New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM Diwali Special Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 22nd Oct., 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM Diwali Special Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 22nd Oct. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM

करूर भीड़ दुर्घटना: एक दर्दनाक त्रासदी

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3: आपदा और आपदा प्रबंधन।)

प्रसंग

तामिलनाडु के करूर जिले में 27 सितंबर 2025 की रात अभिनेता और तमिलागा वेत्री कज़हगम (TVK) प्रमुख विजय के राजनीतिक रोडशो के दौरान रैली में भगदड़ मचने से 40 लोगों की मौत हो गई। यह राज्य की सबसे गंभीर राजनीतिक सभा दुर्घटनाओं में से एक मानी जा रही है।

करूर भीड़ दुर्घटना के बारे में

  • यह घटना वेलुसम्यपुरम, करूर, तमिलनाडु में हुई; इस सभा का आयोजन TVK पार्टी द्वारा किया गया था।
  • भीड़ के बढ़ने के कारण लोग संकुचित स्थान में दब गए, जिससे कुल 40 से अधिक मौतें हुई, जिनमें कम से कम 17 महिलाएं, 15 पुरुष और 9 बच्चे शामिल हैं।

कारण

  • सभा के आयोजकों और पुलिस के बीच भीड़ नियंत्रण की कमी।
  • अभिनेता की लोकप्रियता के चलते कार्यक्रम स्थल पर अनुमानित 10,000 की जगह लगभग 40,000 लोग जमा हो गए।
  • रोडशो के दौरान आसपास की सड़कें अवरुद्ध, लोग छतों और बिजली पोलों पर चढ़ गए।

भीड़ प्रबंधन क्या है

  • भीड़ प्रबंधन बड़े समारोहों या स्थानों पर लोगों की सुरक्षित, व्यवस्थित और कुशल आवागमन सुनिश्चित करने की व्यवस्थित प्रक्रिया है। 
  • यह योजना, संगठन और निगरानी पर आधारित है, जिसमें जोखिम मूल्यांकन, क्षमता योजना और वास्तविक समय की निगरानी शामिल है। 
  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एन.डी.एम.ए.) के अनुसार, यह पैनिक (भयावहता) को रोकने और आपातकालीन प्रतिक्रिया को मजबूत करने के लिए आवश्यक है। 
  • इसमें आयोजकों, पुलिस, स्थानीय प्रशासन और समुदाय की भागीदारी होती है। 
  • भारत में, जहां धार्मिक, राजनीतिक या सांस्कृतिक आयोजन लाखों को आकर्षित करते हैं, भीड़ प्रबंधन मानवीय आपदा को रोकने का प्रमुख उपकरण है।

दिशानिर्देश एवं नीतियां

भारत में भीड़ प्रबंधन के लिए प्रमुख दिशानिर्देश और नीतियां निम्न हैं:

  • एन.डी.एम.ए. दिशानिर्देश (2014): ‘मास गेदरिंग में भीड़ प्रबंधन’ पर आधारित, जिसमें क्षमता मूल्यांकन, जोखिम विश्लेषण, सीसीटीवी और ड्रोन निगरानी, आपातकालीन चिकित्सा सुविधाएं और बहु-एजेंसी समन्वय शामिल हैं।
  • आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005: बड़े आयोजनों को आपदा के रूप में वर्गीकृत करता है, जिसमें राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एस.डी.एम.ए.) की भूमिका है।
  • पुलिस एक्ट, 1861: सभाओं और जुलूसों को विनियमित करता है, जिसमें शर्तें लगाने का अधिकार है।
  • राज्य-स्तरीय नीतियां: जैसे कर्नाटक क्राउड कंट्रोल बिल 2025, जो राजनीतिक रैलियों पर प्रभाव डालता है। आयोजकों को पूर्व अनुमति, सुरक्षा योजना और जुर्माना अनिवार्य है। 
    • ये दिशानिर्देश पूर्व-योजना पर जोर देते हैं, लेकिन कार्यान्वयन की कमी बनी रहती है।

सर्वोच्च न्यायालय के महत्त्वपूर्ण निर्णय

  • 2013 रतनगढ़ मंदिर भगदड़ (मध्य प्रदेश): धार्मिक आयोजनों के लिए अनिवार्य भीड़ नियंत्रण उपाय, जैसे जोखिम मूल्यांकन और सुरक्षा योजनाएं।
  • महा कुम्भ भगदड़ (2025): यूपी अधिकारियों पर कार्रवाई की याचिका खारिज की, लेकिन हाईकोर्ट जाने को कहा; भीड़ प्रबंधन नीतियों को मजबूत करने का निर्देश।
  • नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़ (2025): सीबीआई जांच की याचिका खारिज, लेकिन एनडीएमए 2014 रिपोर्ट लागू करने का आदेश; फुट ओवरब्रिज विस्तार और रैंप की सिफारिश।
  • हाथरस भगदड़ (2024): आयोजकों और अधिकारियों पर संयुक्त दायित्व, जुर्माना और सजा का प्रावधान। ये निर्णय पूर्व-निवारक उपायों, समन्वय और जवाबदेही पर जोर देते हैं, लेकिन बार-बार होने वाली घटनाएं कार्यान्वयन की कमजोरी दर्शाती हैं।

सिस्टम विफलता के कारण

  • भारत में भीड़ प्रबंधन सिस्टम की विफलता के प्रमुख कारण हैं: 
    • आयोजकों द्वारा क्षमता से अधिक भीड़ का अनुमान न लगाना (जैसे करूर में 10,000 बनाम 40,000)
    • राजनीतिक दबाव से पुलिस की स्वतंत्रता पर असर
    • सांस्कृतिक सहनशीलता, जहां भीड़ को सामान्य माना जाता है
    • बुनियादी ढांचे की कमी, जैसे संकुचित स्थल और अपर्याप्त पुलिस
    • समन्वय की कमी (पुलिस, आयोजक, स्थानीय प्रशासन)
  • एनसीआरबी डेटा के अनुसार, वर्ष 1996 से 2022 के मध्य 3,935 भगदड़ें हुईं, जिसमें 3,000 से अधिक मौतें हुई। 
  • राजनीतिक रैलियों में फैन उत्साह और शक्ति प्रदर्शन प्राथमिकता बन जाता है, सुरक्षा को नजरअंदाज कर दिया जाता है।

आगे की राह

करूर जैसी त्रासदियों से बचने के लिए निम्न कदम उठाने चाहिए:

  • पूर्व-योजना: सभी बड़े आयोजनों के लिए अनिवार्य जोखिम मूल्यांकन और एन.डी.एम.ए. दिशानिर्देशों का पालन; क्षमता सीमा और पूर्व-अनुमति।
  • तकनीकी एकीकरण: ड्रोन, सी.सी.टी.वी. और ए.आई.-आधारित भीड़ निगरानी; वास्तविक समय अलर्ट सिस्टम।
  • बहु-एजेंसी समन्वय: पुलिस, स्वास्थ्य, अग्निशमन और आयोजकों के बीच एकीकृत कमांड सेंटर।
  • जागरूकता और प्रशिक्षण: जनता को भीड़ व्यवहार पर शिक्षा; पुलिसकर्मियों के लिए नियमित ट्रेनिंग।
  • कानूनी सख्ती: लापरवाही पर तत्काल कार्रवाई, जैसे जमानत राशि या रैली प्रतिबंध; राष्ट्रीय भीड़ प्रबंधन नीति।
  • बुनियादी सुधार: खुले, विशाल स्थलों का चयन; चिकित्सा और निकासी सुविधाएं अनिवार्य। राजनीतिक दलों को उत्साह को प्रबंधित करना सीखना होगा, और सरकार को दिशानिर्देशों को बाध्यकारी बनाना चाहिए। इससे न केवल जानें बचेंगी, बल्कि लोकतंत्र की जीवंतता भी सुरक्षित रहेगी।

भीड़ प्रबंधन से संबंधित संवैधानिंक और कानूनी प्रावधान

  • अनुच्छेद 19: संविधान का अनुच्छेद 19(1)(b) नागरिकों को शांतिपूर्वक और बिना हथियारों करने का अधिकार प्रदान करता है। हालांकि, अनुच्छेद 19 (3) के तहत सरकार ऐसे अधिकार पर उचित प्रतिबंध लगा सकती है।
  • पुलिस अधिनियम, 1861: यह अधिनियम लोक असुविधा को रोकने के लिए वैध जुलूसों और सभाओं को विनियमित करने हेतु उचित शर्तों को निर्धारित करता है।
  • आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005: यह अधिनियम वाहनों और मानव यातायात, तथा भीड़ प्रबंधन से संबंधित अन्य क्षेत्रों से संबंधित है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X