(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी) |
संदर्भ
भारत ने 10 नवंबर, 2025 को ब्राजील में आयोजित होने वाले COP 30 (संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन) के शुभारंभ पर अपने अद्यतन राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (Intended Nationally Determined Contributions: INDCs) प्रस्तुत करने की तैयारी की है। इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से निपटने और वैश्विक तापमान वृद्धि को नियंत्रित करने में योगदान देना है।
COP 30 के बारे में
- COP 30 : संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का 30वां संस्करण
- स्थान : ब्राजील, बेलम
- उद्देश्य : विश्व के देशों के NDCs की समीक्षा, उत्सर्जन कटौती की स्थिति का मूल्यांकन और नई जलवायु कार्रवाई योजनाओं पर चर्चा
- विशेष महत्व : ब्राजील की अध्यक्षता ने जोर दिया है कि देशों को अपने निर्धारित लक्ष्यों के हासिल न होने के कारणों का मूल्यांकन करना चाहिए।
क्या हैं NDCs और पेरिस समझौता A
- पेरिस समझौता (2015) : अंतर्राष्ट्रीय जलवायु संधि में 196 देशों ने ग्लोबल वार्मिंग को पूर्व औद्योगिक स्तर से 2°C और संभव हो तो 1.5°C तक सीमित करने का लक्ष्य स्वीकार किया गया है।
- राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (NDCs): ये देशों द्वारा प्रस्तुत ऐसे लक्ष्य एवं योजनाएँ हैं जिनके माध्यम से वे जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अपने प्रयासों को दर्शाते हैं।
- समीक्षा अवधि: प्रत्येक देश को प्रत्येक 5 वर्ष में अपने NDCs को अद्यतन करने की आवश्यकता है।
भारत के अद्यतन NDCs 3.0
भारत ने अपने INDCs को वर्ष 2022 में अद्यतन किया था और अब इसे COP 30 के अवसर पर पुनः अद्यतन कर रहा है। इस अद्यतन में ऊर्जा दक्षता सुधार और उत्सर्जन कटौती की नई योजनाएँ शामिल हैं।
मुख्य बिंदु
- GDP उत्सर्जन तीव्रता में कमी: वर्ष 2005 के स्तर की तुलना में 2030 तक 45% तक
- गैर-जीवाश्म ऊर्जा से शक्ति उत्पादन: वर्ष 2030 तक कुल विद्युत क्षमता का लगभग 50%
- कार्बन सिंक निर्माण: कम-से-कम 2 अरब टन अतिरिक्त कार्बन सिंक
- सतत जीवनशैली का प्रचार: LIFE (Lifestyle for Environment) अभियान के माध्यम से
- जलवायु अनुकूल विकास: आर्थिक विकास के लिए स्वच्छ एवं पर्यावरण-मित्र पथ अपनाना
- जलवायु परिवर्तन अनुकूलन: संवेदनशील क्षेत्रों में निवेश बढ़ाना
- विकसित देशों से वित्तीय सहायता जुटाना: NDCs को लागू करने और उत्सर्जन घटाने के लिए
- तकनीकी क्षमताओं का विकास: जलवायु प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा
2035 के लिए लक्ष्य
- अद्यतन NDCs (NDC 3.0) में 2035 तक उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों का समावेश
- विकसित एवं विकासशील देशों के सहयोग से साझा परियोजनाओं और कार्बन क्रेडिट के माध्यम से उत्सर्जन घटाने की योजना
- भारत का दीर्घकालिक लक्ष्य: 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन
निष्कर्ष
भारत का अभी तक का प्रदर्शन G 20 देशों में सकारात्मक एवं प्रगतिशील माना गया है। वर्ष 2019 व 2022 में जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (Climate Change Performance Index) में भारत शीर्ष 10 देशों में शामिल रहा है। यह अद्यतन वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।