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कुमराम भीम संरक्षण रिज़र्व

(प्रारंभिक परीक्षा : पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ

तेलंगाना सरकार ने 30 मई, 2025 को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत कवाल टाइगर रिज़र्व (तेलंगाना) और ताडोबा-अंधारी टाइगर रिज़र्व (महाराष्ट्र) को जोड़ने वाले टाइगर कॉरिडोर क्षेत्र को ‘कुमराम भीम संरक्षण रिज़र्व’ घोषित किया है।

क्या होते हैं संरक्षण रिज़र्व 

  • परिचय : संरक्षण रिज़र्व वे क्षेत्र होते हैं जो राज्य सरकार द्वारा राज्य के स्वामित्व वाली भूमि, विशेषकर राज्य के वन विभाग की भूमि, को स्थानीय समुदायों एवं ग्राम सभाओं की भागीदारी से संरक्षित करने के लिए अधिसूचित किए जाते हैं।
  • कानूनी ढांचा : भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (धारा- 36A)
    • इस प्रावधान को वर्ष 2002 के संशोधन के बाद जोड़ा गया था।
  • अधिसूचना : राज्य सरकार द्वारा 
    • परंतु जहाँ संरक्षण रिजर्व में केंद्रीय सरकार के स्वामित्व वाली कोई भूमि सम्मिलित होती है, वहाँ ऐसी घोषणा करने से पूर्व केंद्र सरकार की सहमति प्राप्त की जाएगी।
  • मुख्य उद्देश्य:
    • प्राकृतिक वन्यजीव गलियारों (Wildlife Corridors) की रक्षा करना
    • मानव एवं वन्यजीवों के सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना
    • स्थानीय समुदायों को संरक्षण प्रयासों में शामिल करना
    • उन क्षेत्रों का संरक्षण करना जिनका जैव-विविधता के संरक्षण में महत्त्वपूर्ण योगदान है किंतु जिन्हें पारंपरिक संरक्षित क्षेत्र घोषित नहीं किया गया है। 
  • महत्व : यह राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों तथा आरक्षित व संरक्षित वनों के बीच जैविक गलियारे (Migration Corridors) अथवा बफर क्षेत्र के रूप में कार्य करता है।

संरक्षण रिजर्व घोषित करने की प्रक्रिया

  • योग्य भूमि की पहचान : राज्य सरकार उन क्षेत्रों की पहचान करती है जो वन विभाग की भूमि, राजस्व विभाग की भूमि या समुदायों के उपयोग में आने वाली सार्वजनिक भूमि होती है।
    • यह क्षेत्र संरक्षित क्षेत्र के निकटवर्ती हो सकता है या वन्यजीवों के लिए प्रवास मार्ग (Corridors) हो सकता है।
  • स्थानीय समुदायों से परामर्श : स्थानीय ग्राम सभाओं, पंचायतों एवं अन्य हितधारकों से विचार-विमर्श किया जाता है।
    • यदि यह भूमि समुदाय के उपयोग में है तो समुदाय की सहमति आवश्यक होती है।
  • राज्य वन्यजीव सलाहकार बोर्ड की अनुशंसा : यह बोर्ड प्रस्तावित क्षेत्र की पारिस्थितिकी, वन्यजीवों की उपस्थिति एवं अन्य कारकों का मूल्यांकन करता है तथा राज्य सरकार को संरक्षण रिजर्व घोषित करने की सिफारिश करता है।
  • राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना : राज्य सरकार वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 36A के तहत एक राजपत्र अधिसूचना जारी कर उस क्षेत्र को ‘संरक्षण रिजर्व’ घोषित करती है।

कुमराम भीम संरक्षण रिज़र्व के बारे में 

  • अवस्थिति : कवाल टाइगर रिज़र्व (तेलंगाना) और ताडोबा-अंधारी टाइगर रिज़र्व (महाराष्ट्र) के बीच तेलंगाना के आदिलाबाद जिले में स्थित टाइगर कॉरिडोर क्षेत्र
  • नामकरण : गोंड एवं आदिवासी समुदायों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रसिद्ध ‘कुमराम भीम’ के नाम पर   
    • इन्होंने ब्रिटिश एवं निज़ाम शासन के खिलाफ आदिवासी अधिकारों और ‘जल, जंगल, ज़मीन’ की रक्षा के लिए संघर्ष किया।
    • ये 20वीं सदी के आरंभिक दशकों में तेलंगाना के जंगलों में आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे।

संरक्षण रिज़र्व का महत्व

  • टाइगर कॉरिडोर की सुरक्षा : यह क्षेत्र बाघों के पारंपरिक प्रवास मार्ग (Traditional Migration Route) का हिस्सा है। 
    • इसको रिज़र्व घोषित करने से इस मार्ग को विकासात्मक गतिविधियों, अतिक्रमण, सड़क निर्माण व खनन से सुरक्षा मिलेगी।
  • आनुवंशिक विविधता में वृद्धि : बाघों को दो आरक्षित क्षेत्रों के बीच निर्बाध आवागमन की सुविधा मिलेगी जिससे जनसंख्या में आनुवंशिक विविधता बनी रहेगी।
  • स्थानीय समुदायों की भागीदारी : संरक्षण रिज़र्व का प्रावधान स्थानीय समुदायों की भागीदारी के लिए बना है जिससे वे संरक्षण के भागीदार बन सकें।
  • अन्य प्रजातियों की सुरक्षा : यह क्षेत्र न केवल बाघों के लिए, बल्कि तेंदुआ, भालू, सियार, जंगली सूअर, हिरण एवं पक्षियों की कई प्रजातियों के लिए भी महत्त्वपूर्ण है।

कवल टाइगर रिजर्व

  • परिचय : यह तेलंगाना का पहला टाइगर रिजर्व है जिसे वर्ष 2012 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। 
  • अवस्थिति : भौगोलिक दृष्टि से यह रिजर्व मध्य भारतीय बाघ परिदृश्य के सबसे दक्षिणी सिरे पर स्थित है जिसका संबंध ताडोबा-अंधारी (महाराष्ट्र) एवं इंद्रावती (छत्तीसगढ़) बाघ रिजर्व से है। 
  • प्रमुख नदी : गोदावरी नदी 
    • इसके अलावा यह पेद्दावगु एवं कदम जैसी स्थानीय नदियों का एक प्रमुख जलग्रहण क्षेत्र भी है।
  • वनस्पतिजात एवं प्राणीजात : यहाँ शुष्क पर्णपाती वन ले प्रमुख वृक्ष सागौन, बांस, टर्मिनलिया, शोरिया आदि पाए जाते हैं। 
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