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दिल्ली सरकार की रेबीज़ नियंत्रण योजना

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)

संदर्भ

दिल्ली सरकार ने रेबीज़ नियंत्रण और आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है। इस योजना के तहत अगले दो वर्षों में लगभग 10 लाख आवारा कुत्तों में माइक्रोचिप लगाई जाएगी। 

पृष्ठभूमि 

  • 22 अगस्त, 2025 को सर्वोच्च न्यायालय ने अपने 11 अगस्त के स्वत: संज्ञान आदेश को संशोधित किया। 
  • पहले आदेश में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में आवारा कुत्तों को पकड़कर सार्वजनिक स्थानों से हटाने और स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया था। 
  • संशोधित आदेश में न्यायालय ने कहा कि कुत्तों को नसबंदी और टीकाकरण के बाद उसी स्थान पर वापस छोड़ा जाए, जहाँ से उन्हें पकड़ा गया था। 
  • यह निर्णय पशु कल्याण और मानव सुरक्षा के बीच संतुलन को दर्शाता है जो दिल्ली की योजना के अनुरूप है

दिल्ली सरकार की रेबीज़ नियंत्रण योजना

  • दिल्ली के विकास मंत्री कपिल मिश्रा ने घोषणा की कि दिल्ली में रेबीज़ नियंत्रण के लिए एक व्यापक योजना लागू की जाएगी। 
  • यह पहल संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के सहयोग से शुरू की गई है।
  • इस योजना का निर्णय दिल्ली सलाहकार पशु कल्याण बोर्ड की बैठक में लिया गया।

उद्देश्य

  • रेबीज़ के मामलों को कम करना, जो अधिकांशत: कुत्तों के काटने से फैलता है।
  • कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने और उनकी स्वास्थ्य स्थिति पर नजर रखने के लिए माइक्रोचिप का उपयोग
  • कुत्तों के काटने की घटनाओं को रोकना और लोगों को सुरक्षित रखना
  • कुत्तों की सटीक गणना और उनके टीकाकरण व नसबंदी के रिकॉर्ड को डिजिटल बनाना

विशेषताएँ

  • माइक्रोचिपिंग: लगभग 10 लाख आवारा कुत्तों में माइक्रोचिप लगाई जाएगी, जिनकी लागत प्रति चिप लगभग 200 होगी। ये चिप्स कुत्तों के टीकाकरण और नसबंदी रिकॉर्ड को संग्रहीत करेंगी।
  • हैंडहेल्ड स्कैनर: चिप्स से डाटा पढ़ने के लिए 4,000 की लागत वाले स्कैनर खरीदे जाएँगे।
  • कुत्तों की गणना: सटीक डाटा और बेहतर योजना के लिए जल्द से जल्द कुत्तों की जनगणना की जाएगी।
  • पेट शॉप पंजीकरण: पेट शॉप्स का पंजीकरण अनिवार्य किया जाएगा, जिसके लिए एक निगरानी समिति बनाई जाएगी।
  • जागरूकता अभियान: सोशल मीडिया के माध्यम से रेबीज़ नियंत्रण एवं माइक्रोचिपिंग के बारे में जागरूकता बढ़ाई जाएगी।
  • स्थानीय निगरानी: प्रत्येक क्षेत्रीय समिति को सक्रिय किया जाएगा ताकि स्थानीय स्तर पर निगरानी और कार्रवाई सुनिश्चित हो।

प्रभाव

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार: रेबीज़ के मामलों में कमी आएगी, जो मानव और पशु दोनों के लिए लाभकारी होगा। इस वर्ष दिल्ली में 26,334 कुत्तों के काटने के मामले और 31 जुलाई 2025 तक 49 रेबीज़ के मामले दर्ज किए गए हैं।
  • आवारा कुत्तों का बेहतर प्रबंधन: माइक्रोचिप्स से कुत्तों की स्वास्थ्य स्थिति और आबादी पर नजर रखना आसान होगा, जिससे नसबंदी और टीकाकरण अधिक प्रभावी होगा।
  • नैतिक दृष्टिकोण: यह योजना पशु कल्याण को बढ़ावा देती है, क्योंकि यह कुत्तों को मारने के बजाय उनके स्वास्थ्य और प्रबंधन पर ध्यान देती है। यह मानव और पशुओं के बीच सह-अस्तित्व को प्रोत्साहित करती है।
  • सामाजिक जागरूकता: सोशल मीडिया के उपयोग से लोग रेबीज़ और पशु प्रबंधन के प्रति अधिक जागरूक होंगे, जिससे समुदाय की भागीदारी बढ़ेगी।

बेंगलुरु का उदाहरण

  • बेंगलुरु में भी आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए इस प्रकार की योजना लागू की जा रही है। 
  • बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) के पशुपालन विभाग ने 2025-26 के लिए 60 करोड़ की योजना बनाई है। 
  • एक पायलट परियोजना के तहत 500 आवारा कुत्तों में माइक्रोचिप लगाई गई थी, और अब 3.23 करोड़ की निविदाएँ तैयार की जा रही हैं। 
  • यह मॉडल दिल्ली के लिए प्रेरणा हो सकता है, क्योंकि यह दर्शाता है कि माइक्रोचिपिंग से कुत्तों का प्रबंधन और रेबीज़ नियंत्रण संभव है।
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