New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 5th Dec., 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 5th Dec., 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM

औद्योगिक सुरक्षा और स्वास्थ्य: आपदा प्रबंधन दृष्टिकोण 

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3: आपदा एवं उसका प्रबंधन)

संदर्भ

गुजरात के भरूच जिले में स्थित एक फार्मास्यूटिकल फैक्ट्री में 12 नवंबर 2025 को बॉयलर विस्फोट के कारण दो मजदूरों की मौत हो गई और लगभग 20 अन्य घायल हो गए। विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि पूरी फैक्ट्री की संरचना ढह गई और आग लग गई। यह घटना न केवल औद्योगिक सुरक्षा की गंभीर खामियों को उजागर करती है, बल्कि आपदा प्रबंधन के दृष्टिकोण से भी गहन विश्लेषण की मांग करती है।

औद्योगिक आपदाएं: एक निरंतर चुनौती

भारत में औद्योगिक आपदाएं नई नहीं हैं, भोपाल गैस त्रासदी (1984) से लेकर विशाखापत्तनम गैस लीक (2020) और अब भरूच बॉयलर विस्फोट तक, इन घटनाओं ने यह स्पष्ट किया है कि औद्योगिक सुरक्षा और स्वास्थ्य (Industrial Safety and Health) केवल नियमों का विषय नहीं, बल्कि एक सामाजिक और प्रशासनिक जिम्मेदारी भी है।

औद्योगिक सुरक्षा : आपदा प्रबंधन दृष्टिकोण

1. रोकथाम (Prevention): सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि फैक्ट्रियों में संभावित खतरों की पहचान और उन्हें रोकने के उपाय पहले से सुनिश्चित किए जाएं।

  • बॉयलर, रासायनिक टैंक और उच्च तापमान वाले उपकरणों की नियमित जाँच और रखरखाव आवश्यक है।
  • सुरक्षा मानकों (Standard Operating Procedures : SOPs) का पालन सुनिश्चित किया जाए।
  • हर कर्मचारी को सुरक्षा प्रशिक्षण और आपातकालीन प्रतिक्रिया अभ्यास (Mock Drills) कराए जाएं।

2. तत्परता (Preparedness): आपदा के संभावित प्रभावों से निपटने के लिए कारखानों में स्पष्ट आपातकालीन योजना (Emergency Response Plan) होनी चाहिए।

  • फैक्ट्री के भीतर फायर अलार्म सिस्टम, निकासी मार्ग, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र और सुरक्षा उपकरण हमेशा सक्रिय अवस्था में रहें।
  • स्थानीय प्रशासन, फायर ब्रिगेड और चिकित्सा संस्थानों के साथ समन्वय स्थापित किया जाए।

3. प्रतिक्रिया (Response): विस्फोट जैसी घटनाओं के बाद तेज और समन्वित प्रतिक्रिया आवश्यक है।

  • फायर ब्रिगेड, पुलिस, NDRF, और औद्योगिक सुरक्षा निदेशालय की तत्काल भागीदारी जरूरी है।
  • घायलों को शीघ्र चिकित्सा सहायता और सुरक्षित निकासी सुनिश्चित की जाए।
  • घटना स्थल का फॉरेंसिक विश्लेषण किया जाए ताकि भविष्य में ऐसी त्रुटियों से बचा जा सके।

4. पुनर्वास और पुनर्निर्माण (Recovery & Rehabilitation): घटना के बाद प्रभावित मजदूरों और उनके परिवारों के पुनर्वास पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

  • मुआवजा वितरण की पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जाए।
  • फैक्ट्री के पुनर्निर्माण से पहले सभी सुरक्षा अनुमतियाँ और ऑडिट रिपोर्ट पुनः सत्यापित की जाएं।

औद्योगिक स्वास्थ्य और श्रमिक सुरक्षा

  • औद्योगिक इकाइयों में श्रमिकों का स्वास्थ्य सीधे उत्पादन और सुरक्षा से जुड़ा होता है।
  • कार्यस्थल पर रासायनिक जोखिम, ध्वनि प्रदूषण, और तापीय प्रभावों का मूल्यांकन होना चाहिए।
  • स्वास्थ्य निगरानी और चिकित्सा जांच नियमित रूप से की जानी चाहिए।
  • मजदूरों को व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) उपलब्ध कराना और उनका सही उपयोग सुनिश्चित करना आवश्यक है।

नियामक और प्रशासनिक सुधार की आवश्यकता

  • इस प्रकार की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि औद्योगिक सुरक्षा निदेशालय (DISH) की निगरानी को और सशक्त बनाने की जरूरत है।
  • कारखाना अधिनियम, 1948 और बोइलर्स एक्ट, 1923 के तहत दिए गए प्रावधानों का कड़ाई से पालन हो।
  • हर औद्योगिक इकाई में सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य किया जाए और उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।
  • राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) को औद्योगिक क्षेत्रीय जोखिम मानचित्रण करना चाहिए।

निष्कर्ष

भरूच की यह घटना एक चेतावनी है कि औद्योगिक विकास केवल उत्पादन और निवेश तक सीमित नहीं रह सकता। यदि सुरक्षा और स्वास्थ्य के मानक कमजोर पड़ते हैं, तो यह न केवल मानव जीवन बल्कि आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिरता पर भी गंभीर प्रभाव डालता है। आपदा प्रबंधन के सिद्धांत रोकथाम, तैयारी, प्रतिक्रिया, और पुनर्वास को औद्योगिक नीति का अभिन्न अंग बनाना आज की अनिवार्यता है।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR