(प्रारंभिक परीक्षा: सरकारी योजनाएं एवं कार्यक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3: भारत में खाद्य प्रसंस्करण एवं संबंधित उद्योग- कार्यक्षेत्र एवं महत्त्व, स्थान, ऊपरी और नीचे की अपेक्षाएँ) |
संदर्भ
यद्यपि भारत का खाद्य प्रसंस्करण उद्योग किसानों, ग्रामीण उद्यमियों एवं छोटे व्यवसायियों की आय बढ़ाने के लिए एक अहम क्षेत्र है किंतु सूक्ष्म खाद्य उद्यम लंबे समय से पूंजी, तकनीक, ब्रांडिंग एवं विपणन सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं। इन चुनौतियों को दूर करने और ‘वोकल फॉर लोकल’ दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना (PMFME) शुरू की।
PMFME योजना के बारे में
- परिचय : इस योजना की शुरुआत का उद्देश्य छोटे एवं असंगठित खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को औपचारिक ढाँचे में लाना था। यह ऋण-सब्सिडी, कौशल प्रशिक्षण, सामान्य बुनियादी ढाँचा और ब्रांडिंग/मार्केटिंग के माध्यम से सूक्ष्म उद्यमों को सशक्त बनाती है।
- प्रारंभ : 29 जून, 2020 को
- संचालन : इस केंद्रीय प्रायोजित योजना का संचालन 2020-21 से 2025-26 तक
- परिव्यय : इसका कुल परिव्यय 10,000 करोड़ रुपए है। यह योजना आत्मनिर्भर भारत अभियान का हिस्सा है।
उद्देश्य
- सूक्ष्म खाद्य इकाइयों का आधुनिकीकरण और औपचारिकीकरण
- स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना (एक जिला - एक उत्पाद दृष्टिकोण)
- खाद्य प्रसंस्करण में मूल्य संवर्धन और अपव्यय में कमी
- छोटे उद्यमियों और किसानों की आय में वृद्धि
- ग्रामीण स्तर पर रोजगार सृजन
विशेषताएँ
- क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी : परियोजना लागत का 35% तक, अधिकतम ₹10 लाख
- ओडीओपी (ODOP) फोकस : हर जिले के प्रमुख उत्पाद पर विशेष ध्यान
- कौशल विकास : प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण
- साझा अवसंरचना : प्रसंस्करण, भंडारण एवं इनक्यूबेशन सेंटर
- ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग सहायता
योजना के घटक
- व्यक्तिगत इकाइयों को समर्थन : पूंजीगत सब्सिडी एवं ऋण
- एफ.पी.ओ., सहकारी समितियाँ एवं समूह : प्रशिक्षण एवं वित्तीय सहायता
- स्वयं सहायता समूह (SHG) : प्रारंभिक पूँजी और छोटे औजारों के लिए सहायता
- ब्रांडिंग और विपणन सहायता : पैकेजिंग, मानकीकरण एवं प्रचार
- सामान्य अवसंरचना समर्थन : कोल्ड स्टोरेज, प्रोसेसिंग यूनिट, इनक्यूबेशन सेंटर
योजना के प्रमुख लाभ
- सूक्ष्म खाद्य इकाइयों का आधुनिकीकरण
- किसानों और उद्यमियों की आय में वृद्धि
- ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन
- स्थानीय उत्पादों की पहचान और ब्रांडिंग
- खाद्य अपव्यय में कमी और मूल्य संवर्धन
उपलब्धियाँ (जून 2025 तक)
- राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 3,791.1 करोड़ रुपए जारी
- देशभर में 1,44,517 ऋण (₹11,501.79 करोड़) स्वीकृत
- 1,16,666 लाभार्थियों को प्रशिक्षण
- वित्त वर्ष 2024-25 में 50,875 ऋण स्वीकृत
- SHG सदस्यों को 376.98 करोड़ रुपए की सहायता
- 93 सामान्य अवसंरचना परियोजनाएँ और 27 ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग प्रोजेक्ट स्वीकृत
चुनौतियाँ
- ग्रामीण स्तर पर जानकारी और जागरूकता की कमी
- बैंक ऋण तक पहुँचने में कठिनाई
- विपणन और ब्रांडिंग में प्रतिस्पर्धा
- तकनीकी कौशल का अभाव
- राज्यों में योजना का असमान क्रियान्वयन
आगे की राह
- ग्रामीण स्तर पर अधिक जागरूकता अभियान
- SHG और FPOs के साथ गहन सहयोग
- वैश्विक बाजार में भारतीय उत्पादों की पैठ बढ़ाना
- डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर ब्रांडिंग व विपणन
- अनुसंधान, नवाचार एवं गुणवत्ता सुधार पर जोर
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना छोटे उद्यमियों के लिए एक बड़ा अवसर है। यह योजना किसानों और उत्पादकों की आय बढ़ाने, रोजगार सृजित करने तथा स्थानीय उत्पादों को वैश्विक पहचान देने में सहायक है। यदि चुनौतियों पर सही ढंग से काम किया जाए, तो यह योजना भारत को खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में आगे बढ़ा सकती है।