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सेबी की नई पहल: हित संघर्ष पर सख्त नियमों का प्रस्ताव

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।)

संदर्भ

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने हितों के टकराव को रोकने के लिए अपने नियमों में व्यापक सुधार की दिशा में कदम बढ़ाया है। 12 नवंबर 2025 को जारी एक रिपोर्ट में, सेबी की एक उच्च स्तरीय समिति ने “विस्तृत और पारदर्शी हित-संघर्ष नियमन प्रणाली” (Conflict of Interest Regulations) की सिफारिश की।

पृष्ठभूमि

सेबी द्वारा यह उच्च स्तरीय समिति पूर्व केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (CVC) प्रमुख प्रत्युष सिन्हा की अध्यक्षता में गठित की गई थी, जो पूर्व सेबी प्रमुख मधाबी पुरी बुच पर लगे हितों के टकराव के आरोपों की पृष्ठभूमि में बनी थी, जिनसे बाद में उन्हें दोषमुक्त पाया गया था।

समिति की प्रमुख सिफारिशें

समिति ने सेबी के लिए एक “ऑफिस ऑफ एथिक्स एंड कंप्लायंस (Office of Ethics and Compliance : OEC)” स्थापित करने का सुझाव दिया है, जिसका नेतृत्व कार्यकारी निदेशक स्तर का अधिकारी करेगा। यह कार्यालय हित-संघर्ष से जुड़े सभी मामलों की निगरानी करेगा।

परिवार की परिभाषा का विस्तार

  • सेबी के 2008 दिशा-निर्देशों में “परिवार” की परिभाषा केवल पति/पत्नी और बच्चों तक सीमित थी। 
  • अब समिति ने इसे विस्तार देते हुए प्रस्ताव रखा है कि परिवार में शामिल होंगे —
    • कोई भी व्यक्ति जिसके लिए कर्मचारी या सदस्य कानूनी अभिभावक (legal guardian) हैं।
    • रक्त या विवाह से जुड़े वे सभी व्यक्ति जो उस कर्मचारी पर आर्थिक रूप से निर्भर (substantially dependent) हैं।
  • इस प्रकार, अब यह परिभाषा अधिक समावेशी होगी और कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुरूप “रिश्तेदार” (relative) की परिभाषा को भी अपनाया जाएगा, जिसमें माता-पिता, जीवनसाथी, बच्चे, उनके जीवनसाथी और भाई-बहन शामिल हैं।

निवेश पर नियंत्रण

  • समिति ने सिफारिश की है कि निवेश प्रतिबंध केवल उसी “परिवार” पर लागू होंगे जो नई परिभाषा में शामिल है।
  • चेयरपर्सन और पूर्णकालिक सदस्य (WTMs) को म्यूचुअल फंड या समान वित्तीय उत्पादों में निवेश की अनुमति होगी, बशर्ते यह निवेश उनके कुल पोर्टफोलियो का एक-चौथाई से अधिक न हो।

बहु-स्तरीय हित-संघर्ष प्रबंधन प्रणाली

  • हितों के टकराव को प्रबंधित करने के लिए समिति ने एक बहु-स्तरीय प्रणाली का प्रस्ताव दिया है, जिसमें चार प्रकार के खुलासे (disclosures) होंगे :
    • प्रारंभिक (Initial Disclosure)
    • वार्षिक (Annual Disclosure)
    • घटना-आधारित (Event-Based Disclosure)
    • पद त्याग के समय (Exit Disclosure)
  • इन खुलासों में निम्नलिखित जानकारी दी जाएगी:
  1. संपत्तियाँ और देनदारियाँ
  2. ट्रेडिंग गतिविधियाँ
  3. पारिवारिक संबंध और अन्य संबद्ध हित
  • यह सभी विवरण सेबी के OEC (Office of Ethics and Compliance) और OCEC (Oversight Committee on Ethics and Compliance) को प्रस्तुत किए जाएंगे।

अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए नियम

  • चेयरपर्सन, पूर्णकालिक सदस्य, कार्यकारी निदेशक और मुख्य महाप्रबंधक अपने वित्तीय और पारिवारिक हितों का पूरा खुलासा करेंगे।
  • अन्य कर्मचारी आंतरिक खुलासे (internal disclosures) देंगे।
  • अंशकालिक सदस्य (Part-time Members) इन नियमों से मुक्त रहेंगे क्योंकि वे सेबी के दैनिक कार्यों में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं होते।
  • नए प्रवेश (Lateral Entry) पर आने वाले शीर्ष अधिकारियों को अपने सभी वास्तविक, संभावित या धारित (perceived) हित-संघर्षों का खुलासा करना होगा।

निष्पक्षता और पारदर्शिता के लिए ‘Recusal Framework’

  • सेबी में निर्णय प्रक्रिया के दौरान हितों के टकराव की स्थिति में किसी सदस्य के स्वयं को अलग करने (recusal) की स्पष्ट प्रक्रिया भी प्रस्तावित की गई है।
  • इस प्रक्रिया की निगरानी के लिए मुख्य अनुपालन अधिकारी (Chief Compliance Officer) को नोडल अधिकारी बनाया जाएगा।
  • सभी “recusals” का सारांश सेबी की वार्षिक रिपोर्ट में प्रकाशित किया जाएगा, जिससे जनता को पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।

निष्कर्ष

सेबी की यह पहल भारतीय वित्तीय नियामक प्रणाली में नैतिक जवाबदेही और पारदर्शिता को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। विस्तारित परिवार परिभाषा, निवेश नियंत्रण, और खुलासे की बहु-स्तरीय प्रणाली से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि नियामक संस्था के निर्णयों में निजी हितों की कोई छाया न पड़े। यह प्रस्ताव न केवल सेबी की विश्वसनीयता को और मजबूत करेगा, बल्कि पूंजी बाजार में निवेशकों के विश्वास और पारदर्शिता के मानकों को भी नई ऊँचाई प्रदान करेगा।

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