(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय) |
संदर्भ
17 सितम्बर, 2025 को पाकिस्तान एवं सऊदी अरब ने एक ऐतिहासिक ‘रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौता’ (Strategic Mutual Defence Agreement) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के अनुसार, किसी एक देश पर हुआ हमला दोनों पर हमले के समान माना जाएगा।
पाकिस्तान-सऊदी अरब रक्षा समझौते के बारे में
यह समझौता दोनों देशों के बीच साझा इस्लामी एकजुटता, ऐतिहासिक संबंधों और क्षेत्रीय स्थिरता को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
पृष्ठभूमि
- पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच रक्षा सहयोग कई दशकों से रहा है।
- वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद सऊदी अरब ने पाकिस्तान को भारी आर्थिक मदद की थी।
- वर्ष 2022 में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल बाजवा को सऊदी अरब ने ‘किंग अब्दुलअज़ीज़ मेडल ऑफ एक्सीलेंट क्लास’ से सम्मानित किया था।
- हाल के वर्षों में सऊदी अरब ने पाकिस्तान को आर्थिक संकट से उबारने के लिए कई बार तेल एवं वित्तीय पैकेज दिए।
उद्देश्य
- संयुक्त रक्षा क्षमता को बढ़ाना
- क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा को बनाए रखना
- दोनों देशों की सेनाओं के बीच इंटरऑपरेबिलिटी बढ़ाना
- संभावित खतरों के खिलाफ संयुक्त रोकथाम (Deterrence) बनाना
मुख्य प्रावधान
- आक्रमण की परिभाषा: किसी एक देश पर आक्रमण को दोनों पर आक्रमण माना जाएगा, जिससे संयुक्त प्रतिक्रिया होगी।
- रक्षा सहयोग: सैन्य अभ्यास, खुफिया साझा करना, हथियार आपूर्ति और संयुक्त अभियान बढ़ाएंगे।
- रणनीतिक साझेदारी: दोनों देशों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए तकनीकी एवं प्रशिक्षण सहयोग।
- शांति योगदान: क्षेत्रीय स्थिरता के लिए संयुक्त प्रयास, जैसे- आतंकवाद रोधी कार्रवाई।
- यह समझौता औपचारिक रूप से लंबे समय से चली आ रही व्यवस्था को मजबूत करता है किंतु इसमें कोई नया सैन्य गठबंधन या तीसरे देश के खिलाफ प्रावधान नहीं है।
प्रभाव
- यह समझौता पाकिस्तान के लिए रणनीतिक सुरक्षा गारंटी जैसा है।
- सऊदी अरब को एशिया में एक मजबूत सैन्य सहयोगी मिल गया है।
- ईरान एवं इज़राइल जैसे देशों के साथ क्षेत्रीय शक्ति समीकरण पर प्रभाव पड़ सकता है।
भारत का दृष्टिकोण
- भारत ने इस समझौते को लेकर कहा है कि वह इसका गहन अध्ययन करेगा और राष्ट्रीय सुरक्षा पर इसके प्रभाव का आकलन करेगा।
- भारत की प्राथमिकता अपनी व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखना है।
भारत-सऊदी अरब संबंध
- सऊदी अरब भारत का प्रमुख ऊर्जा आपूर्तिकर्ता है।
- भारत-सऊदी अरब द्विपक्षीय व्यापार 2024-25 में लगभग $52 बिलियन का रहा।
- वर्ष 2024 में राजस्थान में पहला भारत-सऊदी अरब संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘सादा-तंसीक’ (SADA-TANSEEQ) हुआ था।
- सऊदी अरब में 20 लाख से अधिक भारतीय प्रवासी कार्यरत हैं।
- मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के बाद सऊदी विदेश मंत्री भारत आए थे और भारत-पाक संघर्ष विराम में मध्यस्थता की कोशिश की थी।
- दोनों देशों के मध्य डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, रक्षा उत्पादन एवं ऊर्जा सुरक्षा में सहयोग पर बातचीत जारी है।
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भारत के लिए चुनौतियाँ
- पाकिस्तान-सऊदी रक्षा सहयोग से भारत को अपने पश्चिमी मोर्चे पर सुरक्षा तैयारियों को मजबूत करना होगा।
- सऊदी अरब का पाकिस्तान को खुफिया और सैन्य सहयोग देना भारत के लिए चुनौती बन सकता है।
- पश्चिम एशिया में भारत के रणनीतिक संतुलन पर दबाव बढ़ सकता है।
भारत को आगे क्या करना चाहिए
- सऊदी अरब के साथ अपने संबंध अधिक मजबूत करने होंगे ताकि वह पाकिस्तान के पक्ष में एकतरफा न झुके।
- पश्चिम एशिया में रणनीतिक साझेदारियों का विविधीकरण करना होगा, जैसे- UAE, कतर, ओमान के साथ।
- अपनी खुफिया और सीमा सुरक्षा क्षमताओं को उन्नत करना।
- अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कूटनीतिक सक्रियता बढ़ाना ताकि भारत के सुरक्षा हित सुरक्षित रहें।
अरब-पाकिस्तान BUNA समझौता
- क्या है: पाकिस्तान ने 18 सितंबर, 2025 को घोषणा की कि वह अरब मुद्रा कोष (AMF) के BUNA क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट प्लेटफॉर्म से जुड़ेगा।
- वर्ष 2020 में लॉन्च BUNA अरब क्षेत्र में सीमा पार भुगतान के लिए एक बहु-मुद्रा प्लेटफ़ॉर्म है।
- रास्त (Raast) पाकिस्तान का ऑनलाइन त्वरित भुगतान प्लेटफ़ॉर्म है।
- उद्देश्य: यह कदम पाकिस्तान के डिजिटल पेमेंट सिस्टम (रास्त) को अरब क्षेत्र से जोड़ने का है जो रेमिटेंस एवं व्यापार को तेज करने के लिए है।
प्रमुख बिंदु
- एकीकरण : यह साझेदारी वित्तीय समावेशन को बढ़ाने और सीमा पार लेनदेन को अधिक कुशल बनाने के लिए दोनों प्रणालियों के बीच एक सीधा संबंध बनाती है।
- कम लागत: केंद्रीकृत एकीकरण और कम व्यक्तिगत संपर्कों का लाभ उठाकर आईटी एवं परिचालन लागत में कमी आने की उम्मीद है।
- पाकिस्तानी रुपए का समावेश: इस एकीकरण से BUNA प्लेटफ़ॉर्म पर निपटान मुद्रा के रूप में पाकिस्तानी रुपए को जोड़ा गया है।
- यह वर्तमान में सऊदी रियाल और अमीराती दिरहम का समर्थन करता है।
- प्रतिबंध: वर्तमान समझौता पाकिस्तान में धन के प्रवाह की अनुमति देता है किंतु देश से धन के बहिर्वाह की अनुमति नहीं देता है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- वर्तमान में 5.5 मिलियन से अधिक पाकिस्तानी प्रवासी या नागरिक सऊदी अरब एवं संयुक्त अरब अमीरात सहित खाड़ी देशों में रहते हैं।
- वित्तीय वर्ष 2024-25 में पाकिस्तान को श्रमिकों से 38.3 बिलियन डॉलर से अधिक धन प्राप्त हुआ, जिसमें सऊदी अरब से 9.34 बिलियन डॉलर, संयुक्त अरब अमीरात से 7.83 बिलियन डॉलर, यूनाइटेड किंगडम से 5.99 बिलियन डॉलर और अमेरिका से 3.72 बिलियन डॉलर प्राप्त हुए।
- पाकिस्तान में वर्तमान में 95 मिलियन सक्रिय मोबाइल बैंकिंग उपयोगकर्ता, 226 मिलियन बैंक खाते और 850,000 क्यूआर ऑनलाइन व्यापारी हैं।
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