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कालापानी क्षेत्र और भारत- नेपाल विवाद

(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, भारत का प्राकृतिक भूगोल)
(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र- 1 व 2: विश्व का भूगोल, भारत एवं इसके पड़ोसी-सम्बंध)

पृष्ठभूमि

  • हाल ही में, नेपाल ने भारत द्वारा बनाए जा रहे मानसरोवर लिंक रोड के निर्माण और उद्घाटन का विरोध किया है। इस लिंक रोड का निर्माण उत्तराखंड के धारचूला से भारत-चीन सीमा के पास स्थित लिपुलेख तक किया गया है।
  • नेपाल के अनुसार, यह निर्माण एक विवादित क्षेत्र में हो रहा है। यह क्षेत्र भारत और नेपाल के साथ-साथ चीनी-तिब्बत के मध्य रणनीतिक रूप से त्रि-कोणीय जंक्शन पर अवस्थित है। ध्यातव्य है कि नेपाल सामरिक रूप से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण लिम्पियाधुरा (Limpiyadhura) और कालापानी क्षेत्रों पर अपना दावा करता है।
  • उल्लेखनीय है कि वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद भारतीय सैनिकों को यहाँ तैनात किया गया था। कालापानी क्षेत्र में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) अर्धसैनिक बल को तैनात किया गया है। भारत-नेपाल सीमा की सुरक्षा का उत्तरदायित्त्व सीमा सुरक्षाबल (SSB) के ज़िम्मे है।

कालापानी क्षेत्र

  • ‘कालापानी क्षेत्र’ भारत के मानचित्र में उत्तराखंड राज्य में स्थित लगभग 372 वर्ग किलोमीटर का एक क्षेत्र है। इसकी सीमाएँ सुदूर-पश्चिम नेपाल और तिब्बत से मिलती हैं।
  • नेपाल और ब्रिटिश भारत के मध्य वर्ष 1816 में सम्पन्न हुई सुगौली की संधि द्वारा कालापानी से बहने वाली महाकाली नदी के रूप में दोनों पड़ोसियों के मध्य सीमा का निर्धारण किया गया था। कालापानी विवाद का प्रमुख कारण महाकाली नदी के वास्तविक और प्राथमिक स्रोत के बारे में अलग-अलग राय का होना है।
  • हालाँकि, कई सहायक नदियाँ (Tributaries) महाकाली नदी से कालापानी में मिलती हैं। इस कारण भारत यह दावा करता है कि महाकाली नदी का उद्गम स्थल कालापानी है। वहीं नेपाल का मानना है कि यह नदी लिपुलेख से शुरू होती है, क्योंकि यह स्थल महाकाली नदी की अधिकांश सहायक नदियों का स्रोत है।
  • नेपाल सरकार और राजनीतिक दलों द्वारा किये जा रहे विरोध के प्रत्युत्तर में भारत ने कहा है कि नए राजनीतिक मानचित्र में नेपाल के साथ वर्तमान सीमा को किसी भी प्रकार से संशोधित नहीं किया गया है।
  • ध्यातव्य है कि सुस्ता क्षेत्र भी दोनों देशों के मध्य विवाद का मुद्दा है। सुस्ता के सम्बंध में प्रमुख समस्या नारायणी नदी द्वारा मार्ग परिवर्तन है। विदित है कि भारत और नेपाल के मध्य लगभग 98% सीमा विवादों को सुलझाया जा चुका है।

Kalapani

भारत के लिये महत्त्व

  • यह लिंक रोड चीनी-तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर की तीर्थयात्रा में लगने वाले समय को कम करेगा।
  • लिपुलेख दर्रा भारत के लिये सामरिक महत्त्व रखता है क्योंकि भारत इसका प्रयोग चीन की सैन्य गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिये करता है।
  • लिपुलेख दर्रा से होकर गुज़रने वाले लिंक रोड को भारत व चीन के मध्य सबसे छोटे और व्यवहार्य व्यापारिक मार्गों में से एक माना जाता है।
  • नेपाल के गृह मंत्री ने कहा है कि नेपाल चीन के साथ भी बातचीत करेगा क्योंकि भारत और चीन ने नेपाल के परामर्श के बिना लिपुलेख को वाणिज्यिक मार्ग के रूप में विकसित करने हेतु मई 2015 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।
  • वर्तमान परियोजना के तहत, एक ही सड़क को तीर्थयात्रियों, स्थानीय लोगों और व्यापारियों की सुविधा के अनुकूल बनाया गया है।
  • उल्लेखनीय है कि भारत में काम के सिलसिले में छह से आठ मिलियन नेपाली नागरिक रह रहे हैं। इस विवाद से भारत के विरुद्ध नेपाल में भावनात्मक विरोध में वृद्धि हुई है। इससे क्षेत्रीय अस्थिरता के साथ-साथ पड़ोसी देशों में चीन की उपस्थिति को बल मिलेगा।
  • वर्तमान समय में, नेपाल की प्रतिक्रिया के पीछे सम्भवतः चीनी दबाव को प्रमुख कारण माना जा रहा है।
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