(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) |
चर्चा में क्यों
हाल ही में, रात्रिकालीन रोशनी (Nighttime Illumination) डाटा का उपयोग बिहार में शहरीकरण और आर्थिक गतिविधियों के स्तर को मापने के लिए किया गया है। वर्ष 2013 और 2023 के बीच का डाटा दर्शाता है कि बिहार में शहरीकरण की प्रगति धीमी रही है, जिसमें केवल पटना में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।
रात्रिकालीन रोशनी (Nighttime Illumination) मापन से तात्पर्य
- रात्रिकालीन रोशनी मापन उपग्रहों द्वारा रात के समय पृथ्वी की सतह पर रोशनी की तीव्रता की गणना से प्राप्त डाटा है।
- यह डाटा बिजली उपयोग, आर्थिक गतिविधियों व शहरीकरण के स्तर को दर्शाता है।
उपयोग
रात्रि समय की रोशनी का उपयोग मुख्यतः निम्नलिखित कार्यों में किया जाता है:
- शहरीकरण की माप: यह किसी क्षेत्र में शहरीकरण की गति और विकास की स्थिति को दर्शाता है।
- अधिक रोशनी वाले क्षेत्रों में आमतौर पर सड़कें, वाहन, निर्माण कार्य, और औद्योगिक गतिविधियां होती हैं, जो शहरी विकास का संकेत देती हैं।
- कम रोशनी वाले क्षेत्र ग्रामीण माने जाते हैं, जबकि मध्यम और उच्च रोशनी अर्ध-ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों को दर्शाती है।
- बिजली खपत का माप: रात्रि रोशनी से यह पता चलता है कि उस क्षेत्र में बिजली की कितनी खपत हो रही है, जो आर्थिक गतिविधियों के बढ़ने का संकेत है।
- मानव गतिविधियाँ: उच्च रात्रि रोशनी का मतलब है कि उस क्षेत्र में व्यापारिक और औद्योगिक गतिविधियाँ अधिक हैं, जो शहरीकरण की दिशा में एक कदम है।
बिहार में शहरीकरण पर डाटा
वर्ष 2013 और 2023 के बीच बिहार के विधानसभा क्षेत्रों में रात्रिकालीन रोशनी के आधार पर निम्नलिखित रुझान देखे गए:
- वर्ष 2013 में स्थिति: लगभग 90% विधानसभा क्षेत्र "बहुत कम" रोशनी श्रेणी में थे, जो मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों को दर्शाता है।
- वर्ष 2023 में बदलाव: "बहुत कम" रोशनी वाले क्षेत्रों का अनुपात घटकर 16% रह गया, और कई क्षेत्र "कम" और "मध्यम" रोशनी श्रेणियों में स्थानांतरित हुए, जो ग्रामीण से अर्ध-ग्रामीण क्षेत्रों में परिवर्तन का संकेत है।
- उच्च रोशनी में सीमित वृद्धि: "उच्च" और "बहुत उच्च" रोशनी श्रेणियों में वृद्धि नगण्य रही। "बहुत उच्च" रोशनी का अनुपात 0% से बढ़कर केवल 1.6% हुआ, जो केवल पटना में देखा गया।
- क्षेत्रीय वितरण: वर्ष 2023 में, सभी "बहुत उच्च" रोशनी वाले क्षेत्र पटना में थे, जबकि गया टाउन, भागलपुर और मुजफ्फरपुर ही "उच्च" रोशनी श्रेणी में शामिल थे।

इसके निहितार्थ
- नीति निर्माण के लिए संकेत: डाटा बिहार में असमान शहरीकरण को उजागर करता है, जिससे सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और बिजली पहुंच बढ़ाने की आवश्यकता पर ध्यान देना चाहिए।
- पटना पर केंद्रित विकास: शहरीकरण का पटना में केंद्रित होना असंतुलित विकास को दर्शाता है, जिससे अन्य क्षेत्रों में निवेश की जरूरत है।
- आर्थिक विकास का संकेतक: रात्रिकालीन रोशनी में वृद्धि बिजली और आर्थिक गतिविधियों में सुधार को दर्शाती है, लेकिन यह सीमित क्षेत्रों तक ही है।
- चुनौतियां: धीमा शहरीकरण बिहार के औद्योगीकरण और रोजगार सृजन को प्रभावित कर सकता है, जिससे प्रवास और असमानता बढ़ सकती है।
- भविष्य की दिशा: सरकार को गया, भागलपुर और मुजफ्फरपुर जैसे उभरते क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने और ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता है ताकि संतुलित विकास हो सके।