(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय) |
संदर्भ
पेरिस समझौते के तहत कार्बन बाजारों को बढ़ावा देने के लिए भारत ने हाल ही में राष्ट्रीय नामित प्राधिकरण (National Designated Authority: NDA) की स्थापना की है।
राष्ट्रीय नामित प्राधिकरण (NDA) के बारे में
- परिचय : यह भारत में कार्बन बाजारों को नियंत्रित करने और पेरिस समझौते के तहत निर्धारित अंतर्राष्ट्रीय कार्बन व्यापार ढांचे को लागू करने के लिए स्थापित एक वैधानिक निकाय है।
- नोडल मंत्रालय : पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत
- गठन : 22 अगस्त, 2025 को एक अधिसूचना के माध्यम से
- उद्देश्य : कार्बन उत्सर्जन में कमी से संबंधित परियोजनाओं को मंजूरी देना, निगरानी एवं प्रबंधन करना, ताकि भारत अपने राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त कर सके।
राष्ट्रीय नामित प्राधिकरण की संरचना
NDA एक 21-सदस्यीय समिति है, जिसका नेतृत्व पर्यावरण मंत्रालय के सचिव करते हैं। इसमें निम्नलिखित मंत्रालयों और निकायों के प्रतिनिधि शामिल हैं:
- विदेश मंत्रालय
- नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय
- इस्पात मंत्रालय
- नीति आयोग
- अन्य संबंधित मंत्रालय और विभाग
सर्वाधिक प्रतिनिधित्व पर्यावरण मंत्रालय से है, जो यह सुनिश्चित करता है कि कार्बन बाजार नीतियाँ भारत की पर्यावरण और संधारणीयता प्राथमिकताओं के साथ संरेखित हों। यह बहु-क्षेत्रीय संरचना राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करती है।
राष्ट्रीय नामित प्राधिकरण की भूमिका और कार्य
- परियोजना मूल्यांकन एवं मंजूरी: पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 के तहत उत्सर्जन निम्नीकरण इकाइयों (Emission Reduction Units: ERUs) के व्यापार के लिए परियोजनाओं का मूल्यांकन करना और मंजूरी देना
- गतिविधियों की सिफारिश: राष्ट्रीय संधारणीयता लक्ष्यों और जलवायु प्रतिबद्धताओं के अनुरूप व्यापार के लिए योग्य गतिविधियों की सिफारिश करना तथा समय-समय पर उन्हें संशोधित करना
- निगरानी और संशोधन: कार्बन बाजार गतिविधियों की निगरानी करना और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के आधार पर गतिविधियों को अद्यतन करना
- NDC के लिए उपयोग: परियोजनाओं से प्राप्त उत्सर्जन निम्नीकरण इकाइयों को भारत के NDC लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अधिकृत करना
- अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व: अनुच्छेद 6 ढांचे के तहत भारत का प्रतिनिधित्व करना और अन्य देशों के साथ क्रेडिट हस्तांतरण को सुविधाजनक बनाना
राष्ट्रीय नामित प्राधिकरण की आवश्यकता
NDA की स्थापना पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 के तहत एक अनिवार्य आवश्यकता है, जो कार्बन बाजारों को नियंत्रित करती है। इसकी आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है-
- पारदर्शी कार्बन व्यापार: यह सुनिश्चित करना कि कार्बन क्रेडिट वास्तविक एवं पारदर्शी हों, ताकि ग्रीनवॉशिंग (हरित छवि का दुरुपयोग) से बचा जा सके।
- राष्ट्रीय लक्ष्यों की पूर्ति: भारत के NDC लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक समन्वित और नियामक ढांचे की आवश्यकता
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अन्य देशों के साथ कार्बन क्रेडिट व्यापार को सुविधाजनक बनाना
- आर्थिक लाभ: कार्बन बाजारों के माध्यम से निवेश और वित्तीय सहायता को आकर्षित करना, विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए
- जलवायु नीतियों का समन्वय: विभिन्न मंत्रालयों और हितधारकों के बीच समन्वय स्थापित कर जलवायु नीतियों को प्रभावी बनाना
COP 29 और पेरिस समझौता
- पेरिस समझौता (2015) : यह एक वैश्विक जलवायु समझौता है जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को सीमित करने के लिए देशों को एकजुट करता है। इसका अनुच्छेद 6 कार्बन बाजारों के लिए नियम निर्धारित करता है, जो देशों को उत्सर्जन में कमी के क्रेडिट्स का व्यापार करने की अनुमति देता है। यह देशों को उनकी राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (NDC) को लागत-प्रभावी ढंग से प्राप्त करने में मदद करता है।
- COP 29 : यह नवंबर 2024 में अज़रबैजान के बाकू में आयोजित हुआ, जिसने अनुच्छेद 6 के नियमों को अंतिम रूप देने में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की। वर्षों की वार्ताओं के बाद COP 29 में दो अलग-अलग ड्राफ्ट अपनाए गए: एक अनुच्छेद 6.2 के लिए (द्विपक्षीय या बहुपक्षीय कार्बन व्यापार) और दूसरा अनुच्छेद 6.4 के लिए (केंद्रीकृत कार्बन व्यापार तंत्र)।
भारत के NDC लक्ष्य
- भारत ने अपने राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (NDC) के तहत निम्नलिखित लक्ष्य निर्धारित किए हैं:
- उत्सर्जन तीव्रता में कमी: वर्ष 2005 के स्तर से 2030 तक जी.डी.पी. की उत्सर्जन तीव्रता में 45% की कमी
- गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता: वर्ष 2030 तक संचयी विद्युत क्षमता का 50% गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से प्राप्त करना
- कार्बन सिंक का निर्माण: वर्ष 2030 तक वनीकरण के माध्यम से 2.5-3 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड समकक्ष का अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाना
- ये लक्ष्य भारत की ऊर्जा उपभोग को नवीकरणीय स्रोतों की ओर ले जाने और वायुमंडल में कार्बन सांद्रता को कम करने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। NDA इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय नामित प्राधिकरण (NDA) की स्थापना भारत के लिए कार्बन बाजारों को लागू करने और वैश्विक जलवायु लक्ष्यों में योगदान देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्राधिकरण न केवल पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 के तहत अनिवार्य है, बल्कि यह भारत के NDC लक्ष्यों को प्राप्त करने और कार्बन व्यापार में पारदर्शिता सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।