New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM Teachers Day Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM Teachers Day Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM

अंगदान में परिवारिक मित्रता का प्रमाण 

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय)

संदर्भ

भारत में अंगदान और प्रत्यारोपण से जुड़े नियम समाज में कई नैतिक, कानूनी एवं भावनात्मक प्रश्न खड़े करते हैं। खासकर तब, जब दाता एवं प्राप्तकर्ता नज़दीकी रिश्तेदार न होकर केवल परिवारिक मित्र हों। हाल ही में मद्रास उच्च न्यायालय ने इसी मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जिसने अंगदान प्रक्रिया की जटिलताओं एवं कमियों को उजागर किया।

भारत में अंगदान से जुड़े नियम

भारत में मानव अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम (Transplantation of Human Organs and Tissues Act), 1994 लागू है। इसके अनुसार:

  • निकट संबंधियों (जैसे- माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नी, संतान) से अंगदान आसानी से अनुमोदित किया जा सकता है।
  • गैर-निकट संबंधियों के बीच अंगदान तभी मान्य है जब यह सच्चे प्यार एवं स्नेह से प्रेरित हो, न कि आर्थिक लेन-देन से।
  • अंगदान में किसी भी प्रकार का दबाव या शोषण वर्जित है।
  • अनुमति देने की ज़िम्मेदारी प्राधिकरण समिति की होती है।

प्राधिकरण समिति की भूमिका

यह समिति यह सुनिश्चित करती है कि अंगदान:

  1. स्वेच्छा से हो रहा है।
  2. इसमें किसी प्रकार का आर्थिक लेन-देन नहीं हुआ है।
  3. दाता पर किसी प्रकार का दबाव या प्रलोभन नहीं है।

हालिया मुद्दा

  • यह मामला एक गुर्दा प्रत्यारोपण से जुड़ा था, जहाँ दाता और प्राप्तकर्ता ने स्वयं को परिवारिक मित्र बताया। 
  • किंतु जिला कलेक्टर की रिपोर्ट में कहा गया कि उनके पास इस मित्रता का कोई लिखित प्रमाण नहीं है। 
  • इसके आधार पर प्राधिकरण समिति ने प्रत्यारोपण की अनुमति देने से मना कर दिया।

मद्रास उच्च न्यायालय का निर्णय

न्यायमूर्ति एन. आनंद वेंकटेश ने समिति के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि:

  • मित्रता एक भावनात्मक संबंध है, इसका दस्तावेज़ी प्रमाण देना व्यावहारिक नहीं है।
  • समिति को स्वतंत्र रूप से यह जांच करनी चाहिए थी कि दान वास्तव में स्नेह से प्रेरित है या पैसों का लेन-देन इसमें शामिल है।
  • केवल जिला कलेक्टर की रिपोर्ट पर निर्भर रहकर निर्णय लेना गलत है।
  • अदालत ने समिति को निर्देश दिया कि वह पुनः मामले की सुनवाई कर चार सप्ताह के भीतर अंतिम निर्णय ले।
  • कानून में गैर-निकट संबंधियों के बीच अंगदान पर प्रतिबंध नहीं है।
  • अदालत ने मानवीय भावनाओं और कानूनी प्रक्रिया में संतुलन की आवश्यकता पर जोर दिया।

परिवारिक मित्रता का प्रमाण

परिवारिक मित्रता को साबित करना कठिन है क्योंकि यह सामाजिक और भावनात्मक संबंधों पर आधारित होती है। इसके संभावित प्रमाण हो सकते हैं:

  • लंबे समय से साथ की तस्वीरें या आयोजन
  • गवाहों के बयान
  • पारिवारिक आयोजनों में निरंतर भागीदारी

हालाँकि, इन सबके बावजूद यह संबंध पूरी तरह भावनाओं पर आधारित होता है जिसे कागज़ पर सिद्ध करना मुश्किल है।

चुनौतियाँ

  • आर्थिक शोषण का खतरा : गरीब दाताओं का अवैध सौदों में फँसना
  • प्रक्रियात्मक कठोरता : नियमों की जटिलता से वास्तविक मामलों में भी रुकावट
  • भावनाओं की अनदेखी : केवल दस्तावेज़ों पर आधारित निर्णय से मानवीय संबंधों की उपेक्षा
  • समिति की स्वतंत्रता : कई बार समितियों द्वारा केवल औपचारिकता निभाना और गंभीरता से जांच न करना 

आगे की राह

  • स्पष्ट दिशा-निर्देश : परिवारिक मित्रता जैसे मामलों में व्यवहारिक एवं मानवीय मापदंड तैयार करना
  • समिति का प्रशिक्षण : सदस्यों को संवेदनशीलता और विवेकपूर्ण निर्णय लेने के लिए प्रशिक्षित करना
  • संतुलित दृष्टिकोण : जनहित, शोषण रोकथाम एवं मानवीय भावनाओं में संतुलन बनाए रखना
  • प्रौद्योगिकी एवं पारदर्शिता : जांच एवं अनुमति प्रक्रिया में डिजिटल रिकार्ड व पारदर्शिता लाना
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X