(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार) |
संदर्भ
प्रधानमंत्री मोदी ने 18 जून को क्रोएशिया गणराज्य के राष्ट्रपति ज़ोरान मिलनोविच से वहाँ की राजधानी ज़ाग्रेब में मुलाकात की।
प्रधानमंत्री की हालिया क्रोएशिया यात्रा
- वर्ष 1992 में दोनों देशों के मध्य राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद से किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली क्रोएशिया यात्रा है।
- यह यात्रा साइप्रस व कनाडा सहित भारत की व्यापक कूटनीतिक यात्रा का हिस्सा है, जो भारत की यूरोपीय रणनीति में क्रोएशिया के बढ़ते महत्व को रेखांकित करती है।
- इससे पहले भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मार्च 2019 में क्रोएशिया का दौरा किया था, जहाँ उन्हें क्रोएशिया के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ग्रैंड ऑर्डर ऑफ द किंग ऑफ टॉमिस्लाव’ से सम्मानित किया गया था।
चर्चा के प्रमुख बिंदु
- लोकतंत्र, कानून के शासन एवं अंतर्राष्ट्रीय शांति व स्थिरता के साझा मूल्यों पर आधारित दोनों देशों के बीच घनिष्ठ तथा मैत्रीपूर्ण संबंधों के प्रति प्रतिबद्धता।
- रक्षा, स्टार्ट-अप, खेल व नवाचार जैसे नए क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग का विविधीकरण।
- आतंकवाद के खिलाफ सघर्ष में भारत को क्रोएशिया का मजबूत समर्थन।
- संबंधों की पूरी क्षमता को उजागर करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति।
- दोनों पक्षों में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों पर समझौता ज्ञापन, सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम, ज़ाग्रेब विश्वविद्यालय में आई.सी.सी.आर. हिंदी चेयर का विस्तार और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग कार्यक्रम पर सहमति बनी।
भारत-क्रोएशिया द्विपक्षीय संबंध
राजनयिक संबंध
- क्रोएशिया गणराज्य ने 25 जून, 1991 को पूर्व समाजवादी संघीय गणराज्य यूगोस्लाविया से अलग होने के बाद स्वतंत्रता की घोषणा की।
- भारत ने मई 1992 में क्रोएशिया को औपचारिक रूप से मान्यता दी और 9 जुलाई, 1992 को राजनयिक संबंध स्थापित किए गए।
- क्रोएशिया ने फरवरी 1995 में नई दिल्ली में अपना रेजिडेंट मिशन खोला।
- ज़ाग्रेब में भारतीय मिशन 28 अप्रैल, 1996 को खोला गया और जनवरी 1998 में राजदूत स्तर तक उन्नत किया गया।
- तीन दशकों से अधिक समय तक यूगोस्लाविया पर शासन करने वाले मार्शल टीटो एक क्रोएशियाई थे और उन्होंने भारतीय नेतृत्व के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखे।
- प्रधान मंत्री नेहरू एवं मार्शल टीटो गुटनिरपेक्ष आंदोलन के अग्रदूत भी थे।
- भारत के साथ ये मैत्रीपूर्ण संबंध क्रोएशिया की स्वतंत्रता के बाद भी जारी रहे हैं।
- हालाँकि, स्वतंत्रता के बाद क्रोएशिया का ध्यान पूर्व यूगोस्लाविया के टूटने के बाद हुए जातीय संघर्ष को संबोधित करने और उसके बाद नाटो (1 अप्रैल, 2009) और यूरोपीय संघ (1 जुलाई, 2013) के साथ एकीकरण पर रहा।
महत्वपूर्ण द्विपक्षीय समझौते
- समुद्री परिवहन समझौता (1997)
- कृषि सहयोग पर समझौता (2002)
- स्वास्थ्य एवं चिकित्सा में सहयोग पर समझौता (2010)
- दोहरे कराधान से बचाव पर समझौता (2014)
- व्यापार एवं आर्थिक सहयोग समझौता (2017)
- ज़ाग्रेब विश्वविद्यालय में ICCR संस्कृत चेयर की स्थापना (2019)
- पर्यटन सहयोग पर समझौता ज्ञापन (2019)
- खेल सहयोग पर समझौता ज्ञापन (2019)
- रक्षा सहयोग पर समझौता ज्ञापन (2023)
आर्थिक एवं वाणिज्यिक संबंध
- द्विपक्षीय व्यापार (2023-24): 291.36 मिलियन डॉलर
- क्रोएशिया को भारत का निर्यात : 233.30 मिलियन डॉलर
- क्रोएशिया से भारत का आयात : 58.06 मिलियन डॉलर
- व्यापार अधिशेष: 175.24 मिलियन डॉलर

- व्यापारिक वस्तुएँ : भारत के निर्यात में एल्युमीनियम, रसायन व उर्वरक, फार्मास्यूटिकल्स, मशीनरी एवं उपकरण, धातु, तैयार वस्त्र व वस्त्र, रबर तथा प्लास्टिक शामिल हैं, जबकि भारत प्लास्टिक व रबर मशीनरी, मापन एवं परीक्षण उपकरण, खाद्य उत्पाद एवं लकड़ी के उत्पादों का आयात करता है।
- FDI : क्रोएशियाई नेशनल बैंक के आंकड़ों के अनुसार, 2001- Q3 2022 की अवधि के दौरान क्रोएशिया में भारत का कुल प्रत्यक्ष निवेश 40.05 मिलियन यूरो था, जबकि इसी अवधि में क्रोएशिया ने भारत में 5.55 मिलियन यूरो का प्रत्यक्ष निवेश किया था।
सांस्कृतिक संबंध
- क्रोएशिया में भारत को सदियों से जाना जाता है और भारत आने वाले सबसे पहले क्रोएशियाई आगंतुक मिशनरी थे।
- डबरोवनिक एवं गोवा की रियासत के बीच संबंध पाए गए हैं और साओ ब्राज़ का चर्च गोवा में वर्ष 1563 के आसपास क्रोएशियाई लोगों द्वारा बनाया गया था।
- इवान फिलिप वेजडिन नामक एक क्रोएशियाई को वर्ष 1790 में पहला मुद्रित संस्कृत व्याकरण प्रकाशित करने का श्रेय दिया जाता है और उनकी स्मृति में पट्टिका का अनावरण 1999 में त्रिवेंद्रम में किया गया था।
- क्रोएशिया में योग एवं आयुर्वेद में भी व्यापक रुचि है। समकालीन समय में ज़ाग्रेब विश्वविद्यालय में इंडोलॉजी का एक विभाग 60 से अधिक वर्षों से कार्य कर रहा है।
- भारतीय उपमहाद्वीप (विशेषकर भारत) के इतिहास, संस्कृति, भाषाओं एवं साहित्य के अध्ययन को इंडोलॉजी (भारतविद्या) कहते हैं। यह एशियाई अध्ययन का एक भाग है जिसमें भारत के धार्मिक, दार्शनिक एवं सामाजिक पहलुओं का अध्ययन शामिल है।
- वर्ष 2016 से ओडिशा की सदियों पुरानी प्राचीन परंपरा को दोहराने के लिए ज़ाग्रेब शहर में वार्षिक ‘रथ यात्रा’ निकालने की परंपरा शुरू हुई है।
भारतीय समुदाय
- क्रोएशिया में कई भारतीय श्रमिक अल्प से मध्यम अवधि के अनुबंधों पर काम कर रहे हैं और इसलिए वर्तमान में रहने वाले कम-से-कम 90% लोग ऐसे हैं जो एक विशिष्ट अनुबंध अवधि के लिए क्रोएशिया में रहने वाली गतिशील आबादी का हिस्सा हैं।
- 31 जनवरी, 2025 तक क्रोएशिया में भारतीय नागरिकों की कुल संख्या 17139 है, जिसमें बड़े पैमाने पर भारतीय प्रवासी श्रमिक शामिल हैं।
भारत के लिए क्रोएशिया का महत्त्व
भू-रणनीतिक महत्त्व
- एड्रियाटिक सागर के पूर्वी तट पर क्रोएशिया का स्थान इसे यूरोप के लिए एक महत्वपूर्ण समुद्री प्रवेश द्वार के रूप में स्थापित करता है।
- देश के प्रमुख बंदरगाह- रिजेका, स्प्लिट एवं प्लोस- यूरोपीय संघ के मुख्य ट्रांस-यूरोपीय परिवहन नेटवर्क के अभिन्न अंग हैं।
- विशेषकर कोविड-19 के बाद के समय में अंतर्राष्ट्रीय रसद मार्गों के आकार बदलने और स्वेज एवं लाल सागर गलियारों में जारी व्यवधानों के बीच भारत के लिए ये बंदरगाह यूरोपीय निर्यात के लिए महत्वपूर्ण नोड्स हैं।
- भारत की महत्वाकांक्षी भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) पहल के संदर्भ में क्रोएशिया का रणनीतिक महत्व और भी अधिक स्पष्ट हो जाता है।
- यह देश इस नई व्यापार श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करता है, विशेष रूप से मध्य एवं पूर्वी यूरोप में वितरण के लिए, जो भारत को पारंपरिक पश्चिमी यूरोपीय प्रवेश द्वारों के लिए एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है।
यूरोपीय संघ एवं नाटो में राजनीतिक प्रभाव
- यूरोपीय संघ एवं नाटो के पूर्ण सदस्य के रूप में क्रोएशिया के पास अत्यधिक राजनीतिक अधिकार हैं और यह भारत को यूरोपीय विनियामक प्रणालियों तथा नीतिगत बहसों तक अप्रत्यक्ष पहुँच प्रदान करता है।
- यह दोहरी सदस्यता भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते के लिए भारत की जारी वार्ता के लिए विशेष रूप से मूल्यवान है, जिसे विनियामक एवं भू-राजनीतिक चुनौतियों के कारण देरी का सामना करना पड़ा है।
- इन संस्थाओं में क्रोएशिया की स्थिति भारत को एक कूटनीतिक सहयोगी प्रदान करती है जो यूरोपीय निर्णय-निर्माण प्रक्रियाओं में भारतीय हितों की वकालत कर सकता है तथा देश के आकार के सापेक्ष कहीं अधिक प्रभाव प्रदान कर सकता है।
विश्वसनीय बहुपक्षीय साझेदार
- क्रोएशिया ने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत के रुख का लगातार समर्थन किया है, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी का समर्थन किया है और जम्मू एवं कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दों पर गैर-हस्तक्षेपवादी रुख बनाए रखा है।
- कभी-कभी अधिक जटिल कूटनीतिक रुख अपनाने वाले यूरोपीय संघ के बड़े देशों के विपरीत क्रोएशिया भारत के लिए एक विश्वसनीय व पूर्वानुमानित कूटनीतिक साझेदार साबित हुआ है।
आर्थिक प्रवेशद्वार एवं बढ़ते व्यापार संबंध
- क्रोएशिया के अपेक्षाकृत छोटे बाजार आकार के बावजूद भारतीय कंपनियाँ इसे यूरोपीय संघ के लिए एक रणनीतिक प्रवेश द्वार के रूप में देखती हैं, खासकर फार्मास्यूटिकल्स, सूचना प्रौद्योगिकी एवं इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में।
- द्विपक्षीय व्यापार, वर्ष 2023 में 337.68 मिलियन डॉलर के मामूली स्तर पर, स्थिर वृद्धि एवं विस्तार की संभावना को दर्शाता है।
- वर्ष 2021 में शुरू किए गए भारत-क्रोएशिया स्टार्टअप ब्रिज ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ग्रीन टेक्नोलॉजी एवं रोबोटिक्स जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों में उद्यमशीलता सहयोग को बढ़ावा दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी की क्रोएशिया यात्रा के परिणाम
रक्षा सहयोग ढांचा
- रक्षा साझेदारी को गहरा करने के लिए दीर्घकालिक योजनाओं की घोषणा की गई।
- यह सहयोग प्रशिक्षण और सैन्य आदान-प्रदान के साथ-साथ रक्षा उत्पादन पर केंद्रित होगा, जो वर्ष 2023 के रक्षा सहयोग पर मौजूदा समझौता ज्ञापन पर आधारित होगा।
- प्रधानमंत्री मोदी ने रक्षा सहयोग के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण का सुझाव दिया, जो पारंपरिक सैन्य सहयोग से आगे बढ़कर औद्योगिक साझेदारी एवं प्रौद्योगिकी साझाकरण को भी शामिल करता है।
निवेश एवं औद्योगिक सहयोग
- पी.एम. मोदी ने फार्मास्यूटिकल्स, कृषि, सूचना प्रौद्योगिकी, स्वच्छ प्रौद्योगिकी, डिजिटल प्रौद्योगिकी और सेमीकंडक्टर सहित क्रोएशिया के महत्वपूर्ण उद्योगों में निवेश बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की घोषणा की।
- पी.एम. मोदी द्वारा क्रोएशियाई कंपनियों को भारत की सागरमाला परियोजना में भाग लेने के लिए आमंत्रित करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण था, जो बंदरगाह आधुनिकीकरण, तटीय क्षेत्र विकास एवं मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी पर केंद्रित है।
- यह पहल क्रोएशियाई समुद्री विशेषज्ञता एवं प्रौद्योगिकी के लिए विशाल अवसर खोलती है जो देश की मजबूत समुद्री विरासत व क्षमताओं का लाभ उठाती है।
अंतरिक्ष सहयोग पहल
- क्रोएशिया के साथ भारत अपनी अंतरिक्ष विशेषज्ञता साझा करेगा, जो द्विपक्षीय सहयोग में एक नई सीमा को चिह्नित करता है।
- यह सहयोग अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत की बढ़ती क्षमताओं और रणनीतिक भागीदारों के साथ विशेषज्ञता साझा करेगा, जिससे संयुक्त अंतरिक्ष उपक्रमों एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए संभावित रूप से मार्ग प्रशस्त होंगे।
शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान
मौजूदा सांस्कृतिक संबंधों को आगे बढ़ाते हुए मोदी ने घोषणा की कि दोनों देशों के शैक्षणिक संस्थान संयुक्त शोध परियोजनाएँ चलाएंगे। दोनों पक्षों ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों के लिए एक पंचवर्षीय योजना को अंतिम रूप दिया।
कूटनीतिक जुड़ाव
दोनों देशों के बीच लोगों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए भारत एवं क्रोएशिया जल्द ही एक गतिशीलता समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। इस समझौते से पर्यटन, शैक्षिक आदान-प्रदान व व्यापार सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
आतंकवाद विरोधी एकजुटता
पी.एम. मोदी ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद क्रोएशिया के समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया और आतंकवाद से निपटने में साझा मूल्यों पर जोर दिया।
यात्रा के रणनीतिक निहितार्थ
- पी.एम. मोदी की क्रोएशिया यात्रा द्विपक्षीय संबंधों से कहीं अधिक भारत की विकसित होती यूरोपीय रणनीति का संकेत देती है, जो पारंपरिक पश्चिमी यूरोपीय साझेदारियों से आगे बढ़कर नए यूरोपीय संघ सदस्यों को अपनाती है, जोकि इस समूह की सर्वसम्मति से संचालित निर्णयन प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण प्रभाव रखते हैं।
- प्रमुख वैश्विक टकरावों पर क्रोएशिया का प्राय: तटस्थ रुख और प्रौद्योगिकी पर सहयोग करने की इच्छा उसे भारत के विविधतापूर्ण यूरोपीय दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण सहयोगी बनाती है।
- क्रोएशिया की चीन पर न्यूनतम निर्भरता और बेल्ट एंड रोड पहल के प्रति संदेह उसे भारत के लोकतांत्रिक सहयोग तथा सतत विकास के वैकल्पिक दृष्टिकोण के लिए एक आदर्श भागीदार के रूप में स्थापित करता है।
- क्रोएशिया; हंगरी, स्लोवेनिया, बोस्निया एवं हर्जेगोविना व सर्बिया सहित प्रमुख यूरोपीय देशों के साथ सीमा साझा करता है, इसलिए क्रोएशिया के साथ मजबूत संबंधों से भारत को मध्य यूरोपीय बाजारों व उभरते उद्योगों तक बेहतर पहुंच मिलेगी।
देशनामा : क्रोएशिया

- भौगोलिक स्थिति : मध्य एवं दक्षिण-पूर्वी यूरोप में एड्रियाटिक सागर के तट पर स्थित
- सीमा साझा : इसकी सीमा उत्तर-पश्चिम में स्लोवेनिया, उत्तर-पूर्व में हंगरी, पूर्व में सर्बिया, दक्षिण-पूर्व में बोस्निया और हर्जेगोविना व मोंटेनेग्रो से लगती है तथा पश्चिम में इटली के साथ समुद्री सीमा साझा होती है।
- राजधानी : जाग्रेब
- क्षेत्रफल : 56,594 वर्ग किमी. (127वां स्थान)
- जनसंख्या : लगभग 3.9 मिलियन
- स्वतंत्रता : 25 जून, 1991 को यूगोस्लाविया से
- अर्थव्यवस्था : सांकेतिक जी.डी.पी. 2024 में $88.08 बिलियन
- शासन प्रणाली : गणतांत्रिक संसदीय प्रणाली
- समूह सदस्यता : यह यूरोपीय संघ, यूरोज़ोन, शेंगेन क्षेत्र, नाटो, संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय परिषद, यूरोपीय सुरक्षा एवं सहयोग संगठन, विश्व व्यापार संगठन का सदस्य है और भूमध्यसागरीय संघ का संस्थापक सदस्य है।
- क्रोएशिया शेंगेन ज़ोन में है और 1 जनवरी, 2023 से यूरो मुद्रा को अपनाया है।
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