New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 19th Jan. 2026, 11:30 AM New Year offer UPTO 75% + 10% Off | Valid till 03 Jan 26 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 09th Jan. 2026, 11:00 AM New Year offer UPTO 75% + 10% Off | Valid till 03 Jan 26 GS Foundation (P+M) - Delhi : 19th Jan. 2026, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 09th Jan. 2026, 11:00 AM

जी.एस.टी. दरों में कमी का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास एवं रोज़गार से संबंधित विषय)

संदर्भ 

हाल ही में, वस्तु एवं सेवा कर (Goods & Services Tax: GST) परिषद् ने अप्रत्यक्ष कर ढाँचे को सरल एवं अनुपालन योग्य बनाने और उपभोक्ताओं व व्यवसायों को राहत प्रदान करने के उद्देश्य से विभिन्न क्षेत्रों में जी.एस.टी. दरों में व्यापक कटौती की घोषणा की है। 

जी.एस.टी. दरों में परिवर्तन 

  • मौजूदा जी.एस.टी. ढाँचे में मुख्य दरों में 0%, 5%, 12%, 18%, 28% के साथ-साथ 28% स्लैब के ऊपर एक क्षतिपूर्ति उपकर शामिल है। 
  • इसे अब (0%), 5% एवं 18% के मुख्य स्लैब तथा सिन व लक्ज़री आइटम के लिए 40% कर के साथ ही अधिकांश वस्तुओं से क्षतिपूर्ति उपकर हटा दिया गया है।
    • हालाँकि, यह उपकर अभी भी तंबाकू उत्पादों पर लगाया जाता है किंतु इसे भी केंद्र सरकार द्वारा कोविड-19 महामारी के दौरान राज्यों को क्षतिपूर्ति देने के लिए गृहीत ऋण का भुगतान करने के बाद समाप्त कर दिया जाएगा।
  • इसके अलावा कई वस्तुओं को निचले कर स्लैब में स्थानांतरित कर दिया गया है। 

दरों में कटौती के कारण 

  • जी.एस.टी. क्षतिपूर्ति उपकर की कानूनी अवधि इस कैलेंडर वर्ष में समाप्त होने वाली है। इसे 31 मार्च, 2026 तक या केंद्र द्वारा अपने ऋणों के भुगतान तक, जो भी पहले हो, लगाया जा सकता है। 
  • दूसरा कारण यह है कि सरकार को भारतीय आयात पर अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ से किसी प्रकार के हानिकारक प्रभाव की आशंका है। 
    • यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में 7.8% की मज़बूत जी.डी.पी. वृद्धि के बावजूद सरकार ने पूरे वर्ष के लिए अपने 6.3%-6.8% के विकास अनुमान में कोई बदलाव नहीं किया है। 
    • जी.एस.टी. दरों में कटौती से मिलने वाले प्रोत्साहन से इस गिरावट की भरपाई होने की उम्मीद है।

दरों में कमी से लाभान्वित क्षेत्र 

  • विनिर्माण एवं उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएँ: कम कीमतों के कारण इलेक्ट्रॉनिक्स, घरेलू उपकरणों और ऑटोमोबाइल की माँग में सुधार देखने को मिलेगा।
  • सूक्ष्म, लघु एवं माध्यम उद्योग (MSME): आसान अनुपालन और कम दरों से इनपुट लागत कम होगी, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
  • स्वास्थ्य सेवा उद्योग : चिकित्सा उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला पर जी.एस.टी. को 12% से घटाकर 5% करने के फैसले से मरीजों को सीधा लाभ होगा। 
  • रियल एस्टेट क्षेत्र : सीमेंट एवं ग्रेनाइट स्लैब जैसी अन्य निर्माण सामग्री पर जी.एस.टी. की दर को 28% से घटाकर 18% करने से इस क्षेत्र की लागत कम होगी और इस क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन आएगा। 
  • आतिथ्य एवं पर्यटन : सस्ती सेवाओं से अधिक घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ताओं के आकर्षित होने की संभावना है।
  • नवीकरणीय एवं हरित प्रौद्योगिकी : दरों को युक्तिसंगत बनाने से सौर ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन और ऊर्जा-कुशल उत्पादों को अपनाने को प्रोत्साहन मिल सकता है।

संबंधित मुद्दे 

  • विलासिता के सामान और अहितकर उद्योग: इन्हें उच्च कर स्लैब में बनाए रखा गया है जिससे असमान प्रतिस्पर्धा के बारे में बहस प्रारंभ हो गई है।
  • अप्रत्यक्ष कर राजस्व पर निर्भर राज्यों द्वारा मुआवजे में कमी की आशंका व्यक्त की गई है।
  • सेवा क्षेत्र (पर्यटन को छोड़कर) को सीमित राहत : आई.टी., दूरसंचार और व्यावसायिक सेवाएँ अभी भी उच्च स्लैब के अंतर्गत शामिल हैं।

वैश्विक संदर्भ

चीन के आयातों पर 50% अमेरिकी टैरिफ से अप्रत्यक्ष रूप से भारत के इस निर्णय पर प्रभाव पड़ा है क्योंकि भारत घरेलू कर बोझ को कम करके वैश्विक आपूर्ति शृंखला में अपने विनिर्माण को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना चाहता है।

राजस्व निहितार्थ

  • अल्पकालिक : केंद्र व राज्यों दोनों के लिए राजस्व में गिरावट संभव है तथा इससे राज्यों द्वारा केंद्र पर मुआवज़े का दबाव बढ़ सकता है।
  • मध्यावधि : अपेक्षित उच्च अनुपालन एवं उपभोग-आधारित कर उछाल घाटे को संतुलित कर सकते हैं।
  • राजकोषीय जोखिम : यदि उपभोग में सुधार कमजोर बना रहत है तो राजस्व तनाव बढ़ सकता है।

आगे की राह 

  • संरचनात्मक बदलाव : केवल 2 या 3 दर तथा कम स्लैब वाली जी.एस.टी. व्यवस्था की ओर बढ़ना अधिक लाभदायक हो सकता है। 
  • व्यापार में आसानी: युक्तिकरण निवेश को प्रोत्साहित कर सकता है और आपूर्ति शृंखला के विकल्प के रूप में भारत की अपील को बढ़ा सकता है।
  • निगरानी आवश्यक : उपभोक्ता राहत, राज्य राजस्व सुरक्षा एवं वृहद-राजकोषीय स्थिरता के बीच संतुलन ही दीर्घकालिक सफलता निर्धारित करेगा।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR