रेलवे ट्रैक हाथी मृत्यु सर्वेक्षण: नई संरक्षण योजना
(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: पर्यावरण एवं पारिस्थितिकीय संरक्षण)
संदर्भ
भारत की 69,000 किमी. लंबी रेलवे नेटवर्क में कई हिस्से घने जंगलों से होकर गुजरते हैं, जहां हाथी और अन्य वन्यजीवों को ट्रेनों से टकराने का खतरा रहता है। पर्यावरण मंत्रालय, रेलवे मंत्रालय और राज्य वन विभागों द्वारा किए गए अपने प्रकार के एक पहले सर्वेक्षण ने इस समस्या से निपटने के लिए 77 रेलवे खंडों पर तत्काल कार्रवाई की सिफारिश की है।
18 जुलाई, 2025 को पश्चिम बंगाल के बस्तोला रेलवे स्टेशन के पास रेलवे ट्रैक पार करते समय तीन हाथी ट्रेन की चपेट में आ गए। दो शिशु हाथी और एक वयस्क हाथी की मौके पर ही मौत हो गई।
हालिया सर्वेक्षण के बारे में
क्या है: यह सर्वेक्षण भारत के 14 राज्यों में 127 रेलवे खंडों (3,452 किमी.) पर किया गया, ताकि वन्यजीवों (विशेष रूप से हाथियों) की रेलवे ट्रैक पर मौत को रोका जा सके।
सहयोग: पर्यावरण मंत्रालय, रेलवे मंत्रालय और राज्य वन विभागों ने संयुक्त रूप से यह सर्वेक्षण किया।
प्रक्रिया: इस सर्वेक्षण में रेलवे ट्रैक की जांच की गई, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां वन्यजीव बार-बार रेल लाइन पार करते हैं या पहले मृत्यु हो चुकी है।
आधार: वन्यजीवों की आवाजाही, मृत्यु के पिछले आंकड़े और भौगोलिक कारकों, जैसे- ट्रैक की ऊँचाई और ड्रेनेज संरचनाओं के आधार पर सुझाव दिए गए।
सर्वेक्षण के निष्कर्ष
हाथी मृत्यु: वर्ष2009-10 से 2024 के बीच रेलवे ट्रैक पर 186 हाथियों की मृत्यु हुई।
पहचान: 127 में से 77 रेलवे खंडों को वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता वाले क्षेत्रों के रूप में चिह्नित किया गया।
प्रस्तावित संरचनाएँ: 77 खंडों पर 705 संरचनाओं का प्रस्ताव, जिसमें शामिल हैं:
503 रैंप और लेवल क्रॉसिंग
72 पुल विस्तार और संशोधन
39 फेंसिंग, बैरिकेडिंग या खाई संरचनाएँ
65 नए अंडरपास
22 ओवरपास
राज्य-विशिष्ट सुझाव: असम में सर्वाधिक 131 रैंप और लेवल क्रॉसिंग, महाराष्ट्र में 125 तथा उत्तर प्रदेश में 92 प्रस्तावित।
हाथी आबादी: वर्ष 2017 के अनुमान के अनुसार, कर्नाटक में सर्वाधिक 6,049 हाथी, इसके बाद असम (5,719), केरल (5,706) और तमिलनाडु (2,761)।
सरकार की योजना
संरचनाओं का निर्माण: 705 प्रस्तावित संरचनाओं का निर्माण वन्यजीवों के सुरक्षित पारगमन को सुनिश्चित करेगा।
इंट्रूज़न डिटेक्शन सिस्टम (IDS):
141 किमी. पर IDS पहले से ही स्थापित, जो AI-सक्षम प्रणाली है और हाथियों की आवाजाही का पता लगाकर लोको पायलटों को सचेत करती है।
926 किमी. पर IDS स्थापना प्रक्रिया में, जिसमें से 349.9 किमी. पूर्वी तट रेलवे क्षेत्र में है।
कुल 1,158 किमी. के लिए 208 करोड़ रुपए की लागत से IDS कार्य स्वीकृत।
प्रशिक्षण: वन्यजीव संस्थान, भारत में रेलवे अधिकारियों को हाथी पारिस्थितिकी पर प्रशिक्षण दिया गया, ताकि वे लोको पायलटों और कर्मचारियों को संवेदनशील बना सकें।
नए रेलमार्ग: नए (ग्रीनफील्ड) रेलमार्गों के लिए यह ढांचा उपयोगी होगा, जिसमें भौगोलिक और पारिस्थितिक कारकों को ध्यान में रखा जाएगा।
हाथियों के लिए समस्याएँ
रेलवे ट्रैक पर मृत्यु: वर्ष 2009-10 से 2024 तक 186 हाथियों की ट्रेनों से टकराकर मृत्यु हुई, जो घने जंगलों से गुजरने वाले रेलमार्गों के कारण है।
आवास विखंडन: रेलवे लाइनें वन्यजीवों के प्राकृतिक गलियारों को बाधित करती हैं, जिससे हाथियों को पार करने में कठिनाई होती है।
मानव-वन्यजीव संघर्ष: रेलवे ट्रैक के पास मानव बस्तियाँ और बुनियादी ढांचा संघर्ष को बढ़ाता है।
अपर्याप्त संरचनाएँ: मौजूदा अंडरपास और ओवरपास की कमी या अनुपयुक्त डिज़ाइन सुरक्षित पारगमन में बाधा डालता है।
आगे की राह
संरचनाओं का त्वरित निर्माण: प्रस्तावित 705 संरचनाओं को शीघ्र लागू करना, विशेष रूप से असम, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे उच्च जोखिम वाले राज्यों में।
IDS का विस्तार: पूरे 1,158 किमी. पर IDS स्थापना को पूरा करना और अन्य जोखिम वाले क्षेत्रों में इसका विस्तार करना।
जागरूकता और प्रशिक्षण: रेलवे कर्मचारियों और स्थानीय समुदायों के लिए वन्यजीव संरक्षण पर निरंतर प्रशिक्षण।
सहयोग: केंद्र और राज्य सरकारों, वन विभागों और रेलवे के बीच समन्वय को और मजबूत करना।
निगरानी और मूल्यांकन: IDS और अन्य संरचनाओं की प्रभावशीलता की नियमित निगरानी और डेटा संग्रह ताकि भविष्य में सुधार किए जा सकें।