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चुनावी व्यय सीमा में वृद्धि

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, भारत निर्वाचन आयोग ने लोकसभा व विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के लिये चुनावी व्यय सीमा में वृद्धि कर दी है।

प्रमुख बिंदु 

  • बड़े राज्यों, जैसे- महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल तथा कर्नाटक आदि में लोकसभा चुनाव में व्यय सीमा को 70 लाख से बढ़ाकर 95 लाख रुपए कर दिया गया है, जबकि इन राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिये व्यय सीमा को 28 लाख से बढ़ाकर 40 लाख रुपए कर दिया गया है।
  • वहीं छोटे राज्यों, जैसे- गोवा, सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश तथा केंद्रशासित प्रदेश के लिये लोकसभा चुनाव व्यय की सीमा 54 लाख से बढ़ाकर 75 लाख रुपए जबकि विधानसभा चुनाव के लिये 20 लाख से बढ़ाकर 28 लाख रुपए कर दिया गया है।

पूर्व में संशोधन 

  • इससे पूर्व फ़रवरी 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले व्यय सीमा को संशोधित किया गया था, जबकि विभाजन के बाद आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लिये अक्तूबर 2018 में इसमें संशोधन किया गया था।
  • हालाँकि, कोविड-19 महामारी के चलते पिछले वर्ष कुछ विशेष दिशा-निर्देशों के साथ विधानसभा और लोकसभा के लिये चुनावी खर्च की सीमा में 10% की वृद्धि की गई थी।
  • निर्वाचन आयोग मतदाता संख्या तथा लागत मुद्रास्फीति सूचकांक (Cost Inflation Index) में वृद्धि के कारण कारण समय-समय पर चुनावी व्यय सीमा में वृद्धि करता है।
  • विदित है कि वर्ष 2020 में निर्वाचन आयोग ने चुनावी व्यय सीमा को लेकर श्री उमेश सिन्हा की सदस्यता में एक समिति का गठन किया गया था।
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