| (प्रारंभिक परीक्षा; पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी) |
संदर्भ
नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, पृथ्वी पर मानवों का जैव-भार गति/संचलन (Biomass Movement) सभी स्थलीय जंतुओं, पक्षियों और कीटों के संयुक्त संचलन से 40 गुना अधिक है।
जैव-भार गति (Biomass Movement) से तात्पर्य
- परिभाषा : किसी प्रजाति की जैव-भार गति उस प्रजाति के कुल जैव-भार (कुल वजन) और प्रति वर्ष तय की गई दूरी के गुणनफल से परिभाषित की जाती है।
- उदाहरण :
- आर्कटिक टर्न (Arctic Tern) नामक पक्षी, जिसका वजन केवल 100 ग्राम होता है, हर साल 90,000 किमी. की यात्रा करता है।
- इसके बावजूद, इसकी कुल जैव-भार गति मात्र 0.016 गीगाटन प्रति किमी प्रति वर्ष (Gt/km/yr) होती है।
- वहीं अफ्रीकी हाथियों की जैव-भार गति लगभग 7 Gt/km/yr मानी जाती है।
मानव जैव-भार गति: एक वैश्विक प्रभाव
- हालिया अध्ययन के अनुसार, मानवों की जैव-भार गति 4,000 Gt/km/yr है।
- यह सभी स्थलीय वन्य जीवों, पक्षियों और कीटों के संयुक्त अनुमान से 40 गुना अधिक है।
- यह सभी स्थलीय जीवों की अधिकतम जैव-भार गति के अनुमान से भी 6 गुना अधिक है।
- वैज्ञानिकों के अनुसार, “यह अध्ययन दर्शाता है कि पृथ्वी पर मनुष्य एक ऐसी प्रजाति है जो ग्रह-स्तरीय शक्ति बन चुकी है। हमें यह समझना चाहिए कि जैसे हम पर्यावरण को प्रभावित करते हैं, वैसे ही उसकी रक्षा की जिम्मेदारी भी हमारी है।”
मानव गतिशीलता का पैमाना
- अध्ययन के अनुसार, एक औसत मानव प्रतिदिन लगभग 30 किमी यात्रा करता है।
- इसमें से लगभग 65% यात्रा कारों और मोटरसाइकिलों से, 10% हवाई जहाज से, और 5% ट्रेन या मेट्रो से होती है।
- कुल मोटर चालित यात्रा का दो-तिहाई हिस्सा उच्च या उच्च-मध्यम आय वाले देशों में होता है।
अन्य प्रजातियों की तुलना में
- सभी स्थलीय वन्य स्तनधारियों (बिना चमगादड़ के) की कुल जैव-भार गति 30 Gt/km/yr आँकी गई है।
- बड़े आकार के जानवर, जो लंबी दूरी तय करते हैं, उनमें यह गति सबसे अधिक घटी है।
- दिलचस्प रूप से, पालतू पशुओं की जैव-भार गति मानवों के लगभग समान पाई गई, जिसमें दुग्ध-रहित मवेशियों (non-dairy cattle) का सबसे बड़ा योगदान है।
समुद्री जीवन पर प्रभाव
- अध्ययन में बताया गया है कि समुद्री जीवों की जैव-भार गति, जो कभी पृथ्वी पर सबसे अधिक थी, 1850 के बाद से आधी रह गई है।
- इसका मुख्य कारण औद्योगिक मछली पकड़ना (industrial fishing) है।
- व्हेल शिकार (whaling) इन गतिविधियों ने समुद्री पारिस्थितिकी को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
पारिस्थितिकी पर मानव प्रभाव
- मनुष्य और पशु दोनों के संचलन से पारिस्थितिकी पर व्यापक प्रभाव पड़ता है :
- पोषक तत्वों और जीवों का परिवहन
- पारिस्थितिक तंत्र की संरचना में बदलाव
- जैव विविधता पर असर।
- लेकिन मनुष्यों की असामान्य रूप से अधिक गतिशीलता ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हम केवल पर्यावरण का हिस्सा नहीं, बल्कि उसके रूपांतरण के प्रमुख कारक बन चुके हैं।
निष्कर्ष
यह अध्ययन मानव गतिविधियों के वैश्विक पैमाने को दर्शाता है, हम न केवल पृथ्वी की सतह पर सबसे अधिक गतिशील प्रजाति हैं, बल्कि हमारी गतिशीलता ने जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और पारिस्थितिक संतुलन को गहराई से प्रभावित किया है। इसलिए, यह आवश्यक है कि मानवता अपनी गतिशील शक्ति को जिम्मेदारी और पर्यावरण संरक्षण के साथ संतुलित करे, ताकि पृथ्वी पर जीवन का प्राकृतिक संतुलन बना रहे।