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भारत में हॉर्नबिल संरक्षण की स्थिति

(प्रारंभिक परीक्षा: पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3 : संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ

  • केरल के शोधकर्ताओं को ‘मालाबार ग्रे हॉर्नबिल’ प्रजाति के संरक्षण संबंधी परियोजना के लिए संरक्षण नेतृत्व कार्यक्रम (CLP) ने भविष्य संरक्षणवादी पुरस्कार से सम्मानित किया है।
  • मालाबार ग्रे हॉर्नबिल (Ocyceros griseus) मुख्यत: भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमी घाटों में पाया जाता है। यह पश्चिमी घाट की एक स्थानिक एवं संकटग्रस्त प्रजाति है। 

हॉर्नबिल (Hornbill) के बारे में

  • हॉर्नबिल पक्षी बुसेरोटिडे कुल (Bucerotidae Family) से संबंधित हैं। पूरी दुनिया में इनकी लगभग 60 प्रजातियाँ पाई जाती हैं और अधिकांश प्रजातियाँ उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में निवास करती हैं।
  • इन पक्षियों की प्रमुख विशेषता यह है कि ये अपने घोंसले के निर्माण के लिए बड़े वृक्षों के खोखले हिस्सों का उपयोग करते हैं और इनकी अधिकांश बस्तियाँ वृक्षों में होती हैं।

हॉर्नबिल की विशेषताएँ

  • शारीरिक विशेषताएँ : हॉर्नबिल की चोंच आकार में बड़ी, मजबूत एवं रंगीन होती है। इसके सिर पर ‘हॉर्न’ जैसी एक संरचना होती है जिसे ‘कासा’ (Casque) कहते है। यह एक प्रकार का अस्थि का आवरण है जो पक्षी के सिर पर स्थित होता है और चोंच के आगे की ओर झुका होता है।
  • आहार : हॉर्नबिल प्राय: फल, बीज, कीड़े एवं छोटे जीव-जंतुओं का सेवन करते हैं जिसके लिए जंगलों की जैव-विविधता महत्वपूर्ण होती है।
  • प्रजनन : यह पक्षी अपना घोंसला बड़े वृक्षों के खोखले हिस्सों में बनाते हैं। प्रजनन के दौरान मादा पक्षी घोंसले के भीतर रहती है और नर पक्षी बाहर से भोजन प्रदान करता है। मादा एवं उसके बच्चों की सुरक्षा के लिए घोंसला बंद कर दिया जाता है।

भारत में हॉर्नबिल की संरक्षण स्थिति

  • भारत में हॉर्नबिल की 9 प्रमुख प्रजातियाँ पाई जाती हैं। भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र एवं पश्चिमी घाट इन पक्षियों का मुख्य आवास हैं।
  • वनों की कटाई, शिकार एवं मानव-वनस्पति संघर्ष के कारण इन पक्षियों के प्राकृतिक आवास में कमी आ रही है।

क्रम

प्रजाति का नाम

वैज्ञानिक नाम

संरक्षण स्थिति (IUCN)

1.

ग्रेट हॉर्नबिल

Buceros bicornis

संवेदनशील (Vulnerable)

2.

लिटिल हॉर्नबिल

Tockus camurus

संकटमुक्त (Least Concern)

3.

मलयन हॉर्नबिल

Anthracoceros malayanus

संकटापन्न (Near Threatened)

4.

वाइट-थ्रोटेड हॉर्नबिल

Aceros subruficollis

संवेदनशील (Vulnerable)

5.

मलबार ग्रे हॉर्नबिल

Ocyceros griseus

संकटापन्न (Near Threatened)

6.

नॉर्थ-ईस्टर्न हॉर्नबिल

Aceros nipalensis

संवेदनशील (Vulnerable)

7.

कोलाहारी हॉर्नबिल

Tockus fasciatus

संकटमुक्त (Least Concern)

8.

ब्लैक हॉर्नबिल

Anthracoceros malayanus

संकटमुक्त (Least Concern)

9.

स्टेप हॉर्नबिल

Tockus leucomelas

संकटमुक्त (Least Concern)

संरक्षण के प्रयास

  • राष्ट्रीय उद्यान और संरक्षित क्षेत्र : हॉर्नबिल के संरक्षण के लिए कई राष्ट्रीय उद्यानों एवं वन्यजीव अभयारण्यों में इनका आवास सुरक्षित किया गया है।
    • उदाहरण के लिए, अरुणाचल प्रदेश के नामदफा राष्ट्रीय उद्यान, असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और पश्चिमी घाट में स्थित कई संरक्षित क्षेत्र।
  • सामुदायिक भागीदारी : कई एन.जी.ओ. एवं स्थानीय समुदायों के सहयोग से हॉर्नबिल संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं।
    • उदाहरण के लिए, हॉर्नबिल नेस्ट एडॉप्शन प्रोग्राम जैसी पहलों से स्थानीय लोग हॉर्नबिल के घोंसले की रक्षा करने में योगदान दे रहे हैं।
  • अवैध शिकार एवं व्यापार पर प्रतिबंध : सरकार ने इन पक्षियों के शिकार और उनके अंगों के अवैध व्यापार पर कड़ी सजा लागू की है।
  • जागरूकता अभियान : लोगों में हॉर्नबिल के महत्व और उनके संरक्षण के बारे में जागरूकता प्रसार के लिए शैक्षिक अभियान चलाए गए हैं।
  • भारत का वन्यजीव संरक्षण कानून (1972) : इस कानून के तहत भारत में वन्यजीवों के संरक्षण की जिम्मेदारी राज्य एवं केंद्र सरकार की है। इसके तहत हॉर्नबिल जैसे संकटग्रस्त प्रजातियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है।
    • इस अधिनियम के तहत हॉर्नबिल को ‘अनुसूची I’ में रखा गया है जिससे इनके अवैध शिकार एवं व्यापार पर कड़ा प्रतिबंध है।

हॉर्नबिल महोत्सव (Hornbill Festival) के बारे में

  • यह भारत के नगालैंड राज्य में प्रतिवर्ष दिसंबर महीने में मनाया जाता है। 
  • इसकी शुरुआत 2000 में हुई थी और तब से यह राज्य की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा बन गया है।
  • यह महोत्सव नागा जनजातियों की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर एवं परंपराओं को मनाने के लिए आयोजित किया जाता है।
  • इस महोत्सव का नाम हॉर्नबिल पक्षी से लिया गया है जो नगालैंड के विभिन्न आदिवासी समुदायों के लिए पवित्र व महत्वपूर्ण प्रतीक है।
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