New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 30 July, 11:30 AM July Mega Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 21st July 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 14th July, 8:30 AM July Mega Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 21st July 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi: 30 July, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 14th July, 8:30 AM

पराग कणों में वृद्धि: कारण और प्रभाव

(प्रारंभिक परीक्षा- पर्यावरणीय & पारिस्थितिकी ; मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन: प्रश्न पत्र-3: विषय-संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ

हाल ही में, चंडीगढ़ के ‘पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च’ के शोधकर्ताओं ने एक शोध में यह बताया है कि वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की समस्या ने पराग कणों की सघनता को प्रभावित किया है। 

शोध की मुख्य बातें

  • इस शोध में चंडीगढ़ के वातावरण में मौज़ूद पराग कणों पर मौसम और वायु प्रदूषण के प्रभाव का अध्ययन किया गया है।
  • शोधकर्ताओं ने वायु-जनित पराग कणों पर तापमान, वर्षा, सापेक्षिक आर्द्रता, वायु की गति एवं दिशा तथा मौजूद प्रदूषकों, जैसे- पार्टिकुलेट मैटर और नाइट्रोजन ऑक्साइड के प्रभाव का पता लगाया है।

पराग कणों की वृद्धि के कारण

  • मध्यम तापमान, कम आर्द्रता और कम वर्षा की स्थिति में पराग कणों के फैलने की संभावना सबसे अधिक होती है। विशेष रूप से मध्यम तापमान की स्थिति फूलों के खिलने, पराग कणों के मुक्त होने और फैलने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 
  • इसके विपरीत भारी वर्षा और उच्च सापेक्ष आर्द्रता के कारण वातावरण से पराग कण नष्ट हो जाते हैं।

पराग कणों का स्वास्थ्य पर प्रभाव 

  • हवा में विद्यमान पराग कण श्वसन के माध्यम से हमारे शरीर में पहुँच जाते हैं, जिसके कारण अस्थमा, एलर्जी और अन्य श्वसन संबंधी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • वातावरण में इन पराग कणों की सघनता कोविड-19 के संक्रमण को भी बढ़ा सकती है। 
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ते तापमान और प्रदूषण के कारण पराग कणों में वृद्धि हो रही है, यह बच्चों के साथ-साथ वयस्कों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुँचा सकता है। 
  • गंगा का मैदानी भाग देश का सबसे प्रदूषित क्षेत्र है, अतः इस क्षेत्र में श्वसन संबंधी बीमारियों का जोखिम भी अधिक है। इस शोध की सहायता से इस क्षेत्र में परागण के दुष्प्रभावों को कम करने के लिये नीतियाँ तैयार करने में मदद मिलेगी।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR