(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3: सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ एवं उनका प्रबंधन- संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच संबंध।) |
संदर्भ
केंद्र सरकार और मणिपुर सरकार ने हिंसा प्रभावित राज्य में शांति और स्थिरता बहाल करने के उद्देश्य से कुकी-ज़ो विद्रोही समूहों (Kuki-Zo rebel groups) के साथ ‘पुनर्निर्धारित नियम व शर्तों के आधार पर एक ऑपरेशन निलंबन (Suspension of Operations: SoO) समझौते पर हस्ताक्षर किए।
पृष्ठभूमि
- मणिपुर में मई 2023 से मैतेई और कुकी-ज़ो समुदायों के बीच लंबे समय से जातीय हिंसा जारी है, जिसके परिणामस्वरूप 200 से अधिक मौतें और बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ है।
- कई कुकी विद्रोही समूह वर्ष 2008 से ही ऑपरेशन निलंबन (SoO) समझौते के तहत शांति वार्ता कर रहे हैं।
- इस समझौते को राज्य में सुलह और स्थायी शांति की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। यह समझौता हस्ताक्षर की तारीख से एक वर्ष की अवधि के लिए प्रभावी होगा।
- पहली बार SoO समझौते पर 1990 के दशक में कुकी-नागा संघर्ष के बाद हस्ताक्षर किए गए थे, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे।
ऑपरेशन निलंबन समझौते के बारे में
- हितधारक: केंद्र सरकार, मणिपुर सरकार और कुकी-ज़ो सशस्त्र समूहों के प्रतिनिधि।
- युद्धविराम समझौता: सशस्त्र समूह हिंसा का त्याग करेंगे और संवैधानिक ढाँचे के भीतर काम करेंगे।
- मुख्यधारा में एकीकरण: कार्यकर्ताओं के पुनर्वास, हथियारों के समर्पण और सामाजिक-आर्थिक विकास के उपायों के प्रावधान।
- समूह ने ज़िले से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-2 (इंफाल-दीमापुर) को ‘यात्रियों और आवश्यक वस्तुओं की मुक्त आवाजाही के लिए’ खोलने पर सहमति व्यक्त की।
- यह राजमार्ग, जो मैतेई समूह के निवास स्थान इम्फाल घाटी को नागालैंड और असम से जोड़ने वाला प्रमुख राजमार्ग है; मैतेई लोगों की आवाजाही के लिए पिछले दो वर्षों से बंद है।
- स्थिरता पर ध्यान: राज्य में दीर्घकालिक राजनीतिक सुरक्षा और जातीय चिंताओं को दूर करने की प्रतिबद्धता।
- निगरानी तंत्र: एक संयुक्त समिति शांति समझौते के कार्यान्वयन की देखरेख करेगी।

संशोधित आधारभूत नियम
- सुरक्षा बल कैडरों का सत्यापन करेंगे और यदि कोई विदेशी नागरिक है, तो उसे सूची से हटा देंगे।
- पहचान हो जाने के बाद, विदेशी नागरिकों को निर्वासित कर दिया जाएगा।
- संशोधित आधारभूत नियम मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता और विद्रोही समूहों द्वारा संचालित शिविरों के स्थानांतरण पर ज़ोर देते हैं।
- समूह ने संघर्ष की आशंका वाले क्षेत्रों से सात निर्दिष्ट शिविरों को दूर स्थानांतरित करने पर भी सहमति व्यक्त की है।
समझौते का महत्त्व
- सुरक्षा: उग्रवाद-संबंधी हिंसा और हथियारों के प्रसार में कमी।
- प्राशासन: संवाद-आधारित संघर्ष समाधान के अवसर।
- विकास: पहाड़ी क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक उत्थान को सुगम बनाता है।
- जातीय सद्भाव: अंतर-सामुदायिक तनावों को दूर करने के लिए आधार तैयार करता है।