(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार) |
संदर्भ
भारत ने हाल ही में यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के साथ एक व्यापार एवं आर्थिक भागीदारी समझौता (TEPA) पर हस्ताक्षर किया है, जो 1 अक्तूबर, 2025 से लागू होगा।
भारत-ई.एफ.टी.ए. व्यापार समझौता
- हस्ताक्षर तिथि : 10 मार्च, 2024 को नई दिल्ली में हस्ताक्षरित
- लागू होने की तिथि : 1 अक्तूबर, 2025 से प्रभावी
- उद्देश्य : व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा देना, आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करना और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना
- हस्ताक्षरकर्ता : भारत की ओर से वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और ई.एफ.टी.ए. देशों के मंत्रियों- स्विट्जरलैंड के गाय परमेलिन, आइसलैंड के ब्जार्नी बेनेडिक्टसन, लिचटेंस्टीन की डोमिनिक हासलर और नॉर्वे के जैन क्रिश्चियन वेस्ट्रे।
- विशेषता : यह भारत का पहला ऐसा समझौता है जिसमें निवेश एवं सतत विकास के लिए कानूनी बाध्यकारी प्रावधान हैं।
मुख्य प्रावधान
- निवेश प्रतिबद्धता : ई.एफ.टी.ए. देश 15 वर्षों में 100 बिलियन डॉलर का निवेश करेंगे, पहले 10 वर्षों में 50 बिलियन और अगले 5 वर्षों में 50 बिलियन। इससे भारत में 10 लाख प्रत्यक्ष नौकरियां सृजित होंगी।
- शुल्क में कमी : भारत ने स्विस घड़ियां, चॉकलेट, कटे एवं पॉलिश किए गए हीरे जैसे उत्पादों पर शुल्क कम या शून्य किया है। स्विट्जरलैंड ने भारत के 94.7% निर्यात (2018-2023, सोना छोड़कर) के लिए बेहतर बाजार पहुँच दी है।
- उत्पाद : फार्मास्यूटिकल्स, मशीनरी, ऑप्टिकल उपकरण एवं प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों पर ध्यान।
- सतत विकास : समझौते में पर्यावरण, श्रम एवं मानवाधिकारों से संबंधित अंतर्कराष्ट्रीय समझौतों का पालन सुनिश्चित करने के प्रावधान।
- सेवा क्षेत्र : भारत ने 105 उप-क्षेत्रों में रियायतें दीं, जबकि स्विट्जरलैंड से 128, नॉर्वे से 114, लिकटेंस्टीन से 107 और आइसलैंड से 110 उप-क्षेत्रों में प्रतिबद्धताएँ मिलीं।
- नियम : व्यावसायिक लेन-देन पर रोक, नेशनल ट्रीटमेंट और सबसे पसंदीदा राष्ट्र (मोस्ट फेवर्ड नेशन) प्रावधान शामिल।
ई.एफ.टीए. ब्लॉक के बारे में
- स्थापना : वर्ष 1960 में स्टॉकहोम संधि द्वारा स्थापित
- उद्देश्य : मुक्त व्यापार एवं आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देना
- सदस्य देश : आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे एवं स्विट्जरलैंड
- विशेषता : ये देश यूरोपीय संघ (EU) के सदस्य नहीं हैं किंतु यूरोपीय एकल बाजार और शेंगेन क्षेत्र का हिस्सा हैं।
- आर्थिक स्थिति : छोटी जनसंख्या (1.4 करोड़) किंतु नवाचार, प्रतिस्पर्धात्मकता एवं प्रति व्यक्ति धन सृजन में अग्रणी। वैश्विक व्यापार में 10वां (माल) और 8वां (सेवाएं) स्थान।
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प्रमुख प्रभाव
- सकारात्मक प्रभाव:
- आर्थिक विकास: निवेश से बुनियादी ढांचा, विनिर्माण और तकनीक में प्रगति होगी।
- नौकरियां: 10 लाख प्रत्यक्ष और 20 लाख अप्रत्यक्ष नौकरियां सृजित होंगी, खासकर फार्मास्यूटिकल्स, रसायन एवं मशीनरी क्षेत्रों में।
- बाजार पहुंच: भारतीय निर्यात (जैसे- जैविक रसायन, कपड़ा) को ई.एफ.टी.ए. बाजारों में बेहतर पहुंच।
- यूरोपीय एकीकरण: स्विट्जरलैंड के माध्यम से भारत यूरोपीय संघ के बाजारों तक पहुंच सकता है क्योंकि 40% स्विस सेवा निर्यात यूरोपीय संघ को जाता है।
- नकारात्मक प्रभाव:
- विशेषकर स्विट्जरलैंड के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़ सकता है क्योंकि सोने के आयात पर शुल्क अपरिवर्तित है।
- कुछ क्षेत्रों (जैसे- डेयरी, कृषि) में लाभ सीमित है क्योंकि ये शुल्क रियायतों से बाहर रखे गए हैं।

चुनौतियां
- व्यापार असंतुलन : वर्ष 2022-23 में भारत का ई.एफ.टी.ए. के साथ व्यापार 18.65 बिलियन डॉलर था, जिसमें 16.74 बिलियन आयात और केवल 1.92 बिलियन निर्यात था। सोने का आयात इस असंतुलन का प्रमुख कारण है।
- कृषि निर्यात में बाधाएँ : स्विट्जरलैंड में जटिल शुल्क और गुणवत्ता मानकों के कारण भारतीय कृषि उत्पादों का निर्यात मुश्किल।
- न्यूनतम शुल्क लाभ : ई.एफ.टी.ए. देशों में पहले से ही शून्य या कम शुल्क हैं, जिससे भारत को अतिरिक्त लाभ सीमित हैं।
- नियमों में अंतर : भारत एवं ई.एफ.टी.ए. देशों के बीच नियमों, मानकों व कानूनी ढांचे में भिन्नता कार्यान्वयन को जटिल बनाती है।
- डाटा गोपनीयता : कुछ हितधारकों (जैसे- मेडिसिन्स सैंस फ्रंटियर्स) ने डेटा विशेषाधिकार (Data Exclusivity) पर चिंता जताई, जो भारतीय जेनेरिक दवा उद्योग को प्रभावित कर सकता है।
आगे की राह
- निवेश पर निगरानी : निवेश लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए एक मजबूत निगरानी तंत्र स्थापित करना
- कृषि निर्यात में सुधार : गुणवत्ता और मानकों को बढ़ाकर भारतीय कृषि उत्पादों की पहुंच बढ़ाना
- जागरूकता एवं प्रशिक्षण : व्यवसायों को समझौते के लाभों के बारे में शिक्षित करना और नियमों का पालन सुनिश्चित करना।
- यूरोपीय बाजार विस्तार : स्विट्जरलैंड को आधार बनाकर यूरोपीय संघ के साथ व्यापार बढ़ाना
- सतत विकास : पर्यावरण एवं श्रम मानकों को लागू करने के लिए सहयोग बढ़ाना
- तकनीकी हस्तांतरण : ई.एफ.टी.ए. देशों से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को प्रोत्साहित करना, विशेषकर नवीकरणीय ऊर्जा एवं फार्मास्यूटिकल्स में