New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 15th Jan., 2026 New Year offer UPTO 75% + 10% Off | Valid till 03 Jan 26 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM New Year offer UPTO 75% + 10% Off | Valid till 03 Jan 26 GS Foundation (P+M) - Delhi : 15th Jan., 2026 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM

एकीकृत हवाई रक्षा हथियार प्रणाली

(प्रारंभिक परीक्षा: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ, विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अधिदेश)

संदर्भ

23 अगस्त, 2025 को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने ओडिशा तट पर एकीकृत हवाई रक्षा हथियार प्रणाली (IADWS) का सफलतापूर्वक प्रथम उड़ान परीक्षण किया।

बहु-स्तरीय हवाई रक्षा प्रणाली के बारे में

  • यह एक एकीकृत रक्षा प्रणाली है जो विभिन्न हथियार प्रणालियों, रडार एवं कमांड सेंटर को जोड़ती है।
  • यह प्रणाली विभिन्न ऊंचाइयों और दूरी पर हवाई खतरों, जैसे- ड्रोन, मिसाइल एवं लड़ाकू विमानों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन की गई है।
  • इस प्रणाली में स्वदेशी एवं आयातित दोनों प्रणालियाँ शामिल हैं, जैसे- S-400, अकाश व क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल (QRSAM)।
  • एकीकृत हवाई कमांड एवं नियंत्रण प्रणाली (IACCS) और आकाशतीर के माध्यम से यह सभी घटकों को समन्वित करती है।
  • डी.आर.डी.ओ. द्वारा विकसित यह प्रणाली रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (DRDL) द्वारा नियंत्रित केंद्रीकृत कमांड सेंटर पर निर्भर करती है।

प्रमुख घटक

  • क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल (QRSAM): मध्यम दूरी की यह मिसाइल ड्रोन एवं क्रूज मिसाइलों को 30 किमी. तक की दूरी पर नष्ट कर सकती है।
  • अल्प दूरी की हवाई रक्षा प्रणाली (VSHORADS): कम ऊंचाई पर उड़ने वाले लक्ष्य, जैसे- ड्रोन और हेलीकॉप्टर को 6-8 किमी. की दूरी पर नष्ट करने में सक्षम है।
  • निर्देशित ऊर्जा हथियार (DEW): यह उच्च-शक्ति लेजर प्रणाली है जो ड्रोन और अन्य छोटे लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए उन्नत तकनीक का उपयोग करती है।
  • रडार और निगरानी: उन्नत रडार (जैसे- रोहिणी एवं अरुध्रा) 200 से अधिक लक्ष्यों को एक साथ ट्रैक कर सकते हैं।
  • कमांड एवं नियंत्रण: केंद्रीकृत कमांड सेंटर वास्तविक समय में निगरानी, पहचान एवं जवाबी कार्रवाई को समन्वित करता है।

मुख्य विशेषताएँ

  • बहु-स्तरीय रक्षा: चार स्तरों (लंबी, मध्यम, छोटी एवं बहुत छोटी दूरी) पर खतरों को रोकने की क्षमता।
  • स्वदेशी तकनीक: QRSAM, VSHORADS एवं DEW जैसे घटक पूरी तरह से स्वदेशी हैं, जो भारत की आत्मनिर्भरता को दर्शाते हैं।
  • तेज प्रतिक्रिया: यह प्रणाली 5 मिनट में युद्ध के लिए तैयार हो सकती है और विभिन्न इलाकों में तैनात की जा सकती है।
  • विविध लक्ष्य: यह लड़ाकू विमान, क्रूज मिसाइल, बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन जैसे विभिन्न खतरों को नष्ट कर सकती है।
  • इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमता: यह जैमिंग एवं साइबर हमलों से बचाव के लिए उन्नत इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा उपाय है।

महत्व

  • राष्ट्रीय सुरक्षा: यह प्रणाली भारत के हवाई क्षेत्र को दुश्मन के विमानों, मिसाइलों एवं ड्रोन से बचाती है।
  • रणनीतिक निवारण: S-400 जैसे लंबी दूरी के सिस्टम दुश्मनों को हमले की रणनीति बदलने के लिए मजबूर करते हैं।
  • आत्मनिर्भरता: स्वदेशी प्रणालियों का विकास भारत की रक्षा तकनीक में प्रगति को दर्शाता है।
  • क्षेत्रीय स्थिरता: यह प्रणाली भारत को दक्षिण एशिया में रणनीतिक श्रेष्ठता प्रदान करती है।
  • आधुनिक युद्ध: ड्रोन एवं हाइपरसोनिक हथियारों जैसे उभरते खतरों का मुकाबला करने में सक्षम है।

सीमाएँ

  • इस प्रणाली की स्थापना एवं रखरखाव के लिए उच्च लागत व संसाधनों की आवश्यकता
  • विभिन्न रक्षा बलों (सेना, नौसेना, वायुसेना) के बीच समन्वय में कमी के कारण देरी
  • हाइपरसोनिक मिसाइलों जैसे उन्नत खतरों का पूरी तरह से मुकाबला करने के लिए अधिक विकास की आवश्यकता
  • जटिल प्रणालियों को संचालित करने के लिए विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता
  • सीमित संख्या में S-400 जैसे आयातित सिस्टम की आपूर्ति में देरी से रणनीतिक चुनौतियाँ
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR