(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: भारत के हितों पर विकसित व विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय) |
संदर्भ
चीन एवं रूस से वार्ता के साथ-साथ शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Corporation Organisation: SCO) शिखर सम्मेलन में भारत की हालिया भागीदारी ने इस बात पर बहस छेड़ दी है कि क्या भारत बदलती वैश्विक गतिशीलता के बीच अपनी विदेश नीति को पुनर्गठित कर रहा है।
एस.सी.ओ. शिखर सम्मेलन के निहितार्थ
- एस.सी.ओ. शिखर सम्मेलन क्षेत्रीय सुरक्षा, संपर्क एवं आतंकवाद-निरोध पर केंद्रित था।
- भारत ने सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ अपने रुख को दोहराया और संपर्क परियोजनाओं में संप्रभुता का सम्मान करने का आह्वान किया।
- यह अप्रत्यक्ष रूप से चीन की बेल्ट एंड रोड पहल की आलोचना थी।
- शंघाई सहयोग संगठन (SCO) घोषणापत्र में ‘दबावपूर्ण, एकतरफ़ा’ आर्थिक उपायों की आलोचना की गई जो अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिकी शुल्कों और यूरोपीय प्रतिबंधों को लक्षित कर रहे थे।
- इस शिखर सम्मेलन ने भारत को यूरेशियाई शक्तियों के साथ बहुपक्षीय रूप से जुड़ने का अवसर दिया किंतु इसके कोई ठोस परिणाम नहीं रहे।
तियानजिन बैठक: चीन-रूस-भारत
- तियानजिन में भारत, चीन एवं रूस के बीच एक त्रिपक्षीय बैठक ने वर्षों के सीमा तनाव और तनावपूर्ण संबंधों के बाद सावधानीपूर्वक पुनः जुड़ाव का संकेत दिया है।
- इस संवाद में बहुध्रुवीयता, प्रतिबंधों एवं वैश्विक आर्थिक व्यवधानों पर साझा चिंताओं पर चर्चा की गई।
- हालाँकि, भारत ने अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखी और गुटीय गठबंधन की किसी भी धारणा से दूरी बनाए रखी।
- चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत एवं चीन को ‘प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि साझेदार’ बताया है जबकि भारत इस मत से पीछे हटता हुआ दिखाई दिया कि अन्य क्षेत्रों में संबंधों को फिर से शुरू करने से पहले LAC की स्थिति को सामान्य किया जाए।
- इस दौरान भारत व चीन विशेष प्रतिनिधियों, चीनी विदेश मंत्री वांग यी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बीच सीमा स्थिति पर चर्चा करने पर सहमत हुए।
- हवाई उड़ानों की बहाली, वीज़ा सुविधा एवं कैलाश मानसरोवर यात्रा के अलावा वे अपने बीच व्यापार के मुद्दों को सुलझाने पर भी सहमत हुए।
अमेरिकी कदमों का प्रभाव तथा भारत की प्रतिक्रिया
- चीन एवं रूस को निशाना बनाते हुए अमेरिका ने टैरिफ और प्रतिबंधों को कड़ा कर दिया है जिसका अप्रत्यक्ष रूप से भारत पर प्रभाव पड़ रहा है।
- भारत निम्नलिखित तरीकों से संतुलन बनाता दिख रहा है:
- क्वाड एवं रक्षा सौदों के ज़रिए अमेरिका के साथ संबंधों को मजबूत बनाए रखना
- अति-निर्भरता से बचने के लिए रूस व चीन के साथ संचार माध्यमों को खुला रखना
- यह पश्चिम से स्पष्ट रूप से दूर जाने के बजाय लचीली कूटनीति का संकेत देता है।
- प्रधानमंत्री मोदी ने ‘रणनीतिक स्वायत्तता व बहुध्रुवीयता’ के प्रति भारत की प्रतिबद्धता पर बल दिया।
- इस सम्मेलन में भारत का ज़ोर गुटीय राजनीति के बजाय मुद्दा-आधारित जुड़ाव पर रहा।
- रूस एवं चीन के नेताओं ने पश्चिमी नेतृत्व वाले प्रतिबंधों तथा संरक्षणवाद के ख़िलाफ़ मज़बूत सहयोग का आह्वान किया।
निष्कर्ष
वर्तमान में भारत की विदेश नीति बदलाव के बजाय व्यावहारिक संतुलन के संकेत दे रही है। एस.सी.ओ. शिखर सम्मेलन और तियानजिन त्रिपक्षीय वार्ता, अमेरिका के नेतृत्व वाले आर्थिक दबावों से निपटते हुए क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के प्रयासों को दर्शाती है। भारत की रणनीति बहु-स्तरीय बनी हुई है जो अनिश्चित वैश्विक व्यवस्था में विकल्पों को अधिकतम करने का प्रयास करती है।
इसे भी जानिए!
- शंघाई सहयोग संगठन एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है।
- इसकी स्थापना 15 जून, 2001 को शंघाई में कज़ाकिस्तान गणराज्य, चीन जनवादी गणराज्य, किर्गिज़ गणराज्य, रूसी संघ, ताजिकिस्तान गणराज्य एवं उज़्बेकिस्तान गणराज्य द्वारा की गई थी।
- इसके पूर्ववर्ती संगठन को ‘शंघाई फाइव’ कहते थे।
- वर्ष 2002 में सेंट पीटर्सबर्ग में राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की बैठक में शंघाई सहयोग संगठन के चार्टर पर हस्ताक्षर किए गए जो 19 सितंबर, 2003 को लागू हुआ।
- यह चार्टर संगठन के लक्ष्यों, सिद्धांतों, संरचना और गतिविधियों के प्रमुख क्षेत्रों को निर्धारित करता है।
- वर्ष 2017 में भारत और पाकिस्तान, वर्ष 2023 में ईरान और वर्ष 2024 में बेलारूस को शामिल करते हुए संगठन का विस्तार किया गया, जिससे कुल सदस्य देशों की संख्या दस हो गई।
- एस.सी.ओ. में मंगोलिया और अफगानिस्तान दो पर्यवेक्षक देश और 14 संवाद साझेदार भी शामिल हैं।
- यह भूगोल एवं जनसंख्या के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन है जो यूरेशियाई भूभाग के लगभग 80% और विश्व की 40% आबादी को कवर करता है।
- वर्ष 2021 तक इस समूह का वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 20% योगदान था।
- ईरान के एकीकरण के बाद एस.सी.ओ. अब दुनिया के 20% तेल भंडार और 44% प्राकृतिक गैस को नियंत्रित करता है।
|