| (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन पेपर- III: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) | 
 
आधुनिक जीवनशैली में अनिद्रा (Insomnia) और नींद से जुड़ी परेशानियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। देर रात तक मोबाइल, लैपटॉप और टीवी स्क्रीन पर समय बिताना, अनियमित दिनचर्या और तनाव ने हमारी नींद-जागरण की प्राकृतिक लय को प्रभावित कर दिया है। ऐसे में कई लोग नींद लाने के लिए मेलाटोनिन की गोलियों का सहारा लेने लगे हैं  लेकिन क्या यह सुरक्षित है?

मेलाटोनिन क्या है?
- मेलाटोनिन एक प्राकृतिक हार्मोन है, जो हमारे शरीर में पीनियल ग्रंथि (Pineal Gland) द्वारा स्रावित किया जाता है।
 
- यह हार्मोन हमारे सर्केडियन रिद्म (Circadian Rhythm) या बॉडी क्लॉक को नियंत्रित करता है 
- यानी कब हमें नींद आएगी और कब हम जागेंगे।
 
 
- शाम या अंधेरे में मेलाटोनिन का स्तर बढ़ता है, जिससे हमें नींद महसूस होती है।
 
- सुबह या रोशनी में इसका स्तर कम हो जाता है, जिससे हमारा शरीर सक्रिय हो जाता है।
 
- इसीलिए मेलाटोनिन को अक्सर “नींद का हार्मोन” (Sleep Hormone) भी कहा जाता है।
 

मेलाटोनिन कैसे काम करता है?
- हमारे मस्तिष्क में मौजूद पीनियल ग्रंथि पर्यावरणीय प्रकाश को महसूस करती है।
 
- जब अंधेरा होता है, तो यह ग्रंथि मेलाटोनिन का स्राव बढ़ा देती है, जिससे शरीर को संकेत मिलता है कि अब आराम करने का समय है।
 
- जब सूरज की रोशनी या कृत्रिम प्रकाश हमारी आँखों पर पड़ता है, तो मेलाटोनिन का स्राव घट जाता है और शरीर को जागने का संकेत मिलता है।
 
- यही कारण है कि स्क्रीन की नीली रोशनी (Blue Light) मेलाटोनिन उत्पादन को कम करती है और नींद में बाधा डालती है।
 
कृत्रिम या बाहरी मेलाटोनिन (Exogenous Melatonin)
- आजकल बाजार में मेलाटोनिन गोलियों, कैप्सूल, गमीज़ या स्प्रे के रूप में उपलब्ध है।
 
- इसे प्रयोगशाला में कृत्रिम रूप से तैयार किया जाता है और आहार पूरक (Dietary Supplement) के रूप में बेचा जाता है।
 
इसका प्रयोग अक्सर किया जाता है:
- अनिद्रा (Insomnia) के इलाज में
 
- जेट लैग (Jet Lag) कम करने के लिए
 
- शिफ्ट वर्कर्स (रात में काम करने वाले लोगों) में नींद की लय सुधारने के लिए
 
- बच्चों या बुजुर्गों में नींद की समस्याओं के लिए (चिकित्सकीय सलाह के साथ)
 
मेलाटोनिन के दुष्प्रभाव (Side Effects of Melatonin)
- यद्यपि मेलाटोनिन को सामान्यतः सुरक्षित माना जाता है, लेकिन इसका अनियंत्रित और बिना डॉक्टर की सलाह के उपयोग कई समस्याएँ पैदा कर सकता है।
 
- प्रमुख दुष्प्रभाव:
- सिरदर्द और थकान
 
- मूड स्विंग (मनोदशा में परिवर्तन)
 
- हार्मोनल असंतुलन, विशेषकर महिलाओं में मासिक चक्र पर प्रभाव
 
- सुस्ती या उनींदापन दिन के समय
 
- नींद की लय में गड़बड़ी, यदि खुराक या समय गलत हो
 
- दवाओं के साथ प्रतिक्रियाएँ, जैसे ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ या डिप्रेशन की दवाओं पर असर
 
- इसलिए मेलाटोनिन को लंबे समय तक या नियमित रूप से डॉक्टर की निगरानी के बिना लेना हानिकारक हो सकता है।
 
 
मेलाटोनिन कब और कैसे लेना चाहिए?
- यदि चिकित्सक मेलाटोनिन की सलाह देते हैं, तो इसे आमतौर पर सोने से 30–60 मिनट पहले लिया जाता है।
 
- खुराक व्यक्ति की उम्र, स्वास्थ्य और नींद की समस्या पर निर्भर करती है। सामान्यतः 1–5 mg खुराक पर्याप्त होती है।
 
- अधिक खुराक से शरीर की प्राकृतिक मेलाटोनिन प्रणाली बिगड़ सकती है, जिससे नींद और अधिक प्रभावित हो जाती है।
 
मेलाटोनिन के प्राकृतिक स्रोत
- यदि आप बिना दवाओं के मेलाटोनिन बढ़ाना चाहते हैं, तो कुछ प्राकृतिक उपाय मददगार हो सकते हैं:
 
- नियमित नींद-जागने का समय रखें
 
- रात में मोबाइल या स्क्रीन लाइट कम करें
 
- अंधेरे और शांत वातावरण में सोएँ
 
- चेरी, केले, टमाटर, अखरोट, और ओट्स जैसे खाद्य पदार्थ मेलाटोनिन के अच्छे प्राकृतिक स्रोत हैं।
 
- धूप में समय बिताएँ  - दिन के समय सूर्य की रोशनी शरीर की प्राकृतिक नींद प्रणाली को मजबूत करती है।
 
निष्कर्ष
मेलाटोनिन निश्चित रूप से नींद में सुधार का एक उपयोगी उपाय है, लेकिन इसका सेवन सावधानी और चिकित्सकीय परामर्श के साथ ही करना चाहिए। अन्यथा यह शरीर की प्राकृतिक लय को बाधित कर सकता है।