी मिले और अमेरिकी श्रमिकों के अवसर भी सुरक्षित रहें।
  • भारत जैसे देशों के लिए ज़रूरी है कि वे अपनी अर्थव्यवस्था में उच्च कौशल वाली नौकरियों का सृजन करें ताकि प्रतिभाशाली युवा विदेश पर निर्भर न हों।
  • द्विपक्षीय स्तर पर भारत-अमेरिका को H-1B और ग्रीन कार्ड जैसी नीतियों पर रचनात्मक संवाद बढ़ाना चाहिए।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X