(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास व अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव) |
संदर्भ
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं के अनुसार अमीनोएसाइल-थियोल्स नामक सरल अणु बिना किसी एंजाइम के अमीनो एसिड को आर.एन.ए. से जोड़ सकते हैं। यह नया अध्ययन नेचर जर्नल में प्रकाशित हुआ।
हालिया शोध के निष्कर्ष
- नए शोध से इस बात की जानकारी मिलती है कि आर.एन.ए. अणु एवं अमीनो अम्ल ने प्री-बायोटिक पृथ्वी पर किस प्रकार परस्पर क्रिया की होगी, जिससे जीवन की उत्पत्ति के बारे में सूचना मिलती है।
- शोध के अनुसार डी.एन.ए. और प्रोटीन के विकास से पहले जीवन की शुरुआत स्व-प्रतिकृति आर.एन.ए. अणुओं से हुई थी।
- वैज्ञानिकों ने एक संभावित रासायनिक मार्ग की खोज की है जहाँ अमीनो अम्ल छोटे आर.एन.ए. खंडों से जुड़कर आर.एन.ए-अमीनो अम्ल संकुल बनाते हैं।
- इन संकुलों ने प्रोटो-प्रोटीन और आनुवंशिक कोडिंग के उद्भव को सुगम बनाया होगा, जिससे रसायन विज्ञान एवं जीव विज्ञान के अंतराल को पाटने में मदद मिली होगी।
महत्त्व
- यह शोध सरल अणुओं से जटिल जीवन रूपों में संक्रमण के लिए प्रायोगिक समर्थन प्रदान करता है।
- आनुवंशिक कोड की उत्पत्ति की व्याख्या करने में मदद करता है जो न्यूक्लिक अम्लों (आरएनए/डीएनए) को प्रोटीन से जोड़ता है।
- अजीवजनन (निर्जीव पदार्थ से उत्पन्न जीवन) की समझ को सुदृढ़ करता है।
चुनौतियाँ
- आर.एन.ए. सूचना संग्रहीत कर सकता है किंतु यह रासायनिक रूप से अस्थिर होता है जबकि प्रोटीन (अमीनो अम्लों से निर्मित) उत्प्रेरण में बेहतर होते हैं।
- आर.एन.ए. एवं अमीनो अम्लों ने पहली बार कैसे परस्पर क्रिया की, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है।
आगे की राह
- खगोल जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान और आणविक जीव विज्ञान में निरंतर अंतःविषय अनुसंधान की आवश्यकता
- संश्लेषित जीव विज्ञान में संभावित अनुप्रयोग और परग्रहीय जीवन की खोज