(प्रारंभिक परीक्षा: महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट एवं सूचकांक) |
चर्चा में क्यों
13 अक्टूबर 2025 को गृह मंत्रालय के अधीन रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया द्वारा भारत में जन्म और मृत्यु संबंधित रिपोर्ट, 2023 जारी की गई ।
रिपोर्ट के बारे में
- शीर्षक: 'वाइटल स्टेटिस्टिक्स ऑफ इंडिया बेस्ड ऑन सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम'
- क्या है: यह भारत में होने वाले जन्म एवं मृत्यु की घटनाओं का आधिकारिक रिकॉर्ड है। यह डाटा जनसंख्या, स्वास्थ्य और विकास की योजना बनाने में मदद करता है।
- विधि: जन्म और मृत्यु का पंजीकरण ‘रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ्स एंड डेथ्स एक्ट, 1969’ के तहत अनिवार्य है।
- घटना (जन्म/मृत्यु) होने के 21 दिनों के अंदर स्थानीय रजिस्ट्रार को सूचना दी जाती है।
- राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने मुख्य रजिस्ट्रार के जरिए डाटा इकट्ठा करते हैं, जो केंद्रीय पोर्टल पर अपलोड होता है।
- डिजिटल प्रणाली (2023 संशोधन के बाद) से रीयल-टाइम रजिस्ट्रेशन होता है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
- जन्म दर में कमी: वर्ष 2023 में कुल 2.52 करोड़ जन्म हुए, जो पिछले वर्ष (2022) से 2.32 लाख कम हैं।
- मृत्यु दर में हल्की वृद्धि: वर्ष 2023 में 86.6 लाख मौतें दर्ज की गईं, जो वर्ष 2022 से थोड़ी सी अधिक हैं।
- कोविड-19 और मृत्यु दर: 2021 में कोविड-19 महामारी के कारण बड़ी संख्या में मौतें हुईं।
- वर्ष 2020 में 81.2 लाख मौतें और 2021 में 102.2 लाख मौतें दर्ज की गईं।
- कोविड-19 के कारण मौतों की संख्या मई 2025 तक 5,33,665 थी।
- लिंग अनुपात: झारखंड में सबसे कम लिंग अनुपात (बाल लिंगानुपात) 899 था, इसके बाद बिहार में यह अनुपात 900 था।
- सबसे अच्छा लिंग अनुपात अरुणाचल प्रदेश में था, जहाँ यह 1085 था।
- संस्थागत जन्म: वर्ष 2023 में संस्थागत जन्म की हिस्सेदारी 74.7% थी, हालांकि सिक्किम का डाटा रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया।
- जन्म पंजीकरण की दर: भारत में कुल जन्म पंजीकरण दर वर्ष 2023 में 98.4% रही।
- 11 राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों ने 90% से अधिक पंजीकरण दर प्राप्त की।

प्रमुख चिंता
- यह लैंगिक असंतुलन सामाजिक और आर्थिक रूप से हानिकारक है।
- लड़कियों की कमी से पुरुषों को विवाह के लिए साथी न मिलना, महिलाओं पर हिंसा बढ़ना, मानव तस्करी और बाल विवाह जैसी समस्याएं पैदा होती हैं।
- अच्छा लिंग अनुपात लैंगिक समानता, मजबूत परिवार और सतत विकास सुनिश्चित करता है।
चुनौतियां
- पंजीकरण की कमी: ग्रामीण और दूरदराज इलाकों में जागरूकता की कमी से कई जन्म-मौत दर्ज नहीं होते।
- लिंग भेदभाव: पुत्र वरीयता, अवैध लिंग निर्धारण परीक्षण और कन्या भ्रूण हत्या।
- डाटा गुणवत्ता: जैसे बिना चिकित्सा सहायता वाली मौतें बढ़ना (53.4%)।
- क्षेत्रीय असमानता: उत्तरी राज्यों (बिहार, यूपी) में ज्यादा समस्या, जबकि दक्षिणी राज्यों में स्थिति बेहतर।
- महामारी प्रभाव: कोविड ने रजिस्ट्रेशन बाधित किया, हालांकि वर्ष 2023 में सुधार।
आगे की राह
- जागरूकता अभियान: 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' जैसे कार्यक्रमों को मजबूत करें, स्कूलों और गांवों में शिक्षा दें।
- कानून सख्ती: पी.सी.पी.एन.डी.टी. अधिनियम का कड़ाई से पालन, अवैध क्लिनिकों पर कार्रवाई।
- डिजिटल सुधार: सी.आर.एस. पोर्टल को और मजबूत बनाएं, मोबाइल ऐप से आसान पंजीकरण।
- स्वास्थ्य पहुंच: ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पताल बढ़ाकर, संस्थागत जन्मों को 90% तक ले जाया जाएं।
- मॉनिटरिंग: राज्यवार लक्ष्य निर्धारण एवं (राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण) एन.एफ.एच.एस. और सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (सी.आर.एस.) को जोड़कर नियमित समीक्षा।