(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध) |
संदर्भ
भारत और ईरान के बीच हाल ही में हुए उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान क्षेत्रीय भू-राजनीतिक बदलावों के बीच विकसित हो रहे सभ्यतागत संबंधों और रणनीतिक साझेदारी को रेखांकित करते हैं।
भारत-ईरान संबंध
सभ्यतागत संबंध
- भारत एवं ईरान दोनों प्राचीन सभ्यताएँ हैं जिनके बीच प्राचीन काल से ही साझा सांस्कृतिक, भाषाई एवं धार्मिक आदान-प्रदान रहा है।
- भारतीय वास्तुकला, भाषा (उर्दू, हिंदी) और दरबारी परंपराओं में फ़ारसी प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है।
- सूफी एवं शिया संबंधों ने सांस्कृतिक आत्मीयता को और मज़बूत किया है।
रणनीतिक एवं आर्थिक आयाम
- चाबहार बंदरगाह : पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए अफ़ग़ानिस्तान एवं मध्य एशिया के लिए भारत का प्रवेश द्वार है।
- यह अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) से जुड़ा हुआ है।
- ऊर्जा सहयोग : अमेरिकी प्रतिबंधों (2019) से पहले ईरान, भारत का एक प्रमुख कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता देश था।
- भारत की ऊर्जा विविधीकरण आवश्यकताओं के बीच आयात फिर से शुरू करने के लिए बातचीत जारी है।
क्षेत्रीय सुरक्षा
- अफ़ग़ानिस्तान को स्थिर करने में सहयोग
- क्षेत्र में उग्रवाद और आतंकवाद का मुकाबला
भू-राजनीतिक संतुलन
- भारत अपने संबंधों में अमेरिका, खाड़ी देशों और ईरान के साथ संतुलन बनाए रखता है।
- चीन (25-वर्षीय रणनीतिक समझौता) के साथ ईरान के बढ़ते संबंध भारत के लिए जटिलता में वृद्धि करते हैं।
चुनौतियाँ
- अमेरिकी प्रतिबंध द्वारा व्यापार एवं निवेश का सीमित होना
- बैंकिंग और बीमा बाधाएँ
- ईरान की घरेलू राजनीति और क्षेत्रीय भूमिका में अनिश्चितता
भारत के लिए महत्व
- ईरान एक्ट ईस्ट के पूरक के रूप में एक्ट वेस्ट नीति को मज़बूत करता है।
- यह यूरेशिया से भारत के संपर्क को बढ़ाता है।
- खाड़ी राजतंत्रों से परे ऊर्जा और रणनीतिक साझेदारियों में विविधता लाता है।
भारत-ईरान संबंधों के लिए नए क्षितिज
वर्तमान में वैश्विक दक्षिण के देश किसी के प्रभुत्व एवं भेदभाव के अधीन रहने से इनकार करते हैं। स्थानीय मॉडलों पर भरोसा, स्वदेशी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का विकास और अपनी रक्षा व सुरक्षा को मजबूत करके उन्होंने एक नया रास्ता शुरू किया है। इस ऐतिहासिक परिवर्तन में प्राचीन सभ्यताओं की एक अनूठी भूमिका है।
सांस्कृतिक प्रभाव
- दुनिया की दो सबसे प्राचीन और समृद्ध सभ्यताओं के रूप ने ईरान एवं भारत ने सदियों से वैश्विक संस्कृति को आकार दिया है।
- दोनों सभ्यताओं ने युद्ध से परहेज करते हुए शांति को महत्त्व दिया और केवल आक्रमण के विरुद्ध सुरक्षा के लिए ही युद्ध किया।
- सैन्य रूप से पराजित होने पर भी अपने सांस्कृतिक प्रभाव के माध्यम से उन्होंने विजेताओं को नया रूप दिया, उन्हें शासन कला, साहित्य, दर्शन, कला एवं वास्तुकला का अपना ज्ञान प्रदान किया।
- इस्लाम के आगमन के बाद ईरान के सभ्यतागत मूल्य एक नए रूप में जारी रहे, जबकि भारत इस्लामी प्रभाव से अधिक समृद्ध हुआ।
- भारत ने अपने उपनिवेश-विरोधी संघर्ष और गुटनिरपेक्ष आंदोलन के नेतृत्व के माध्यम से वैश्विक दक्षिण के अधिकारों की रक्षा की।
- ईरान ने अपने तेल उद्योग का राष्ट्रीयकरण करके और इस्लामी क्रांति के माध्यम से पश्चिमी प्रभुत्व का विरोध किया।
- दोनों राष्ट्र मिलकर शांति, आध्यात्मिकता एवं प्रकृति के प्रति सम्मान जैसे मूल्यों को अपनाते हैं जिनकी वर्तमान में तत्काल आवश्यकता है।
- ये मूल्य संरचनात्मक हिंसा, पर्यावरणीय संकटों और सामाजिक पतन का सामना करने में मानवता का मार्गदर्शन कर सकते हैं।
दक्षिण-दक्षिण सहयोग
दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मज़बूत करके, ब्रिक्स जैसे मंचों में सक्रिय भूमिका निभाकर, मानवीय एवं नैतिक सिद्धांतों को कायम रखकर और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) जैसी परिवर्तनकारी परियोजनाओं को आगे बढ़ाकर भारत एवं ईरान मिलकर एक न्यायसंगत व मानवीय व्यवस्था की नींव रख सकते हैं।