(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, नई प्रौद्योगिकी का विकास) |
संदर्भ
अमेरिका ने हाल ही में अपनी मिनटमैन-III (Minuteman III) अंतरमहाद्वीपीय परमाणु मिसाइल का सफल परीक्षण कैलिफोर्निया से किया, जो लगभग 6,700 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए प्रशांत महासागर में एक परीक्षण स्थल तक पहुँची। यह मिसाइल परीक्षण असैन्य (Unarmed) था, अर्थात इसमें कोई विस्फोटक वारहेड नहीं था।
मिनटमैन-III (Minuteman III) मिसाइल के बारे में
- LGM-30G Minuteman III अमेरिका द्वारा निर्मित एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (Intercontinental Ballistic Missile: ICBM) है।
- ‘LGM’ का अर्थ है:
- L– साइलो से लॉन्च की जाने वाली (Silo-launched)
- G– ग्राउंड अटैक (Surface Attack)
- M– गाइडेड मिसाइल (Guided Missile)
- यह मिसाइल 1970 के दशक की शुरुआत में सेवा में आई थी और यह अमेरिका के न्यूक्लियर ट्रायड (Nuclear Triad) का एकमात्र भूमि-आधारित घटक है।
- इसे Douglas Aircraft Company ने विकसित किया था (जो बाद में McDonnell Douglas और फिर Boeing का हिस्सा बनी)।
- वर्तमान में अमेरिका के पास लगभग 440 Minuteman III मिसाइलें सक्रिय स्थिति में हैं।
मुख्य तकनीकी विशेषताएँ
- लंबाई : 18 मीटर
- वजन : 30 टन से अधिक
- गति : लगभग 24,000 किलोमीटर प्रति घंटा (Mach 23)
- सीमा : लगभग 13,000 किलोमीटर
- ईंधन : त्रि-स्तरीय ठोस ईंधन इंजन है जबकि पोस्ट-बूस्ट स्टेज तरल ईंधन से संचालित होता है।
- वारहेड क्षमता : प्रारंभिक रूप से 3 MIRV (Multiple Independently Targetable Re-entry Vehicles) वारहेड ले जाने में सक्षम थी किंतु वर्तमान में अमेरिका-रूस के हथियार नियंत्रण समझौतों के तहत इसे एक वारहेड तक सीमित किया गया है।
- प्रत्येक मिसाइल एक भूमिगत साइलो में सुरक्षित रहती है जिसे लॉन्च नियंत्रण केंद्र से जोड़ा गया है।
परीक्षण का कारण
- राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा दशकों बाद परमाणु परीक्षण पुनः शुरू करने की घोषणा के बाद यह परीक्षण हुआ।
- इसका उद्देश्य चीन और रूस के बढ़ते परमाणु एवं मिसाइल कार्यक्रमों के प्रति अमेरिका की तत्परता व सामरिक क्षमता को दर्शाना है।
- यह परीक्षण अमेरिका के सहयोगी देशों को यह भरोसा भी दिलाता है कि वह वैश्विक सुरक्षा व्यवस्था में अपनी नेतृत्वकारी भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
वैश्विक प्रतिक्रिया
- हाल के वर्षों में चीन ने लगभग 100 नए वारहेड जोड़कर अपनी परमाणु क्षमता को 600 तक पहुँचा दिया है।
- सैटेलाइट इमेजरी से संकेत मिले हैं कि चीन पश्चिमी क्षेत्रों में नए मिसाइल साइलो बना रहा है जिससे यह स्पष्ट है कि वह दीर्घकालिक रूप से परमाणु समानता की ओर बढ़ रहा है।
- रूस ने इस परीक्षण पर नज़र रखते हुए संकेत दिया है कि वह भी अपने परमाणु आधुनिकीकरण कार्यक्रम को तेज कर सकता है।
- वर्तमान में रूस के पास लगभग 5,459 परमाणु वारहेड हैं जबकि अमेरिका के पास 5,177 हैं।
परमाणु हथियारों की वैश्विक स्थिति
|
देश
|
अनुमानित वारहेड (2025)
|
|
अमेरिका
|
5,177
|
|
रूस
|
5,459
|
|
चीन
|
600 (लगातार वृद्धि)
|
|
भारत
|
180
|
|
पाकिस्तान
|
170
|
इन आँकड़ों से स्पष्ट है कि वैश्विक परमाणु संतुलन अभी भी अमेरिका और रूस के बीच केंद्रित है किंतु चीन की तेज़ प्रगति भविष्य की परमाणु रणनीति को बदल सकती है।
सामरिक महत्व
- यह परीक्षण अमेरिका के ‘शक्ति आधारित शांति (Peace Through Strength)’ सिद्धांत को पुष्ट करता है अर्थात शक्ति प्रदर्शन के माध्यम से शांति बनाए रखना।
- यह संकेत देता है कि अमेरिका अपने न्यूक्लियर डिटरेंस को बनाए रखने और विरोधियों को सावधान करने में सक्षम है।
- यह परीक्षण किसी तत्काल युद्ध का संकेत नहीं है बल्कि रणनीतिक तैयारी और तकनीकी विश्वसनीयता का प्रदर्शन है।
चिंताएँ और संभावनाएँ
- विशेषज्ञों के अनुसार, इस प्रकार के परीक्षण नए हथियार दौड़ को बढ़ावा दे सकते हैं।
- अन्य देश भी अपनी मिसाइल क्षमताओं को आधुनिक बनाने के प्रयास तेज़ कर सकते हैं।
- इसलिए, सामरिक संतुलन बनाए रखने के लिए राजनयिक संवाद और पारदर्शी संचार आवश्यक हैं।
निष्कर्ष
मिनटमैन-III मिसाइल परीक्षण केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं है बल्कि एक संदेश है कि अमेरिका अभी भी वैश्विक सुरक्षा व्यवस्था का प्रमुख स्तंभ बना हुआ है। यह परीक्षण यह दर्शाता है कि अमेरिका अपने सहयोगियों को भरोसा दिलाना और चीन जैसे उभरते शक्तियों को संदेश देना चाहता है कि वह किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है। हालाँकि, यह शक्ति प्रदर्शन यदि राजनयिक संतुलन के साथ न किया गया तो यह दुनिया को फिर से हथियारों की होड़ की ओर धकेल सकता है।